• Class-6

राशियों की प्रकृति

चर- चर स्थिर एवं द्विस्वभाव  

मेष, कर्क, तुला, मकर को चर कहते हैं।        1,4,7,10

स्थिर-वृष, सिंह, वृश्चिक, कुम्भ को स्थिर कहते हैं |       2,5,8,11

द्विस्वभाव- मिथुन, कन्या, धनु, मीन को द्विस्वभाव कहते हैं ।   3,6,9,12

तत्व

अग्नि, पृथ्वी, वायु एवं जल होता है|

अग्नि-मेष, सिंह एवं धनु अग्नि तत्त्व वाला होता है     1,5,9

पृथ्वी-वृष, कन्या एवं मकर पृथ्वी तत्त्व वाला होता है।  2,6,10

वायु- मिथुन, तुला एवं कुम्भ वायु तत्त्व वाला होता है।   3,7,11

जल- कर्क, वृश्चिक एवं मीन जल तत्त्व वाला होता है।     4,8,12

लिंग

पुरुष लिंग-मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु एवं कुम्भ राशि पुरुष होता है।    1,3,5,7,9,12

स्त्री लिंग– वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर एवं मीन राशि स्त्री होती है।     2,4,6,8,10,12

प्रकृति

पित, वायु, मिश्रित एवं कफ प्रकृति होती है |

पित– मेष, सिंह एवं धनु पित संज्ञक होता है।         1,5,9

वायु-वृष, कन्या एवं मकर वायु संज्ञक होता है।      2,6,10

मिश्रित– मिथुन, तुला एवं कुम्भ मिश्रित संज्ञक होता है।      3,7,11

कफ– कर्क, वृश्चिक एवं मीन कफ संज्ञक होता है|              4,8,12

वर्ण

क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र एवं ब्राह्मण वर्ण होता है |

क्षत्रिय-मेष, सिंह, धनु (अधिकारी वर्ग)  1,5,9

वैश्य-वृष, कन्या, मकर (व्यापारी वर्ग)    2,6,10

शुद्र– मिथुन, तुला, कुम्भ (कर्मचारी वर्ग)      3,7,11

ब्राह्मण-कर्क, वृश्चिक, मीन (अध्यापक, प्रचारक, समाजसुधारक वर्ग)   4,8,12

जल राशियां– कर्क, वृश्चिक, मकर, मीन   4,8,12

जल पर निर्भर राशियां– वृष, मिथुन, कन्या, कुम्भ    2,6,10

जलहीन राशियां– मेष, सिंह, तुला, धनु             1,5,9

दिशाएं

पूर्व- मेष, सिंह, धनु

दक्षिण– वृष, कन्या, मकर

पश्चिम– मिथुन, तुला, कुम्भ

उत्तर– कर्क, वृश्चिक, मीन

दिन बली और रात्रि बली राशियां

दिन बली– सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, कुम्भ, मीन

रात्रि बली– मेष, वृष, मिथुन, कर्क, धनु, मकर

राशियों के पाद

द्विपाद, चतुष्पाद आदि राशियां

द्विपाद– मिथुन, कन्या, तुला, कुम्भ तथा धनु का पूर्वोत्तर भाग 3,6,7,9,10

चतुष्पाद– मेष, वृष, सिंह, धनु, का उत्तरो्तर भाग तथा मकर का पूर्वोत्तर भाग | 1,2,5,9,11

जलीय–कर्क, मीन, मकर का उत्तरोत्तर भाग कीट वृश्चिक  2,12,11

(अपवाद कुछ विद्वान ज्योतिषी कुम्भ को भी जलीय राशि तथा कर्क को कीट राशि मानते हैं )

द्विपद राशियां लग्न के मध्य भाग में बलवान होती है | चतुष्पद राशियां दशम भाव में, जलीय राशियां चतुर्थ भाव में तथा कीट राशियां सप्तम भाव में बली होती है।

द्विपद राशियां दिन बली, चतुष्पद राश्यिं रात्रि के समय बली तथा कीट राशियां सूर्य निकलने के समय या सूर्य अस्त होने के समय बली होती है |

राशियों के द्वारा काल पुरुष के अंगों का प्रतिनिधित्व

Kaal Purush Ke Ang
Kaal Purush Ke Ang

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