स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय क्या है??
जन्माष्टमी 2023 विशेष
आपने पंचांगों में देखा होगा कि भगवान विष्णु के अवतारों और उनसे संबंधित व्रत और त्यौहार दो दिन दिया रहता है उसमें आप देखेंगे तो एक त्यौहार में स्मार्त लिखा होगा और एक में वैष्णव!
सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि स्मार्त और वैष्णव क्या है ?
तभी आप समझ पाएंगे!
स्मार्त:
स्मार्त संप्रदाय के सनातनी जैसे आप और हम सभी देवी-देवता जैसे भगवान शिव, गणेश, देवी दुर्गा सूर्य देव की उपासना करते हैं और उन्हीं के आधार पर उपवास या पर्व मनाते हैं,
कहने का अर्थ है कि जितने भी आप और हम गृहस्थ हैं वे सभी स्मार्त कहलाते हैं।
वैष्णव:
वहीं वैष्णव संप्रदाय के लोग मानते,सभी देवी देवताओं को हैं परंतु केवल भगवान विष्णु और उनके अवतारों पर आधारित उपवास या पर्व रखते हैं ।
कहने का अर्थ यह है कि जिन संन्यासियों ने भगवान विष्णु के नाम की दीक्षा ली हुई है और वह घर-गृहस्थी से अलग है वे सभी वैष्णव कहलाते हैं।
जैसे: रामानंद(जगतगुरु रामभद्राचार्य जी)वल्लभ, निम्बार्क, माध्व, राधावल्लभ इत्यादि!
अब यदि किसी को पंचांग भी देखना ना आए तो इसमें आप और हम क्या कर सकते हैं ऐसा हम आपको नहीं कह रहे हैं उनके लिए कह रहे हैं जिन्हें वैष्णव और स्मार्त में अंतर नहीं पता!
वैष्णव और स्मार्त क्या है इतनी बात यदि गूगल पर भी पूछी जाए तब भी पता चल जाएगी।
चूंकि स्मार्त(गृहस्थ) सप्तमी से युक्त अष्टमी को गृहण करके अष्टमी का व्रत कर सकते हैं और अष्टमी 6 तारीख को दिन में लगभग 3:30 बजे से आ रही है और रात्रि में रोहिणी नक्षत्र से युक्त अष्टमी भी प्राप्त हो रही है अतः स्मार्त (आप और हम) 6 तारीख को करेंगे।
परंतु वहीं दूसरी ओर वैष्णव (संन्यासी) सप्तमी से युक्त अष्टमी को ग्रहण नहीं करते हैं जो कि 6 तारीख को पड़ रही है उनके लिए सूर्योदय में अष्टमी होना आवश्यक है इसीलिए वह 7 तारीख को करेंगे।
जय श्री कृष्ण