अक्षय तृतीया संपूर्ण जानकारी एवं महत्त्वता
22 अप्रैल 2023 शनिवार को अक्षय तृतीया है ।
अक्षय तृतीया: भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है ।
भारत में हर त्योहार अपने आप में महत्वपूर्ण होता है और इन त्योहारों के दिन लोग अपनी परंपराओं और धर्म के अनुसार त्योहार मनाते हैं। एक ऐसा त्योहार है अक्षय तृतीया, जो भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह त्योहार बहुत ही प्राचीन है और हर साल भारत भर में मनाया जाता है। इस लेख में हम अक्षय तृतीया के बारे में विस्तार से जानेंगे।
अक्षय तृतीया क्या होता है?
अक्षय तृतीया भारत में बहुत ही प्राचीन त्योहार है। इसे भारतीय कैलेंडर के अनुसार वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि को मनाया जाता है। इस त्योहार के दिन लोग दान-धर्म करते हैं और अच्छे काम करने की प्रेरणा लेते हैं।
अक्षय तृतीया के पीछे का इतिहास
अक्षय तृतीया के पीछे कुछ इतिहास होता है। इस दिन धर्म के अनुसार चंदन व जल को दान करने से लोगों की मनोकामना पूरी होती है और उन्हें समृद्धि और सुख मिलता है। इस दिन को भीष्म पितामह ने महाभारत के युद्ध में शिक्षाओं के लिए उत्तरायण के वक्त चुना था। इसके अलावा, इस दिन लोग समाज सेवा करते हैं और अच्छे काम करने की प्रेरणा लेते हैं।
अक्षय तृतीया के महत्व
अक्षय तृतीया का महत्व धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिकता से जुड़ा हुआ है। यह त्योहार संपूर्णता और अविरामता को दर्शाता है। इस दिन लोगों को भगवान की शुभकामनाएं दी जाती हैं। इस दिन दान-धर्म करने से लोगों की मनोकामना पूरी होती है और उन्हें धन, समृद्धि और सुख मिलता है। इस दिन चंदन, जल, अनाज, और धन जैसी वस्तुएं दान की जाती हैं। इसके अलावा लोग अपने परिवार और दोस्तों को उपहार देते हैं।
अक्षय तृतीया का महत्व धर्मिक दृष्टिकोण से भी है। इस दिन लोग धर्मीक जीवन जीने की प्रेरणा लेते हैं और सत्य एवं न्याय की शिक्षा को अपनाते हैं। इस दिन पर महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह ने अपनी अंतिम शिक्षाओं को शुरू किया था जो अर्जुन को मिली थीं। इस दिन का महत्व इसलिए भी है क्योंकि अशुभ कामों से बचाव करने के लिए अधिकतर लोग इस दिन को अनुष्ठान करते हैं।
अक्षय तृतीया का महत्व भारतीय संस्कृति के लिए भी बहुत उच्च है। यह दिन उत्सवों का दिन होता है जब लोग सभी धर्मों के लोग एक साथ मिलकर इस दिन की प्रतिष्ठा करते हैं। इस दिन के अवसर पर लोग खुशियों के जश्न मनाते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियों का अनुभव करते हैं।
अक्षय तृतीया की पूजा विधि
अक्षय तृतीया के दिन लोग सूर्य देवता की पूजा करते हैं। सूर्य देवता के उपासना से समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है। इस दिन घर के दरवाजे पर मंगल कलश लगाया जाता है जिससे समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है। इस दिन का भोजन भी अलग होता है। इस दिन दही और चावल का भोजन करना बहुत शुभ माना जाता है
इस दिन लोग समुद्र मन्थन के दौरान मिले अमृत की याद में सोने की चूड़ी, हीरे और सोने के आभूषण खरीदना भी शुभ माना जाता है।
इस दिन की पूजा में गंगाजल का उपयोग भी किया जाता है। लोग घर में विविध प्रकार के पकवान बनाते हैं जैसे कि पूरी, हलवा, कचौड़ी, मिठाई आदि। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं और उन्हें फूलों और दीपों से सजाते हैं। इस दिन का पर्व हर वर्ष विभिन्न रूपों में मनाया जाता है और लोग अपने-अपने परंपरागत तरीकों से इसे मनाते हैं।
इस दिन अनेक लोग अपनी संतानों को विवाह के लिए शुभ मुहूर्त भी देखते हैं। वैवाहिक समारोहों के लिए यह दिन शुभ माना जाता है। इस दिन लोग अपने लिए नये उपयोगी सामान खरीदते हैं और अपने घर को सजाते हैं।
क्या लिखा है शास्त्रों में
‘अक्षय’ शब्द का मतलब है- जिसका क्षय या नाश न हो। इस दिन किया हुआ जप, तप, ज्ञान तथा दान अक्षय फल देने वाला होता है अतः इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं। भविष्यपुराण, मत्स्यपुराण, पद्मपुराण, विष्णुधर्मोत्तर पुराण, स्कन्दपुराण में इस तिथि का विशेष उल्लेख है। इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका बड़ा ही श्रेष्ठ फल मिलता है। इस दिन सभी देवताओं व पित्तरों का पूजन किया जाता है। पित्तरों का श्राद्ध कर धर्मघट दान किए जाने का उल्लेख शास्त्रों में है। वैशाख मास भगवान विष्णु को अतिप्रिय है अतः विशेषतः विष्णु जी की पूजा करें।
स्कन्दपुराण के अनुसार, जो मनुष्य अक्षय तृतीया को सूर्योदय काल में प्रातः स्नान करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करके कथा सुनते हैं, वे मोक्ष के भागी होते हैं। जो उस दिन मधुसूदन की प्रसन्नता के लिए दान करते हैं, उनका वह पुण्यकर्म भगवान की आज्ञा से अक्षय फल देता है।
भविष्यपुराण के मध्यमपर्व में कहा गया है वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया में गंगाजी में स्नान करनेवाला सब पापों से मुक्त हो जाता है | वैशाख मास की तृतीया स्वाती नक्षत्र और माघ की तृतीया रोहिणीयुक्त हो तथा आश्विन तृतीया वृषराशि से युक्त हो तो उसमें जो भी दान दिया जाता है, वह अक्षय होता है | विशेषरूप से इनमें हविष्यान्न एवं मोदक देनेसे अधिक लाभ होता है तथा गुड़ और कर्पूर से युक्त जलदान करनेवाले की विद्वान् पुरुष अधिक प्रंशसा करते हैं, वह मनुष्य ब्रह्मलोक में पूजित होता है | यदि बुधवार और श्रवण से युक्त तृतीया हो तो उसमें स्नान और उपवास करनेसे अनंत फल प्राप्त होता हैं |
अस्यां तिथौ क्षयमुर्पति हुतं न दत्तं ।
तेनाक्षयेति कथिता मुनिभिस्तृतीया ।
उद्दिश्य दैवतपितृन्क्रियते मनुष्यै: ।
तत् च अक्षयं भवति भारत सर्वमेव ।। – मदनरत्न
अर्थ : भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठरसे कहते हैं, हे राजन इस तिथि पर किए गए दान व हवन का क्षय नहीं होता है; इसलिए हमारे ऋषि-मुनियोंने इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहा है । इस तिथि पर भगवानकी कृपादृष्टि पाने एवं पितरोंकी गतिके लिए की गई विधियां अक्षय-अविनाशी होती हैं ।
अक्षय तृतीया के दिन केसर और हल्दी से देवी लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक परेशानियों में लाभ मिलता है।
अक्षय तृतीया के दिन सोने चांदी की चीजें खरीदी जाती हैं। इससे बरकत आती है। अगर आप भी बरकत चाहते हैं इस दिन सोने या चांदी के लक्ष्मी की चरण पादुका लाकर घर में रखें और इसकी नियमित पूजा करें। क्योंकि जहां लक्ष्मी के चरण पड़ते हैं वहां अभाव नहीं रहता है।
अक्षय तृतीया के दिन 11 कौड़ियों को लाल कपडे में बांधकर पूजा स्थान में रखे इसमें देवी लक्ष्मी को आकर्षित करने की क्षमता होती है। इनका प्रयोग तंत्र मंत्र में भी होता है। देवी लक्ष्मी के समान ही कौड़ियां समुद्र से उत्पन्न हुई हैं।
अक्षय तृतीया के दिन घर में पूजा स्थान में एकाक्षी नारियल स्थापित करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
इस दिन स्वर्गीय आत्माओं की प्रसन्नता के लिए जल कलश, पंखा, खड़ाऊं, छाता, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा आदि फल, शक्कर, घी आदि ब्राह्मण को दान करने चाहिए इससे पितरों की कृपा प्राप्त होती है।
अक्षय तृतीया से जुड़े कुछ मंत्र और श्लोक हैं।
उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मये नमः॥
यह मंत्र धन, समृद्धि और आर्थिक अभाव के खिलाफ लड़ने के लिए देवी लक्ष्मी का आह्वान करने के लिए बहुत शक्तिशाली होता है। इसे मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन इस मंत्र का जाप करने से जीवन में धन और समृद्धि आती है।
- लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु॥
यह श्लोक अर्थात “समस्त लोग सुखी और समृद्ध हों।” अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के आशीर्वाद को आह्वान करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
- अक्षयं तृतीया यत्र दीप दानं सुखप्रदम्।
तत्रापि पूजां कुर्वन्ति तस्मै तुष्टाय विष्णुना॥
इस श्लोक का अर्थ होता है “जहां अक्षय तृतीया में दीप दान एक सुखदायक कार्य होता है, वहां भगवान विष्णु को पूजा की जाती है ।
- श्रीगुरु चरण सरोज रज निजमन मुकुर सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥
यह श्लोक भगवान राम के गुणों का वर्णन करता है। इसे अक्षय तृतीया के दिन भगवान राम के आशीर्वाद के लिए जप किया जाता है।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
यह श्रीकृष्ण जी को समर्पित मंत्र है। इसे अक्षय तृतीया के दिन भगवान वासुदेव के आशीर्वाद के लिए जपा जाता है।
- ॐ नमो नारायणा।
यह श्लोक भगवान विष्णु को समर्पित है। अक्षय तृतीया के दिन इसे जप करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है।
इन मंत्रों और श्लोकों का जप अक्षय तृतीया के दिन धन, समृद्धि और सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
🙏जय श्री राम 🙏
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