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।। श्री राम नवमी ।।

।। श्री राम नवमी ।।

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जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल।

चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल॥

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।

हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी॥

लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुजचारी।

भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी॥

कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता।

माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता॥

करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता।

सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता॥

ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै।

मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै॥

उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।

कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥

माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा।

कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा॥

सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा।

यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा॥

*अर्थात्* योग, लग्न, ग्रह, वार और तिथि सभी अनुकूल हो गए, जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गए। क्योंकि श्रीराम का जन्म सुख का मूल है॥

दीनों पर दया करने वाले, कौसल्याजी के हितकारी कृपालु प्रभु प्रकट हुए । मुनियों के मन को हरने वाले उनके अद्भुत रूप का विचार करके माता हर्ष से भर गई । नेत्रों को आनंद देने वाला मेघ के समान श्याम शरीर था, चारों भुजाओं में अपने खास आयुध धारण किए हुए थे, दिव्य आभूषण और वनमाला पहने थे, बड़े-बड़े नेत्र थे । इस प्रकार शोभा के समुद्र तथा खर राक्षस को मारने वाले भगवान प्रकट हुए ॥ दोनों हाथ जोड़कर माता कहने लगी- हे अनंत ! मैं किस प्रकार तुम्हारी स्तुति करूँ । वेद और पुराण तुम को माया, गुण और ज्ञान से परे और परिमाण रहित बतलाते हैं । श्रुतियाँ और संतजन दया और सुख का समुद्र, सब गुणों का धाम कहकर जिनका गान करते हैं, वही भक्तों पर प्रेम करने वाले लक्ष्मीपति भगवान मेरे कल्याण के लिए प्रकट हुए हैं ॥ वेद कहते हैं कि तुम्हारे प्रत्येक रोम में माया के रचे हुए अनेकों ब्रह्माण्डों के समूह भरे हैं । वे तुम मेरे गर्भ में रहे- इस हँसी की बात के सुनने पर धीर पुरुषों की बुद्धि भी स्थिर नहीं रहती । जब माता को ज्ञान उत्पन्न हुआ, तब प्रभु मुस्कुराए । वे बहुत प्रकार के चरित्र करना चाहते हैं। अतः उन्होंने पूर्व जन्म की सुंदर कथा कहकर माता को समझाया, जिससे उन्हें पुत्र का वात्सल्य- प्रेम प्राप्त हो ( भगवान के प्रति पुत्र भाव हो जाए ) ॥ माता की वह बुद्धि बदल गई, तब वह फिर बोली- हे तात ! यह रूप छोड़कर अत्यन्त प्रिय बाललीला करो, मेरे लिए यह सुख परम अनुपम होगा । माता का यह वचन सुनकर देवताओं के स्वामी सुजान भगवान ने बालक रूप होकर रोना शुरू कर दिया ।

तुलसीदासजी कहते हैं- जो इस चरित्र का गान करते हैं, वे श्री हरि का पद पाते हैं और फिर संसार रूपी कूप में नहीं गिरते ॥

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचन्द्र की जय हो🙏🚩

1 thought on “।। श्री राम नवमी ।।”

  1. What i do not understood is in fact how you’re not really a lot more neatly-liked than you may be right now. You’re very intelligent. You already know thus significantly in relation to this subject, made me in my view consider it from numerous numerous angles. Its like women and men don’t seem to be involved except it?¦s something to do with Woman gaga! Your individual stuffs excellent. At all times handle it up!

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