- Class-7
Nakshatra, नक्षत्र ज्योतिष
नक्षत्र ज्योतिष एक विशेष विधा है जो भारतीय ज्योतिष के अंतर्गत आता है। यह ज्योतिष विधा उस समय से चली आ रही है जब संसार के लोग अपने जीवन में ज्योतिष का उपयोग करते थे। नक्षत्र ज्योतिष में 27 नक्षत्र होते हैं। इन नक्षत्रों को चंद्रमा के गति के आधार पर नामित किया गया है।
- अश्विनी: अश्विनी नक्षत्र की देवी हैं तो अश्विन कुमार नक्षत्र के कारक तत्व हैं। यह नक्षत्र व्यवसाय, विद्या, सफलता और स्वस्थता के लिए शुभ होता है।
- भरणी: भरणी नक्षत्र की देवी यमुना हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व मंगल हैं। यह नक्षत्र उत्तरायण में शुभ होता हैं और स्थायी लग्न में भी शुभ होता हैं।
- कृत्तिका: कृत्तिका नक्षत्र की देवी हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व सूर्य हैं। यह नक्षत्र रोहिणी, मृगशीर्ष और अर्द्रा नक्षत्रों के साथ ज्यादा शुभ होता हैं।
- रोहिणी: रोहिणी नक्षत्र की देवी हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व बृहस्पति हैं। यह नक्षत्र विवाह, प्रेम और रोमांस के लिए शुभ होता हैं। रोहिणी नक्षत्र के लोगों का स्वभाव मधुर, दयालु और कल्याणकारी होता हैं।
- मृगशीर्ष: मृगशीर्ष नक्षत्र की देवी सोमा हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व चंद्रमा हैं। यह नक्षत्र कला, वाणी और संगीत के लिए शुभ होता हैं।
- आर्द्रा: आर्द्रा नक्षत्र की देवी रुद्र हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व राहु हैं। यह नक्षत्र तंत्र और मंत्र के लिए शुभ होता हैं और इसके लोग उच्च क्रोध, ऊर्जा और निर्णय के साथ धन्य होते हैं।
- पुनर्वसु: पुनर्वसु नक्षत्र की देवी अदिति हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व जुपिटर हैं। यह नक्षत्र समृद्धि, सफलता और भाग्य के लिए शुभ होता हैं।
- पुष्य: पुष्य नक्षत्र की देवी बृहस्पति हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व शनि हैं। यह नक्षत्र आध्यात्मिक ज्ञान, धर्म और सेवा के लिए शुभ होता हैं।
- आश्लेषा: आश्लेषा नक्षत्र की देवी हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व मर्तंड (सूर्य) होते हैं। यह नक्षत्र तांत्रिक कर्म और शक्ति के लिए शुभ होता हैं और इसके लोग उच्च क्रोध और भयानक स्वभाव के साथ धन्य होते हैं।
- मघा: मघा नक्षत्र की देवी हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व सूर्य होते हैं। यह नक्षत्र सम्मान, आदर, प्रतिष्ठा और सफलता के लिए शुभ होता हैं। इसके लोगों का स्वभाव शांत और प्रतिष्ठित होता हैं।
- पूर्वफल्गुनी: पूर्वफल्गुनी नक्षत्र की देवी भगा हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व वेणुस होते हैं। यह नक्षत्र स्वास्थ्य, शारीरिक सुख और आर्थिक सफलता के लिए शुभ होता हैं। इसके लोगों का स्वभाव प्रज्ञा, ज्ञान और न्याय के साथ धन्य होता हैं।
- उत्तरफल्गुनी: उत्तरफल्गुनी नक्षत्र की देवी आर्यमा हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व सूर्य होते हैं। यह नक्षत्र सफलता, सम्मान और यश के लिए शुभ होता हैं। इसके लोगों का स्वभाव उत्तम और शांतिपूर्ण होता हैं।
- हस्त: हस्त नक्षत्र की देवी अथर्वा हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व चन्द्रमा होते हैं। यह नक्षत्र कला, उद्यम और कुशलता के लिए शुभ होता हैं। इसके लोगों का स्वभाव स्वतंत्रता से भरा होता हैं और उन्हें उनकी कुशलता से लोगों के बीच सम्मान हासिल होता हैं।
- चित्रा: चित्रा नक्षत्र की देवी त्वष्टा हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व मंगल होते हैं। यह नक्षत्र कला, सुन्दरता और समृद्धि के लिए शुभ होता हैं। इसके लोग उत्तम रचनात्मक क्षमता और समृद्धि प्राप्ति के लिए जाने जाते हैं।
- स्वाति: स्वाति नक्षत्र की देवी वायु हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व राहु होते हैं। यह नक्षत्र यात्रा, आत्मसम्मान और स्वतंत्रता के लिए शुभ होता हैं। इसके लोग आकर्षक, सुखी और उत्साही होते हैं।
- विशाखा: विशाखा नक्षत्र की देवी इंद्राणी हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व शुक्र होते हैं। यह नक्षत्र संघर्ष, युद्ध और सफलता के लिए शुभ होता हैं। विशाखा नक्षत्र की देवी इंद्राणी हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व शुक्र होते हैं। यह नक्षत्र संघर्ष, युद्ध और सफलता के लिए शुभ होता हैं। इसके लोग उत्साही, साहसी और पराक्रमी होते हैं।
- अनूराधा: अनूराधा नक्षत्र की देवी मित्रा हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व मंगल होते हैं। यह नक्षत्र सफलता, प्रगति और विजय के लिए शुभ होता हैं। इसके लोग उत्साही, साहसी और सफल होते हैं।
- ज्येष्ठा: ज्येष्ठा नक्षत्र की देवी निरृति हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व बृहस्पति होते हैं। यह नक्षत्र ज्ञान, तपस्या और उच्च उत्तरदायित्व के लिए शुभ होता हैं। इसके लोगों का स्वभाव उच्च, तपस्वी और दूरदर्शी होता हैं।
- मूल: मूल नक्षत्र की देवी निरृति हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व केतु होते हैं। यह नक्षत्र संघर्ष, विघ्न और परिवर्तन के लिए शुभ होता हैं। इसके लोग समझदार, निर्णयकारी और पराक्रमी होते हैं।
- पूर्वाषाढ़ा: पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र की देवी आपसरा हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व वेद होते हैं। यह नक्षत्र यात्रा, विस्तार और समृद्धि के लिए शुभ होता हैं। इसके लोग उत्साही, विदेश जाने के शौकीन और धनवान होते हैं।
- उत्तराषाढ़ा: उत्तराषाढ़ा नक्षत्र की देवी विश्वदेवा हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व सूर्य होते हैं। यह नक्षत्र सफलता, प्रगति और उत्तरदायित्व के लिए शुभ होता हैं। इसके लोग विचारशील, विनम्र और समर्थ होते हैं।
- श्रवण: श्रवण नक्षत्र की देवी विष्णु हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व चन्द्र होते हैं। यह नक्षत्र ज्ञान, शिक्षा और धर्म के लिए शुभ होता हैं। इसके लोग समझदार, धर्म और संस्कृति के प्रति आदरभावी होते हैं।
- धनिष्ठा: धनिष्ठा नक्षत्र की देवी वसुदेवा हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व मंगल होते हैं। यह नक्षत्र संघर्ष, उच्चता और समृद्धि के लिए शुभ होता हैं। इसके लोग मजबूत, संघर्षशील और उद्यमी होते हैं।
- शतभिषा: शतभिषा नक्षत्र की देवी वरुण हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व राहु होते हैं। यह नक्षत्र दूरदर्शिता, अद्भुत शक्ति और स्वतंत्रता के लिए शुभ होता हैं। इसके लोग विज्ञान और तकनीक के शौकीन, अद्भुत और स्वतंत्र होते हैं।
- पूर्वभाद्रपद: पूर्वभाद्रपद नक्षत्र की देवी अजपाद निरृति हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व गुरु होते हैं। यह नक्षत्र विनम्रता, धर्म और संस्कृति के लिए शुभ होता हैं। इसके लोग मधुर वाणी और संस्कृति के प्रति आदरभावी होते हैं।
- उत्तरभाद्रपद: उत्तरभाद्रपद नक्षत्र की देवी अहिर्बुधन्य हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व सात्विक होते हैं। यह नक्षत्र प्रेम, समझदारी और सहिष्णुता के लिए शुभ होता हैं। इसके लोग प्रेम और स्नेह के प्रति आदरभावी होते हैं।
- रेवती: रेवती नक्षत्र की देवी पुष्टी हैं और इस नक्षत्र के कारक तत्व बुध होते हैं, यह नक्षत्र समृद्धि, सुख और समस्त सुखों के लिए शुभ होता हैं। इसके लोग दयालु और समृद्धि के प्रति आदरभावी होते हैं।
नक्षत्र ज्योतिष के अनुसार, चारों तरफ से बारीक बारीक बिंदुओं से युक्त नक्षत्रों का एक जाल हमारे स्वर्ग में स्थान बनाता हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, जब हम जन्म करते हैं, तब हमारी जन्म तिथि, समय और स्थान के अनुसार हमारा एक नक्षत्र आकार पाता हैं।
इसी नक्षत्र का उपयोग अपनी कुंडली में स्थित ग्रहों के समझने के लिए भी होता हैं। नक्षत्र ज्योतिष के अनुसार, हमारी जन्म नक्षत्र द्वारा हमारी स्वभाव, व्यक्तित्व, गुण, दोष, अधिकार, कर्म, भाग्य आदि का पता चलता हैं।
इस ज्ञान के माध्यम से आप अपने स्वभाव, भविष्य, व्यक्तित्व और कर्म के बारे में जान सकते हैं। इस तरह से, नक्षत्र ज्योतिष आपको अपनी जिंदगी में समस्याओं से निपटने के लिए मदद करता हैं।
Nakshatra Friendship , नक्षत्रों की मित्रता
नक्षत्रों की मित्रता भी ज्योतिष में महत्वपूर्ण होती है। एक व्यक्ति के जन्मनक्षत्र के अनुसार अन्य नक्षत्रों के लोगों के साथ उसकी मित्रता होती है।
यदि एक व्यक्ति का जन्मनक्षत्र अश्विनी हो तो उसकी मित्रता अप्रत्याशित रूप से स्वाति और अर्द्रा के लोगों के साथ अच्छी होती है। उसे मिथुन और तुला राशि के लोगों के साथ भी अच्छी मित्रता मिलती है।
अगर कोई व्यक्ति अपने जन्मनक्षत्र के अनुसार अश्विनी, मघा और मूल के लोगों के साथ मित्रता रखता है तो वह उत्तम संबंध बना सकता है।
वृषभ राशि के लोगों के साथ विशाखा और शतभिषा के लोगों की मित्रता अच्छी होती है।
मिथुन राशि के लोगों के लिए पुष्य, उत्तराषाढ़ा और हस्त नक्षत्र के लोग उत्तम मित्र होते हैं।
कर्क राशि के लोगों के लिए रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र के लोग उत्तम मित्र होते हैं।
सिंह राशि के लोगों के लिए उत्तर फल्गुनी, पूर्व नक्षत्र, मकर नक्षत्र और भरणी नक्षत्र के
लोग उनके अच्छे मित्र होते हैं।
कन्या राशि के लोगों के लिए हस्त, छित्रा और स्वाति नक्षत्र के लोग उत्तम मित्र होते हैं।
तुला राशि के लोगों के लिए श्रवण, अनुराधा और मकर नक्षत्र के लोग उत्तम मित्र होते हैं।
वृश्चिक राशि के लोगों के लिए ज्येष्ठा, उत्तराषाढ़ा और अनुराधा नक्षत्र के लोग उत्तम मित्र होते हैं।
धनु राशि के लोगों के लिए मूल, उत्तराषाढ़ा और अश्विनी नक्षत्र के लोग उत्तम मित्र होते हैं।
मकर राशि के लोगों के लिए उत्तराषाढ़ा, श्रवण और शतभिषा नक्षत्र के लोग उत्तम मित्र होते हैं।
कुंभ राशि के लोगों के लिए धनिष्ठा, शतभिषा और पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के लोग उत्तम मित्र होते हैं।
मीन राशि के लोगों के लिए पूर्वभाद्रपद, उत्तरभाद्रपद और रेवती नक्षत्र के लोग उत्तम मित्र होते हैं।
इस तरह नक्षत्रों की मित्रता व्यक्ति के व्यक्तिगत गुण और प्रकृति के अनुसार निर्धारित की जाती है।
नक्षत्र की गति और ट्रांजिट विवरण:
नक्षत्र की गति को आधुनिक ज्योतिष शास्त्रों में स्थिर नहीं माना जाता है। इसे लेकर विभिन्न संस्थाओं में अलग-अलग मत होते हैं।
हिन्दू ज्योतिष में, सूर्य एवं चन्द्रमा की गति के आधार पर नक्षत्रों का ट्रांजिट निर्धारित किया जाता है। चंद्रमा हमारी पृथ्वी के आसपास घूमता हुआ एवं अपनी ध्रुव पथ से गुजरता है। जब चन्द्रमा एक नक्षत्र से दूसरे नक्षत्र में जाता है, तो हम उसे नक्षत्र का ट्रांजिट कहते हैं।
नक्षत्र के ट्रांजिट के आधार पर, हम भविष्य में किन गतिविधियों के संभावना हो सकती हैं, वह भी निर्धारित कर सकते हैं। यह ज्योतिष शास्त्रों का एक महत्वपूर्ण अंग है जो जन्म कुंडली के ज्योतिषीय विश्लेषण में उपयोग किया जाता है।
इस तरह नक्षत्रों के गति और ट्रांजिट निर्धारित किए जाते हैं जो व्यक्ति के जीवन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्धारण करने में मदद करते हैं।