Namaste, In this video you will learn about the karak tatva of Rashis, this is very basic and important video who wants to learn astrology and become successful in astrology carrer or understanding of astrology.
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ज्योतिष के प्राय: सभी ग्रन्थों में तीसरे, छठे एवं ग्यारहवें भाव व् उनके स्वामियों को पाप फलादाय्क माना गया है | आइये हम गौर करें की इन भावों का हमारे जीवन में क्या महत्व है और क्या त्रिषडाय भावों के स्वामी हमेशा पाप फल्दायक होते हैं |
तृतीय भाव से देखे जाने वाली मुख्य बातें है : साहस, संचार के साधन, नजदीक की यात्रा, छोटे भाई-बहिन, रचनात्मकता , आयु (अष्टम से अष्टम ), सोशल मीडिया, डाक्यूमेंटेशन आदि
छठे भाव से देखे जाने वाली मुख्य बातें है : ऋण रिपु बीमारिया प्रतिद्वंदी ,प्रतियोगिता , स्वास्थ्य, कर्जा, नौकरी , संघर्ष क्षमता, मुक़दमे बाजी , लीगल केस , सर्विस
एकादश भाव: लाभ, इच्छापूर्ति, वैभव, रोग (छठे से छठा), सोशल सर्किल , बड़ा भाई , मित्र सबसे आदर्श स्थिति है की केंद्र व त्रिकोण में शुभ गृह हों व त्रिषडाय भावों में पाप गृह हो | ऐसा बहुत ही भाग्यशाली कुंडलियों में देखने को मिलता है |
केंद्र और त्रिकोण में शुभ गृह होने से व्यक्ति को बिना संघर्ष के सब कुछ प्राप्त हो जाता है | परन्तु अधिकतर कुंडलियों में केंद्र व त्रिकोण में शुभ व् अशुभ गृह दोनों ही होते है | जीवन सुख दुःख की एक यात्रा है | परन्तु अनेकों कुंडलियों में केंद्र त्रिकोण में एक भी शुभ गृह नहीं होता | इसे व्यक्तियों का क्या भविष्य होता है | क्या ये व्यक्ति जीवन में कभी सुखी नहीं रह पाते |
यदि त्रिषडाय भावों के कारकत्व पर विचार करेंगें तो यह पायेंगे की जीवन में विपरीत परिस्थियों में आगे बढ़ने के लिए इन भावों की विशेष आवश्यकता है | जिसमें साहस है , रचनात्मकता है , भाई-बहिनों का साथ है (तृतीय भाव), प्रतियोगिता की भावना हो, श्त्राओं का सामना करने की हिम्मत हो (छठा भाव) इसे व्यक्ति संघर्ष से ही सही लाभ, इच्छापूर्ति और वैभव को प्राप्त कर लेते हैं | यदि केंद्र व त्रिकोण में शुभ गृह न हों तो इसे व्यक्ति के जीवन में अनेक मुसीबतें आती है | इसे में यदि व्यक्ति की कुंडली में त्रिषडाय भावों में पाप गृह नहीं हो तो वह व्यक्ति जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना नहीं कर पाता और अपने भाग्य या भगवान को कोसता रहता है|
परन्तु यदि केंद्र व त्रिकोण में शुभ गृह न हों और त्रिषडाय भावों में पाप गृह हो तो व्यक्ति के जीवन में कोई भी कठिन परिस्थिति आये व्यक्ति घबराता नहीं है और उसका डटकर मुकाबला करता है और एक दिन जरूर कामयाब होता है | इसे व्यक्ति अपने संघर्ष से ही अपने भाग्य का निर्माण करते हैं |
कुंडली में तीसरे भाव में पाप गृह हों वह व्यक्ति साहसी होता है और बहुत देर तक बिना थके काम कर सकता है, बातचीत करने में निपुण होता है और अपने काम में रचनात्मक होता है | इसे व्यक्ति को सफलता ज्ररूर ही मिलती है |
छठे भाव में पाप गृह हों से व्यक्ति में प्रतियोगिता में सफल होने की जिद होती है और वह आसानी से हार नहीं मानता है | वह अपने विरोधियों से लोहा लें की क्षमता रखता है | छठे भाव से हम कर्ज का भी विचार करते हैं और कर्ज कोई बुरी चीज नहीं है | ऐसे व्यक्ति कर्ज लेकर कोई बड़ा कार्य करने से नहीं घबराते | विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष के द्वारा सफल होते हैं |
एकादश भाव लाभ और इच्छापूर्ति का भाव है | यहं प्रया: सभी गृह अच्छा फला देते है | परन्तु राहु जैसे पाप गृह यहाँ पर विशे फल देते हैं | यहं पाप गृह होने से व्यक्ति में आगे बढ़ने की चाहत होती है औउर खा गया है कि “जहाँ चाह वहां राह ” |
कुंडली में कभी भी पाप ग्रहों की दश महादशा से घबराने की आवश्यकता नहीं है | इसे ऐसा माने कि इश्वर आपकी कठिन परीक्षा लेना चाहता है | ध्यानं दें की जो छात्र आईएएस पीसीएस, आईआईटी, नीट इत्यादि जैसी कठिन परीक्षा पास करते हैं वे जीवन में बुलंदियों को प्राप्त करते हैं | इन कठिन परीक्षाओं को पास करने में त्रिषडाय भावों की विशेष भूमिका होती है |
Secret of Trishaday houses: –
Astrology is often considered the third, sixth and eleventh expressions of all texts, their owners have been considered as sin falsities |
Let us see what these expressions of importance have in our lives and whether the masters of trident expressions are always sinful |
The main things to be seen in the third house are :
Courage, means of communication, travel nearby, younger brother-in-law, creativity, age ( VIII to VIII ), social media, documentation etc
The main things to be seen in the sixth sense are: debt repu sickia
Profit, euthanasia, splendor, disease ( sixth to sixth ), social circle, elder brother, friend
The most ideal situation is to have a good house in the center and triangle and a sin house in trident expressions | it is seen in very lucky coils |
Having a auspicious house in the center and triangle gives the person everything without struggle | But most of the coils have both auspicious houses in the center and triangle Is |
Life happiness is a journey of sorrow | But there is not a single auspicious house in the center triangle in the clumps | what future does it have of individuals | is this person in life Never be happy |
If you consider the factor of trident expressions, then it is a special requirement of these expressions to move forward in opposite places in the life of the Pygne | which has courage, creativity , Brothers are with ( Third expressions ), have a sense of competition, dare to face the women ( Sixth expressions ) It benefits right from person struggle, Get the will and glory |
If there are no auspicious houses in the center and triangle, then it brings many troubles in the life of the person | If there is no sin house in the trident in the horoscope of the person, then That person cannot face difficult situations in life and curses his destiny or God |
But if there is no auspicious house in the center and triangle and there is a sin house in the trident, then no difficult situation comes in the life of the person, and he will not compete against it Does and one day definitely succeeds | This person makes his fortune only through his struggle |
In the horoscope, there are sin houses in the third sense, that person is courageous and can work without getting tired for a long time, Is adept at interacting and creative in his work | it is a success for the person |
In the sixth sense, sin houses insist on the person succeeding in the competition and does not give up easily | he has the ability to iron out his opponents Is |
In the sixth sense, we also consider debt and debt is not a bad thing. | Such people do not panic about doing any big work by taking debt | conflict even under opposite circumstances Are successful by |
XI is a sense of profit and euthanasia | here: All houses make good flourish | But sin houses like Rahu give the same fruit here | Being a sin house, one wants to move in person and eat it Is that “ where the road is ” |
There is no need to panic with the Dus Mahadasha of sin planets in the horoscope | consider it as if God wants to take your hard test | Note that the student IAS PCS, They pass difficult exams like IIT, Neat etc. They get highs in life | Trishaday expressions have a special role in passing these difficult exams |
Disclaimer:- The information provided on this content is for education and information purpose to it’s viewer’s based on the astrology or personal experience. You are someone else doesn’t necessarily agree with them part or whole. Therefore you are advised to take any decision in your own discretion . The channel or channel owner will not directly or indirectly responsible in any way.
In this video you will learn about the Basics of the Astrology, Planets, nakshatras and it’s characteristics, so for complete information watch till the end of this video.
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अगर आपकी किस्मत साथ नहीं दे रही तो आप कुछ दिन इन उपायों को आजमाकर देखे आप को कुछ दिनों के अंदर ही फ़र्क़ महसूस होना दिखाई देगा। If your luck is not supporting you, try these remedies for a few days and you will see the difference within a few days.
भाग्य क्या होता है ? – कुछ लोगों का मानना है कि मेहनत से जिंदगी में सब कुछ हासिल किया जा सकता है। What is luck? Some people believe that everything can be achieved in life with hard work.
अब वैसे तो ये बात सच है , लेकिन पूरी तरह से सत्य नहीं है।जीवन में सफलता पाने के लिए मेहनत एवं परिश्रम के साथ-साथ किस्मत का साथ होना भी बहुत जरूरी होता है। कई बार लोगों को मेहनत करने और बार-बार प्रयास करने के बावजूद सफलता नहीं मिल पाती है और इसका कारण होता है भाग्य का साथ ना मिल पाना। बहुत कुछ आपके गृहों और आपकी दशा पर निर्भर करता है । Now this thing is true, but it is not completely true. Along with hard work and hard work, luck is also very important to get success in life. Many times people do not get success despite working hard and trying again and again and the reason for this is that luck is not on their side. A lot depends on your houses and your condition बहुत लोगो की कुण्डली में राजयोग होता है लेकिन उनकी ग्रहों की दशा ऐसी होती है की उनको अपने राजयोग के गृह की दशा नहीं मिल पाती।तो फिर गृह उनको उसके प्रत्यंतर दशा में कुछ लाभ देने की कोशिश करेगा। Many people have Raja Yoga in their Kundli, but their planetary positions are such that they do not get the Dasha of the house of their Raja Yoga. Then the house will try to give them some benefits in its Pratyantar Dasha.
अब कुछ लोग के गृह ऐसे होते है कि उनका जो लग्नेश होता है उनको उसके शत्रु गृह की दशा में ही अपनी ज़िंदगी का महत्वपूर्ण भाग बिताना पड़ता है। जैसी किसी का लग्नेश सिंह है अब उसको शनि की दशा में तो कष्ट उठाना ही पड़ेगा तो अब अगर यही शनि की दशा उसके ज़िंदगी के महत्वपूर्ण भाग जैसे की 25-45 वर्ष में अगर यही दशा पड़ जाये तो उसे भरपूर मेहनत के बाद ही कुछ सफलता मिलेगी Now some people’s houses are such that their ascendant lord has to spend a significant part of their life in the dasha of its enemy house. As someone’s Lagnesh is Leo, now he will have to suffer in the dasha of Shani, so now if this dasha of Shani is an important part of his life, for example, in 25-45 years, if this dasha falls, then he will get some success only after a lot of hard work. will get अब ऐसे ही लोग आपको हर समय ये कहते हुए मिल जाएँगे की हमे तो क़िस्मत का साथ नहीं मिलता बस मेहनत ही मेहनत करनी पड़ती है तो इसमें आपकी क़िस्मत का कोई क़सूर नहीं है ये सब आपके पूर्व जन्म के कर्मों का फल है जिन्हें आपको इस जन्म में भोगना ही है । बस अगर किसी अच्छे गुरु या किसी अच्छे एस्ट्रोलोजर का साथ आपको मिल गया तो आप की राहे आसान हो जायेंगी सफ़र काटने में । Now you will find such people all the time saying that we do not get the support of luck, only hard work has to be done, so there is no fault of your luck in this. I have to suffer. Just if you get the support of a good guru or a good astrologer, then your path will become easy to travel.
तो अगर आपको मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिल पा रही है तो आपको देखना चाहिए कि कहीं आपका भाग्येश तो कमजोर नहीं है। ज्योतिषशास्त्र में भाग्येश उस स्थान को कहा जाता है जो भाग्य के स्थान यानि कुंडली के नवम भाव में मौजूद राशि का स्वामी ग्रह होता है। So if you are not getting success even after working hard, then you should see if your luck is not weak. In astrology, Bhagyesh is called the place which is the lord of the sign present in the place of luck i.e. the ninth house of the horoscope.
अगर किसी जातक की कुंडली के नवम भाव में वृष या तुला राशि है तो उसका भाग्येश शुक्र होगा। आप अपने भाग्येश को मजबूत करने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं। If a person has Taurus or Libra in the ninth house of his horoscope, then his fortune will be Venus. You can take some measures to strengthen your luck.
शुक्र भाग्येश होकर अशुभ फल दे रहा हो Venus is giving inauspicious results due to luck
यदि कुंडली के नवम भाव में तुला या वृषभ राशि है तो आपका भाग्येश शुक्र होगा। वहीं अगर शुक्र भाग्येश के स्थान पर बैठकर शुभ फल नहीं दे पा रहा है तो आपको मां लक्ष्मी की उपासना करनी चाहिए। रोज़ मां लक्ष्मी की आरती करें और शुक्रवार के दिन खीर का भोग लगाएं। If there is Libra or Taurus in the ninth house of the horoscope, then your fortune will be Venus. On the other hand, if Venus is not able to give auspicious results by sitting in place of Bhagyesh, then you should worship Maa Lakshmi. Perform aarti of Maa Lakshmi everyday and offer kheer on Fridays.
महिलाओं का सम्मान करे और किसी कन्या को सफ़ेद रंग के वस्त्रों का दान अगर कर सके तो अच्छे परिणाम देगा । Respect women and if you can donate white clothes to a girl, it will give good results.
बुध की स्थिति खराब हो bad position of mercury
अगर आपकी कुंडली में बुध भाग्येश होकर आपको अच्छा फल नहीं दे पा रहा है तो आपको रोज़ भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। बुध ग्रह का स्वामी भगवान गणेश हैं और इसलिए इस ग्रह को मजबूत करने के लिए भगवान गणेश की पूजा की जाती है। बुधवार के दिन गाय को हरे रंग का चारा खिलाएं और तांबे का कड़ा धारण करें। बुध मंत्र का जाप भी शुभ परिणाम देगा । If Mercury in your horoscope is not giving you good results due to luck, then you should worship Lord Ganesha daily. Lord Ganesha is the lord of the planet Mercury and hence Lord Ganesha is worshiped to strengthen this planet. Feed green fodder to the cow on Wednesday and wear a copper bangle. Chanting of Budh Mantra will also give auspicious results.
भाग्येश में चंद्रमा अशुभ हो inauspicious moon
जन्मकुंडली में भाग्येश के स्थान पर चंद्रमा बैठा हो और अशुभ फल दे रहा तो आपको सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। चांदी के गिलास में पानी पीने से लाभ होता है। If the Moon is sitting at the place of Bhagyesh in the horoscope and is giving inauspicious results, then you should worship Lord Shiva on Monday. Drinking water in a silver glass is beneficial.
ओम नमः शिवाय का जाप करे और शिवलिंग में दूध या जल चढ़ायें। Chant Om Namah Shivay and offer milk or water to the Shivling.
बृहस्पति हो कमजोर Jupiter is weak
भाग्येश में बृहस्पति कमजोर हो और इस वजह से आपको भाग्य का साथ नहीं मिल पा रहा हो तो आपको भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहिए। केसर या हल्दी का तिलक लगाकर घर से निकलें। विष्णु सहस्त्रानाम सुने If Jupiter is weak in Bhagyesh and because of this you are unable to get the support of luck, then you should please Lord Vishnu. Leave the house by applying saffron or turmeric tilak. Listen to Vishnu Sahastranam
मंगल की वजह से हो रहा हो अमंगल Inauspicious things are happening because of Mars.
मंगल की अशुभ स्थिति के कारण भी भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है। ऐसे में आपको मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करें। Due to the inauspicious position of Mars, luck is not on your side. In such a situation, you should worship Hanuman ji on Tuesday. Recite Sunderkand and Hanuman Chalisa.
मंगल का सबसे अच्छा उपाय है आप नियमित अंतराल में ब्लड डोनेशन करते रहे और नियमित व्यायाम या खेल कूद में संलग्न रहे ।The best remedy for Mars is that you keep donating blood at regular intervals and engage in regular exercise or sports.
शनि दे रहा हो अशुभ फल Shani is giving inauspicious results
अगर शनि देव नाराज़ हो जाएं तो आप खुद ही समझ सकते हैं कि आपके जीवन में हर समय परेशानियां ही होंगीं। शनि देव को प्रसन्न करने के लिए जितना हो सके काले और नीले रंग के वस्त्रों और चीज़ों का प्रयोग करें। शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीया जलाएं और हनुमान जी की उपासना करें। If Shani Dev gets angry, then you can understand yourself that there will be problems in your life all the time. Use black and blue colored clothes and things as much as possible to please Shani Dev. Light an oil lamp under the Peepal tree on Saturday and worship Hanuman ji. शनि देव न्याय प्रिय गृह है तो इस समय आप कुछ भी ऐसा ना करे जिसमे नियम क़ायदे टूटे जैसे की रोड का सिग्नल तोड़ने , इनकम टैक्स या कोई भी टैक्स ग़लत भरना या कोई भी ऐसा काम जिसमे आपके अधीनस्थ कर्मचारी को कष्ट हो मत करे। नियम क़ायदे का पालन करे Shani Dev is the home of justice, so at this time you should not do anything in which rules and regulations are broken, such as breaking road signals, paying income tax or any tax wrongly, or any such work in which your subordinate employee should suffer. obey the rules
सूर्य का असर रहे अशुभ inauspicious effect of sun
सूर्य देव तो हैं ही सफलता के कारक और अगर ये भाग्येश में अशुभ फल दे रहे हैं तो फिर आपको भाग्य का साथ मिल ही नहीं सकता है। रोज़ सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक किसी भी समय गायत्री मंत्र का जाप करें। सुबह स्नान के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं। पिता जी का सम्मान करे उनके पैर छूके घर से बाहर जाये । रविवार को आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करे । Sun God is the factor of success and if it is giving inauspicious results in fortune, then you cannot get luck’s support. Chant Gayatri Mantra daily at any time from sunrise to sunset. After taking bath in the morning, offer water to the Sun from a copper vessel. Respect father, touch his feet and go out of the house. Recite Aditya Hridaya Stotra on Sundays.
अगर आपको भाग्य का साथ नहीं मिल पा रहा है तो इन उपायों से आप अपनी किस्मत को चमका सकते हैं। अपने ईष्ट देव का बीज मंत्र वह गुरु प्रदत मंत्र रोज़ पढ़ने से भी आपको भाग्य का साथ मिल सकता है । If you are not able to get the support of luck, then with these measures you can brighten your luck. You can also get the support of luck by reciting the Beej Mantra of your favorite God and the mantra given by the Guru daily.
उपरोक्त उपाय जनरल या सामान्य उपाय है कुंडली विशेष या जातक विशेष उपाय उसके कुंडली में गृहों की स्थिति और दशा पर निर्भर करेगी इसके लिए किसी योग्य गुरु को पकड़े या आप हमे संपर्क कर सकते है । The above measures are general or general measures, Kundli special or Jatak special measures will depend on the position and condition of the houses in his horoscope, for this hold a qualified Guru or you can contact us.
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वैदिक पंचांग दिनांक – 17 फरवरी 2023 दिन – शुक्रवार विक्रम संवत – 2079 शक संवत -1944 अयन – उत्तरायण ऋतु – शिशिर ॠतु मास – फाल्गुन ( गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार माघ) पक्ष – कृष्ण तिथि – द्वादशी रात्रि 11:36 तक तत्पश्चात त्रयोदशी नक्षत्र – पूर्वाषाढा रात्रि 08:28 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा योग – सिध्दि रात्रि 11:45 तक तत्पश्चात व्यतिपात राहुकाल – सुबह 11:27 से दोपहर 12:53 तक सूर्योदय- 07:09 सूर्यास्त – 18:36 👉दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभ आशीष दिनांक 17 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 8 होगा। आप अपने जीवन में जो कुछ भी करते हैं उसका एक मतलब होता है। आपके मन की थाह पाना मुश्किल है। आपको सफलता अत्यंत संघर्ष के बाद हासिल होती है। कई बार आपके कार्यों का श्रेय दूसरे ले जाते हैं।
यह ग्रह सूर्यपुत्र शनि से संचालित होता है। इस दिन जन्मे व्यक्ति धीर गंभीर, परोपकारी, कर्मठ होते हैं। आपकी वाणी कठोर तथा स्वर उग्र है। आप भौतिकतावादी है। आप अदभुत शक्तियों के मालिक हैं।
शुभ दिनांक : 8, 17, 26
शुभ अंक : 8, 17, 26, 35, 44
शुभ वर्ष : 2024, 2042
ईष्टदेव : हनुमानजी, शनि देवता
शुभ रंग : काला, गहरा नीला, जामुनी
कैसा रहेगा यह वर्ष शत्रु वर्ग प्रभावहीन होंगे, स्वास्थ्य की दृष्टि से समय अनुकूल ही रहेगा। सभी कार्यों में सफलता मिलेगी। जो अभी तक बाधित रहे है वे भी सफल होंगे। व्यापार-व्यवसाय की स्थिति उत्तम रहेगी
मेष दैनिक राशिफल (Aries Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए भाग्य के दृष्टिकोण से उत्तम रहने वाला है। कार्यक्षेत्र में आपकी छवि निखारकर आएगी और आप अपने से ज्यादा औरों के कामों की चिंता करेंगे, जो आपके लिए भी नुकसानदायक रहेगा, लेकिन आपको धार्मिक गतिविधियों से जुड़ने का मौका मिलेगा। मित्रों के साथ आप कहीं बाहर जाने की योजना बना सकते हैं। आध्यात्मिक कार्य के प्रति भी आपकी रुचि बढ़ेगी। यदि आपका कोई कानूनी मामला लंबे समय से विवादित है, तो उसमें आपको कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है।
वृष दैनिक राशिफल (Taurus Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए स्वास्थ्य के मामले में नरम गरम रहने वाला है। आपको अक्समात लाभ मिलने से आपका मन प्रसन्न रहेगा। आप अपने परिजनों की सलाह पर चलकर अच्छा नाम कमाएंगे और व्यापार में आप किसी से कोई समझौता ना करें। यदि आप किसी यात्रा पर जा रहे हैं, तो उसमें वाहन बहुत ही सावधानी से चलाएं, नहीं तो किसी दुर्घटना के होने का भय सता रहा है। आज आपको संतान पक्ष की ओर से कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है।
मिथुन दैनिक राशिफल (Gemini Daily Horoscope) आज का दिन आपके साहस और पराक्रम में वृद्धि लेकर आएगा। कार्यक्षेत्र में आपको कोई बड़ी उपलब्धि मिलने से आप प्रसन्न रहेंगे, लेकिन व्यापार कर रहे लोगों को किसी बड़े लाभ के चक्कर में लाभ के अवसर को हाथ से जाने नहीं देना है, नहीं तो आपको समस्या हो सकती है। दांपत्य जीवन में सरसता बनी रहेगी और नेतृत्व क्षमता को बल मिलेगा। आपकी अपने माता-पिता से किसी बात पर लेकर बहसबाजी हो सकती है, लेकिन आपको बड़ों की बात सुनना व समझना बेहतर होगा।
कर्क दैनिक राशिफल (Cancer Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए मेहनत से कार्य करने के लिए रहेगा। नौकरी में कार्यरत लोग अच्छा प्रदर्शन करके अधिकारियों का दिल जीतने में कामयाब रहेंगे और आप अपनी वाणी व व्यवहार से सभी को एकजुट बनाए रखेंगे। आपको अपने लेनदेन के मामलों में सावधानी अवश्य बरतनी होगी, नहीं तो कोई आपके साथ धोखा कर सकता है। आप अत्यधिक लाभ के चक्कर में ज्यादा धन का निवेश ना करें, नहीं तो आप कहीं गलत धन लगा सकते हैं। मामा पक्ष आज आपको धन लाभ मिलता दिख रहा है।
सिंह दैनिक राशिफल (Leo Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए बाकी दिनों की तुलना में बेहतर रहने वाला है। आपको कार्यक्षेत्र में बहुत ही सावधानी और सतर्कता बरतनी होगी। यदि आपने किसी काम को जूनियर के भरोसे छोड़ा, तो उसमें कोई बहुत बड़ी गड़बड़ी हो सकती है। यदि प्रेम जीवन जी रहे लोग साथी की बातों में आकर कोई बड़ा निवेश करेंगे, तो उन्हें कोई नुकसान हो सकता है। आप अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाएंगे। काम को समय से पूरा करें आप अपनी यदि आपने अपने डेली रूटीन में कुछ बदलाव है आपके लिए समस्या लेकर आ सकता है।
कन्या दैनिक राशिफल (Virgo Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए बुद्धि और विवेक से निर्णय लेने के लिए रहेगा। आपको किसी की कही सुनी बातों पर भरोसा करने से बचना होगा, नहीं तो कोई वाद विवाद पनप सकता है और आप अपने अनुभव का पूरा लाभ उठाएंगे। वरिष्ठ सदस्य यदि आपसे कोई बात कहे, तो उसे समय रहते पूरा करें। आपकी कोई पुरानी गलती लोगों के सामने आ सकती है। विद्यार्थी अपने कामों को लेकर यदि परेशान चल रहे थे, तो उन्हें उससे छुटकारा मिलेगा और आपको एक से अधिक स्रोतों से प्राप्त होने से आपकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत रहेगी।
तुला दैनिक राशिफल (Libra Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए अनुकूल रहने वाला है। आपके साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी और नौकरी में कार्यरत लोगों को प्रमोशन मिल सकता है, जो उनकी प्रसन्नता का कारण बनेगा। आप सबको साथ लेकर चलने की कोशिश में लगे रहेंगे और आपका कोई चल अचल संपत्ति संबंधित विवाद चल रहा है, तो उसमें भी आज आपको जीत मिलेगी। आज आपके अंदर बाहर आएगी जिसे देखकर लोग हैरान हो सकते हैं रोजगार की तलाश में कर रहे लोगों को आज कोई बेहतर अवसर मिल सकता है।
वृश्चिक दैनिक राशिफल (Scorpio Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए उन्नति दिलाने वाला रहेगा। आपके परिजनों की सलाह आपके लिए कारगर सिद्ध होगी और आप अपने करीबियों से मेलजोल बढ़ाने में कामयाब रहेंगे। घर परिवार में आपको किसी सदस्य की कोई बात बुरी लग सकती है। आप आज सभी का दिल जीतने में कामयाब रहेंगे और जीवनसाथी के साथ आप कुछ प्यार भरे पल व्यतीत करेंगे। आपको अपने पारिवारिक मामलों में किसी बाहरी व्यक्ति से सलाह नहीं करना है।
धनु दैनिक राशिफल (Sagittarius Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए खुशियों भरा रहने वाला है। आपको कुछ नये संपर्कों से लाभ मिलेगा। रक्त संबंधी रिश्ते में मजबूती आएगी। रचनात्मक कार्य से आपको जुड़ने का मौका मिलेगा और आपकी कुछ रसूखदार लोगों से मुलाकात होगी। अपने व्यवसाय में आप कुछ नई योजनाओं की शुरुआत कर सकते हैं। आपके चारों ओर का वातावरण सुखमय रहेगा और आपको एक के बाद एक शुभ सूचना सुनने को मिलती रहेगी।
मकर दैनिक राशिफल (Capricorn Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए अपने आवश्यक कार्य को समय रहते पूरा करने के लिए रहेगा। दान पुण्य के कार्यों के प्रति आपकी रुचि बढ़ेगी और जल्दबाजी में आप कोई काम ना करें। जिम्मेदारी से काम करना आज आपके लिए अच्छा रहेगा। आपको कार्यक्षेत्र में कुछ ठगी और अपने शत्रुओं से सावधान रहना होगा, नहीं तो वह आपके बनते हुए कामों में रोड़ा अटकाने की पूरी कोशिश कर सकते हैं। आपके कुछ निवेश संबंधी योजनाएं आज लटक सकती हैं। विद्यार्थियों को बौद्धिक व मानसिक बोझ से छुटकारा मिलता दिख रहा है।
कुंभ दैनिक राशिफल (Aquarius Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए आर्थिक दृष्टिकोण से उत्तम रहने वाला है। आपको कोई बड़ी उपलब्धि मिलने से आपका मन प्रसन्न रहेगा और आय के भी कुछ नए स्त्रोत प्राप्त होंगे। आपके अंदर आत्म सम्मान की भावना बनी रहेगी। आपको लंबे समय से रुका हुआ धन मिलने से आपकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहेगा। आपके धन-धान्य में वृद्धि होने से आप प्रसन्न रहेंगे और आप कुछ कामों को लेकर यदि परेशान चल रहे थे, तो उनमें भी आपको परिवार के सदस्यों का पूरा साथ मिलेगा और व्यावसायिक गतिविधियां भी बेहतर रहेंगी।
मीन दैनिक राशिफल (Pisces Daily Horoscope) आज का दिन आपके लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा। कारोबार में यदि मंदी को लेकर आप परेशान चल रहे थे, तो आज आपको कोई अच्छा लाभ मिल सकता है। पैतृक संपत्ति संबंधित यदि कोई मामला कानून में चल रहा है, तो उसमें आपको जीत मिलती दिख रही है। कार्यक्षेत्र में आप अपने अनुभवों का पूरा लाभ उठाएंगे और आप किसी पर आंख मूंदकर भरोसा ना करें। आपके सामने यदि कोई वाद-विवाद की स्थिति उत्पन्न हो, तो उसमें आपको चुप रहना बेहतर रहेगा
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स्नान के पश्चयात शुद्ध होकर पूजा की सम्पूर्ण सामग्री लेकर शिव मंदिर जाएँ (भक्तगण घर पर भी शिव पूजा कर सकते हैं)। सर्वप्रथम गौरी-गणेश का पूजन करें। उसके पश्च्यात शिव वंदना करें :-
Method: After bathing, being pure, go to the Shiva temple with all the worship materials (devotees can also worship Shiva at home). First of all worship Gauri-Ganesh. After that worship Shiva :-
वन्दे देव उमापतिं सुरगुरुं, वन्दे जगत्कारणम् l
वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं, वन्दे पशूनां पतिम् ll
वन्दे सूर्य शशांक वह्नि नयनं, वन्दे मुकुन्दप्रियम् l
वन्दे भक्त जनाश्रयं च वरदं, वन्दे शिवंशंकरम् ll
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम् ॥
परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥
वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥
मृत्युञ्जय महारुद्र त्राहि मां शरणागतम्।
जन्म मृत्युजराव्याधिः पीड़ितं कर्म बन्धनैः ।।
अभिषेक के समय रुद्राभिषेकस्त्रोत्र, शिवमहिम्नस्तोत्र, श्रीरुद्रष्टकम, अथवा शिवतांडवस्तोत्रम का पाठ शिव को अत्यंत प्रसन्नता प्रदान करता है। परन्तु अगर आप इनका पाठ नहीं कर सकते तो “नमः शिवाय” का ही जप करें। यह शिव का सबसे सुन्दर तथा आसान, पञ्चाक्षर मंत्र है। The recitation of Rudrabhishekastrotra, Shivamahimnastotra, Srirudrashtakam, or Shivatandavastotram at the time of consecration gives immense pleasure to Shiva. But if you cannot recite them, then chant “Namah Shivay”. This is the most beautiful and easy, five letter mantra of Shiva.
सबसे पहले शिवलिंग पर जल अर्पित करें First of all offer water on Shivling
जलस्नान के बाद शिवलिंग को दूध से स्नान कराएं। फिर से जल से स्नान कराएं। After water bath, bathe the Shivling with milk. Take a bath with water again.
उसके बाद दही से स्नान कराएं। इसके बाद जल से स्नान कराएं। After that give a bath with curd. After this give a bath with water.
दही स्नान के बाद घी स्नान कराएं। इसके बाद जल से स्नान कराएं। Take ghee bath after curd bath. After this take a bath with water.
घी स्नान के बाद मधु यानी शहद से स्नान कराएं। इसके बाद जल से स्नान कराएं। After ghee bath, bathe with honey. After this take a bath with water.
शहद स्नान के बाद शर्करा या शक्कर से स्नान कराएं। इसके बाद जल स्नान कराएं। After honey bath, take bath with sugar or sugar. After this give water bath.
आखिर में सभी पांच चीजों को मिलाकर पंचामृत बनाकर स्नान कराएं। और “ॐ नमो नमः शिवाय” मंत्र से पूजा करें। In the end, make Panchamrit by mixing all the five things and take a bath. And worship with the mantra “Om Namo Namah Shivay”.
पंचामृत स्नान के बाद शुद्धजल से स्नान कराएं। Give bath with pure water after Panchamrit bath.
फिर कर्पूर से सुगंधित शीतल जल चढ़ाएं। Then offer soft water scented with camphor.
केसर को चंदन से घिसकर तिलक लगाएं। Rub saffron with sandalwood and apply Tilak.
अक्षत (चावल बिना टूटे) अर्पित करें, काले तिल अर्पित करें Offer Akshat (unbroken rice), offer black sesame seeds
फिर धतूरा, भांग, बिल्वपत्र, अक्षत, पुष्प और गंध चढ़ावें। Then offer Datura, Bhang, Bilvapatra, Akshat, Pushpa and Gandh. बिल्वाष्टक बोलते हुए तीन पत्ती वाला बिल्व पत्र शिवलिंग पर इस तरह समर्पित करें की चिकना भाग नीचे रह कर शिवलिंग को स्पर्श करे। While reciting Bilvashtak, dedicate a three-leafed Bilva leaf on the Shivling in such a way that the smooth part touches the Shivling by remaining at the bottom. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जो शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर को बिल्वपत्र चढ़ाता है, वह पत्र-संख्या के बराबर युगों तक कैलास में सुख पूर्वक वास करता है। पुनः श्रेष्ठ योनि में जन्म लेकर भगवान शिव का परम भक्त होता है। विद्या, पुत्र, सम्पत्ति, प्रजा और भूमि-ये सभी उसके लिए सुलभ रहते हैं। According to the Brahmavaivarta Purana, one who offers bilvapatra to Lord Shankar on the day of Shivratri, lives happily in Kailasa for ages equal to the number of leaves. By taking birth again in the best birth, he is the ultimate devotee of Lord Shiva. Knowledge, sons, wealth, subjects and land – all these remain accessible to him.
किसी भी प्रकार की परेशानी दूर करने के लिए या मनोकामना पूर्ती के लिए 1000 बिल्व पत्र शिव सहस्त्रनाम का पाठ करते हुए अर्पित करें अथवा श्रीशिवाष्टोत्तरशतनामावलिःका पाठ करते हुए 108 बिल्वपत्र अर्पित करें To remove any kind of trouble or to fulfill wishes, offer 1000 bilvapatra while reciting Shiva Sahastranam or offer 108 bilvapatra while reciting Shree Shivashtottarshatanamavali:
इसके बाद धूप, दीप और नैवेद्य भगवान शिव को अर्पित करें। After this offer incense, lamp and naivedya to Lord Shiva.
उसके बाद नंदीश्वर, वीरभद्र, कार्तिकेय और कुबेर का पूजन करें। After that worship Nandishwar, Virbhadra, Kartikeya and Kuber.
अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांग और अपनी कामनाओं के लिए शिव से प्रार्थना करें। At the end, ask for forgiveness for the mistakes made in worship and pray to Shiva for your wishes.
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Vedic astrology, also known as Jyotish, is a system of astrology that originated in ancient India. One of the key concepts in Vedic astrology is the use of Nakshatras, or lunar mansions, to understand the energies and influences present in a person’s life. In this blog post, we will explore what Nakshatras are, how they are used in Vedic astrology, and how understanding them can provide insight into our lives.
What are Nakshatras? Nakshatras are 27 lunar mansions that divide the zodiac into 27 equal parts. Each Nakshatra is associated with a specific star or group of stars and is named after the star or group of stars it represents. The Nakshatras are used to understand the energies and influences that are present in a person’s life at a given time.
How are Nakshatras used in Vedic astrology? In Vedic astrology, the position of the Moon at the time of a person’s birth is used to determine their Nakshatra. This Nakshatra, along with the person’s birth chart, is used to understand their personality, strengths, weaknesses, and potential life path.
How can understanding Nakshatras provide insight into our lives? By understanding the energies and influences associated with our Nakshatra, we can gain insight into our own strengths and weaknesses, as well as potential challenges and opportunities that may arise in our lives. This knowledge can be used to make more informed decisions and take steps towards living a more fulfilling life.
Nakshatras are an important concept in Vedic astrology that can provide valuable insight into our lives. By understanding our own Nakshatra and the energies and influences it represents, we can make more informed decisions and take steps towards living a more fulfilling life.
Note: It’s always good to consult an expert astrologer before interpreting your Nakshatra as it’s a complex system, and based on the expert astrologer’s understanding and knowledge
नक्षत्र और कुछ नहीं बल्कि राशियों का एक उपखंड है। जैसा कि हम पहले से ही जानते हैं कि राशि चक्र को 12 राशियों में बांटा गया है।वैदिक ज्योतिषियों ने आगे 12 राशियों को 27 नक्षत्रों में विभाजित किया, 9 नक्षत्रों की दर से चार राशियों में।प्रत्येक नक्षत्र को अपना प्रतीक, देवता, ग्रह स्वामी, ऊर्जा आदि सौंपा गया है, और इसलिए इसकी अपनी अनूठी विशेषताएं है. प्रत्येक नक्षत्र को आगे चार चरणों में विभाजित किया गया था, प्रत्येक का अपना ग्रह स्वामी था। इसलिए ऐसा होता है कि राशि को 108 अलग-अलग वर्गों में विभाजित किया जाता है, प्रत्येक उस स्थानिक बिंदु पर अपने स्वयं के गुणों का योगदान देता है, और, ग्रहों की स्थिति के आधार पर,अध्ययन के तहत कुंडली के व्यक्तित्व विशेषताओं का निर्धारण करता है।दूसरे शब्दों में, कुंडली की ज्योतिषीय विशेषताएं इस से प्रभावित होंगी: राशि चक्र में ग्रहों की स्थिति के संकेत राशियों के स्वामी नक्षत्र और उसकेस्वामी, और पद स्वामी। बेशक, यह देखा जा सकता है कि पाद वास्तव में नवांश हैं, संकेतों का नौ गुना विभाजन।स्पष्ट रूप से, अब, नक्षत्रों की प्रणाली की सहायता के बिना किसी चार्ट का ज्योतिषीय चित्रण इतना अधिक समृद्ध और व्यापक हो जाता है।इसके अलावा, नक्षत्रों को कई और विशेषताओं के लिए माना जाता है।उनके साथ ऊर्जा (या गुण) जुड़ी हुई हैं, और जीवन के कुछ विशेष उद्देश्य हैं। उनका भी लिंग है।इसके अलावा, उन्हें कुछ जानवरों और उनकी विशेषताओं के साथ भी पहचाना जाता है, जिन्हें उनके उद्यम, ड्राइव, गतिविधि और इसी तरह के संदर्भ में देखा जाता है। गुण तीन प्रकार के होते हैं – रजस, तमस और सात्विक।रजस ‘कार्रवाई’ या ‘गतिविधि’ से संबंधित है| तमस का संबंध ‘जीने’ या ‘जीवन का अनुभव’ से है, और सात्विक ऊर्जा आत्मा के चिंतन, त्याग और मुक्ति के ‘पोस्ट-मैटेरियल’ दर्शन से संबंधित है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सभी नक्षत्रों में तीनों ऊर्जाएं होती हैं, प्रत्येक एक अलग हद तक।यह भी याद रखना चाहिए कि एक नक्षत्र की मूल राशि में स्वयं बहुत सारे गुण होते हैं, जो एक नक्षत्र की प्रकृति को निर्धारित करने में एक बड़ी भूमिका निभाएंगे। सभी संकेत इन चार तत्वों या ‘जीवन के उद्देश्यों’ में से एक के अंतर्गत आते हैं – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष धर्म (या अग्नि) ‘कर्तव्य-उन्मुख’ है अर्थ (या पृथ्वी) ‘काम और कमाई-उन्मुख’ है काम (या वायु) ‘इच्छा-उन्मुख’ है मोक्ष (या जल) ‘मुक्ति-उन्मुख’ है इस पुस्तक में, हम प्रत्येक नक्षत्र को उसके गुणों के साथ कवर करेंगे और यह वास्तव में क्या दर्शाता है।निम्नलिखित में प्रत्येक नक्षत्र में निम्नलिखित जानकारी है: संस्कृत नाम, और तमिल नाम (यदि भिन्न हो) नक्षत्र के नक्षत्र के शासक
ग्रह की राशि चक्र नक्षत्र के गुण (गुण) के नक्षत्र के शासक देवता नक्षत्र की विशेषताएं अधिकांश लोगों को शायद आश्चर्य होगा: तो किसी व्यक्तका सबसे महत्वपूर्ण नक्षत्र क्या है? या, कौन सा नक्षत्र मेरा प्रतिनिधित्व करता है? वैदिक ज्योतिष चार्ट (सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, राहु और केतु) में 9 ग्रह हैं। हमारे पास चार्ट का लग्न या लग्न भी है।उपरोक्त सभी अपने अपने नक्षत्रों में स्थित हैं, और ये सभी किसी न किसी रूप में महत्वपूर्ण हैं,लेकिन, हमेशा की तरह, कुछ ग्रहों को दूसरों की तुलना में अधिक प्राथमिकता दी जाती है। परंपरागत रूप से, वैदिक ज्योतिष में, चंद्रमा को किसी व्यक्ति की कुंडली में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह (या ग्रह) माना जाता है।ऐसा इसलिए है क्योंकि चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है, किसी व्यक्ति का आंतरिक भावनात्मक श्रृंगारचंद्रमा दर्शाता है कि कोई व्यक्ति वास्तव में क्या या कौन है। इसलिए चंद्रमा जिस नक्षत्र में स्थित होता है उसे सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। इसके बाद लग्न या लग्न आता है यह राशि चक्र में सबसे पूर्वी बिंदु है, जब व्यक्ति का जन्म हुआ था लग्न हर 2 घंटे में बदलता है, इसलिए लग्न की गणना के लिए जन्म का सही समय आवश्यक है लग्न को वह मुखौटा माना जाता है जिसे कोई व्यक्ति दुनिया का सामना करते समय अपने सामने या खुद के सामने पहनताहैदूसरे शब्दों में, लग्न वह है जो लोग खुद को (अनैच्छिक रूप से) दिखाते हैं जो व्यक्ति (चंद्रमा) की वास्तविक प्रकृति से बहुत अलग हो सकता हैतो लग्न का नक्षत्र, या लग्न भगवान का नक्षत्र, प्राथमिकता के क्रम में अगला महत्वपूर्ण नक्षत्र है।सूर्य व्यक्ति के अहंकार का प्रतिनिधित्व करता है, या व्यक्ति इस दुनिया में सचेत रूप से क्या करने, या होने के लिए निर्धारित करता है।जिस नक्षत्र में सूर्य किसी व्यक्ति की कुंडली में स्थित होता है, वह प्राथमिकता में दूसरे स्थान पर आता हैअंत में, यदि ग्रहों का एक समूह किसी विशेष नक्षत्र में स्थित है, तो वह उस नक्षत्र को करीब से देखना चाहता है, क्योंकि इसके गुणों को व्यक्ति या मूल के भीतर बहुत बढ़ाया जाएगा आइए अब हम 27 नक्षत्रों में से प्रत्येक पर जाएं, और उनके रहस्यों को उजागर करने का प्रयास करें।
अश्विनी मेष राशि में है, जिस पर मंगल का शासन हैनक्षत्र स्वामी केतु है, जो कई तरह से मंगल की नकल करता है, लेकिन आंतरिक और मौन तरीके से। इसलिए अश्विनी जातकों में साहसी, साहसी, आवेगी, प्रत्यक्ष और स्वतंत्र होने जैसे मंगल गुणों की अधिकता होती है।वे बहुत सी चीजों की शुरुआत करते हैं, लेकिन उन्हें पूरी तरह से देखने के लिए धैर्य की कमी होती है। अश्विनी का चिन्ह घोड़े का सिर है।इसलिए वे सचमुच मजबूत ऊर्जा और बहुत साहस के साथ जीवन में सरपट दौड़ते हैं। मंगल एक युवा राशि भी है।ये लोग बहुत आत्मविश्वास प्रदर्शित करते हैं, लेकिन ये जो कुछ भी करते हैं उसमें अहंकारी और बहुत भव्य भी होते हैं।यहाँ सूर्य (राजा) उच्च का है, जबकि शनि (सामान्य) यहाँ नीच का है। ये लोग जन्मजात नेता होते हैं।चूंकि अश्विनी पहला नक्षत्र है, यह आत्मा की यात्रा के प्रारंभिक चरणों का प्रतिनिधित्व करता है।तो यह लगभग बचकाना है और अपने व्यवहार में बहुत मासूम है।केतु एक ड्रिफ्टर है, जो मंगल की ऊर्जा के साथ मिलकर अश्विनी जातकों को यात्रा में बहुत रुचि रखता है।केतु एक उपचारक भी है, और मंगल कटने और तेज धातुओं के साथ काम करने का काम करता है।अश्विनी के देवता अश्विन जुड़वां हैं – देवताओं के चिकित्सक। ये लोग बहुत अच्छे डॉक्टर और सर्जन भी बना सकते हैं।
2. भरणी
रेंज: 13˚20′ मेष – 26˚40′ मेष
शासक ग्रह: शुक्र
देवता: यम (मृत्यु के देवता)
गुना: राजसी
प्रतीक: योनि (महिला प्रजनन अंग)
विशेषताएं
भरणी नक्षत्र मेष (जिसका राशि स्वामी मंगल है), और शुक्र – इसके नक्षत्र स्वामी की ऊर्जाओं को जोड़ता है। इस नक्षत्र में शुक्र मेष राशि की अपघर्षक ऊर्जा को कुछ हद तक नरम करता है। शुक्र प्रेम, इच्छा, आराम, सौंदर्य, सौभाग्य, रचनात्मकता और कलाओं का ग्रह है – ये सभी भरणी जातकों में देखे जा सकते हैं। मंगल तब बहुत अधिक लचीलापन, जुनून, प्रवृत्ति, उत्साह और ऊर्जा प्रदान करता है। मंगल के परस्पर विरोधी प्रभाव – एक उग्र और मर्दाना ग्रह, और शुक्र – एक सुखदायक और स्त्री ग्रह – उन्हें बहुत सारे परिवर्तनों से गुजरना पता है और उन्हें कुछ हद तक अनिश्चित बना देता है, क्योंकि विपरीत ऊर्जा उन्हें अलग-अलग दिशाओं में खींचती है, भ्रमित हो सकती हैभरणी के देवता यम हैं, जो मृत्यु के देवता हैं। इससे ये लोग अपने जीवन में कष्ट झेलते हैं।ऐसा लगता है कि उन्हें थोड़ी सी भी गलतियों के लिए दंडित किया जाता है। इस नक्षत्र का प्रतीक योनि है, जो महिला यौन अंग है।नतीजतन, वे बेहद कामुक हो सकते हैं (मंगल और शुक्र दोनों कामुकता के ग्रह हैं, क्रमशः मर्दाना और स्त्री ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते हैं)।लेकिन वे इस दुनिया में जीवन लाने की प्रक्रिया को भी दर्शाते हैं, और मानवता का समर्थन करने में मदद करने के लिए एक बैसाखी के रूप मेंकार्य करते हैं। यह उन्हें उत्कृष्ट परामर्शदाता और नर्स बनाता है।
3. कृतिका/कार्तिगई
रेंज: 26˚40′ मेष – 10˚ वृषभ
सत्तारूढ़ ग्रह: सूर्य देवता: आगी (अग्नि के देवता) गुना: राजसी
प्रतीक: भाला
विशेषताएं
जैसा कि इसका प्रतीक (भाला) इंगित करता है, कृतिका नक्षत्र के जातक बहुत सीधे, कुंद और आलोचनात्मक होते हैं – खासकर यदि वे पहले की डिग्री में आते हैं, जो दो अति-उग्र ग्रहों – सूर्य और मंगल के प्रभाव में आते हैं।वे बहुत छोटे स्वभाव के हो सकते हैं, जो आम तौर पर अल्पकालिक होते हैं।सूर्य उन्हें नेक दिमाग वाला नेता बनाता है जो किसी भी स्थिति को संभाल सकता है।सूर्य उन्हें आध्यात्मिक और परंपराओं का सम्मान करने वाला भी बनाता है। इस नक्षत्र के देवता अग्नि, अग्नि के देवता हैं।ये लोग बहुत युद्धप्रिय हो सकते हैं और यह नुकीले, काटने वाले हथियारों का नक्षत्र है। वे लड़ाई-झगड़े और झगड़ों में पड़ने से नहीं हिचकिचाते, और दूसरों के साथ जुबानी जंग में बात नहीं करते।कृतिका नक्षत्र वृष राशि पर भी फैला हुआ है जहां शुक्र की नरम ऊर्जा आती है।उग्रता अभी भी है, लेकिन यहां वह जगह है जहां जातक अधिक कलात्मक हो जाता है और एक कठोर बाहरी आवरण के साथ अंदर से नरम होताहै। वृष पाक कला और अच्छे भोजन का प्रतीक है। तो कृतिका के मूल निवासी कुछ बेहतरीन रसोइया हो सकते हैं।भोजन की उनकी इच्छा उन्हें पेटू भी बना सकती है। वृष राशि के नक्षत्र में ये लोग वास्तव में कामुक हो सकते हैं।अपनी प्राकृतिक आक्रामकता के साथ, वे उत्कृष्ट प्रेमी बनाते हैं।
4. रोहिणी
रेंज: 10˚ वृष – 23˚20’ वृषभ
सत्तारूढ़ ग्रह: चंद्रमा
देवता: ब्रह्मा (निर्माता)
गुना: राजसी
प्रतीक: गाड़ी का पहिया
विशेषताएं
रोहिणी नक्षत्र पूरी तरह से वृष राशि के अंदर है, जो कि शुक्र की राशि है। इसका नक्षत्र स्वामी चंद्रमा है।दो स्त्री ग्रहों द्वारा शासित, रोहिणी जातक बेहद आकर्षक और करिश्मे से भरपूर होते हैं।चंद्रमा अन्य बातों के अलावा मन, माता और गृह जीवन का कारक है।ये लोग अत्यधिक कल्पनाशील और आम तौर पर परिवार उन्मुख होते हैं। वे शांत और सौम्य हैं।सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा, रोहिणी के देवता होने के कारण, अपने मूल निवासियों को उर्वरता और उत्पादकता प्रदान करते हैं।रोहिणी का प्रतीक, गाड़ी का पहिया (फसलों के लिए पृथ्वी की जुताई), उर्वरता और बहुत अधिक व्यक्तिगत विकास का भी संकेत देता है।शुक्र के कारण रोहिणी जातक कलात्मक, रचनात्मक, रोमांटिक, व्यवसाय की गहरी समझ रखने वाले होते हैं।वे जीवन के सुखों में बहुत अधिक रुचि रखते हैं और स्वभाव से विलासिता-उन्मुख और कामुक होते हैं।वृष राशि में होना जो कि एक निश्चित राशि है, वे बहुत जिद्दी भी होते हैं। इसके अलावा, छाया ग्रह राहु यहां उच्च का है।तो ये लोग उच्च जीवन, आराम और विलासिता से ग्रस्त हो सकते हैं। उनके पास अत्यधिक भौतिकवादी पक्ष है।
5. मृगशीर्ष / मृगशीर्ष
रेंज: 23˚20′ वृषभ – 6˚40 मिथुन
शासक ग्रह: मंगल
देवता: सोम (चंद्रमा)
गुना: तमसी
प्रतीक: हिरण सिर
विशेषताएं
मृगशीर्ष नक्षत्र वृष (शुक्र द्वारा शासित) और मिथुन (बुध द्वारा शासित) के बीच विभाजित है।अपने प्रतीक – हिरण – की तरह यह नक्षत्र घूमना और बहुत यात्रा करना पसंद करता है, हमेशा कुछ न कुछ खोजता रहता है।ये लोग अच्छे शोधकर्ता और अन्वेषक बनाते हैं, क्योंकि ये बहुत जिज्ञासु होते हैं। मृगशीर्ष के देवता सोम (चंद्रमा) हैं।इसलिए ये जातक काफी अच्छे दिखने वाले और कामुक होते हैं, खासकर इस नक्षत्र के शुक्र ग्रह पर।चूंकि यह नक्षत्र भी मिथुन राशि में फैला हुआ है, इसलिए यह व्यक्ति को बहुत ही मिलनसार और बहुत बुद्धिमान बना सकता है।बुध संचार, सोचने की क्षमता और बुद्धि का ग्रह है। यह वाणिज्य, और धन कमाने की क्षमता का ग्रह भी है।ये लोग उत्कृष्ट सेल्सपर्सन बना सकते हैं और मीडिया व्यवसाय में अच्छा कर सकते हैं, क्योंकि वे बेहद चालाक बात करने वाले हो सकते हैं।सत्तारूढ़ ग्रह – मंगल – आक्रामकता, तर्क और लड़ाई की भावना को नियंत्रित करता है। हवादार राशि (मिथुन) में ये सभी गुण उन्हें वाद-विवाद और चतुराई में अच्छा बनाते हैं।बुध और चंद्रमा दोनों तेज गति वाले ग्रह हैं, जो उनके बेचैन स्वभाव और निरंतर परिवर्तन की आवश्यकता में योगदान करते हैं।ये जातक तेजी से सोचते हैं, तेजी से बोलते हैं, तेजी से आगे बढ़ते हैं, और हर काम तेजी से करते हैं, और साथ ही साथ कई विचारों और कार्यों को जोड़ते हैं। यह विशेष रूप से सच है |
6. आर्द्रा/तिरवाथिरै
रेंज: 6˚40 मिथुन – 20˚ मिथुन
शासक ग्रह: राहु
देवता: रुद्र (भगवान शिव)
गुना: तमसी
प्रतीक: अश्रु
विशेषताएं
आर्द्रा के देवता रुद्र (भगवान शिव का विनाशकारी रूप) हैं। यह राहु द्वारा शासित है जो अचानक परिवर्तन, और उतार-चढ़ाव का ग्रह है। नतीजतन, आर्द्रा जातकों का जीवन काफी अस्थिर होता है और परिवर्तन, विनाश और हिंसा की एक सामान्य भावना की विशेषता होती है। राहु एक छायादार ग्रह है, जिसके संपर्क में आने से जो कुछ भी आता है उसका विस्तार करता है। ऐसे में यह बुध को बढ़ाता है और इस प्रकार जातक को बहुत बुद्धिमान, चतुर और भौतिकवादी बनाता है। बुध धन, वाणिज्य और व्यवसाय का कारक है, इसलिए आर्द्रा जातकों में इन सभी गुणों को अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है। राहु अत्यधिक पापी और जुनूनी ग्रह है। तो इन लोगों में बुध का नकारात्मक पक्ष बढ़ जाता है। आर्द्रा नक्षत्र का प्रतीक अश्रु है। यह दर्शाता है कि इस नक्षत्र के साथ दुख जुड़ा हुआ है। राहु अंततः एक पाप ग्रह है, और आर्द्रा के देवता रुद्र का प्रभाव यह सुनिश्चित करता है कि जातक के विचारों और कार्यों के कारण विनाश शामिल होगा। लेकिन इस नक्षत्र की भूमिका पहले पुराने और भ्रष्ट स्वयं को नष्ट करके, अंततः जातक को अपने बेहतर स्वरूप में बदलना है|
7. पुनर्वसु/पुनर्पूसम
रेंज: 20˚ मिथुन – 3˚20’ कर्क
शासक ग्रह: बृहस्पति
देवता: अदिति (देवताओं की माता)
गुना: सात्विक प्रतीक: धनुष और तरकश
विशेषताएं
पुनर्वसु के शासक देवता अदिति हैं, जो देवताओं की माता हैं, जो असीम या असीम विस्तार और रचनात्मकता का प्रतीक हैं।यदि आप इस तथ्य को जोड़ते हैं कि पूर्णावसु पर बृहस्पति (जो बहुतायत में देता है) का शासन है, तो आपको एक ऐसा व्यक्ति मिलता है जो बेहद जानकार, आशावादी, आत्मविश्वासी, आकर्षक, आध्यात्मिक, दिलकश और सामान्य रूप से बहुत भाग्यशाली होता है।यह नक्षत्र अपने सरल स्वभाव से चिह्नित है। ये जातक जीवन से ज्यादा उम्मीद नहीं रखते, बल्कि बदले में बहुत कुछ पाते हैं।बृहस्पति उन्हें बहुत अच्छा शिक्षक और सलाहकार बनाता है, और उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक मामलों में रुचि भी देता है।मिथुन संचार का प्रतीक है। तो ये लोग ऐसी बातें कहने में माहिर हैं जो सिर्फ ज्ञान में टपक रही हैं, क्योंकि बृहस्पति ज्ञान का नियम है।ज्ञान वह है जो मन का विस्तार करता है, और बृहस्पति विस्तार का ग्रह है।पुनर्वसु जातक बहुत खुशमिजाज होते हैं और अपने परिवार और सामान्य रूप से लोगों की बहुत परवाह करते हैं, आंशिक रूप से कर्क राशि मेंहोते हैं। पिछले नक्षत्र – आर्द्रा के तूफानी उतार-चढ़ाव के बाद, यह नक्षत्र प्रबुद्ध होकर घर वापस आने वाला है।पुनर्वसु जातक बहुत लचीला भी होते हैं, जो कर्क (केकड़ा) का एक लक्षण है। वे उत्तरजीवी हैं।
8. पुष्य/पूसम
रेंज: 3˚20′ कर्क – 16˚40 कर्क
सत्तारूढ़ ग्रह: शनि
देवता: बृहस्पति (देवताओं के पुजारी)
गुना: तमसी
प्रतीक: गाय का थन
विशेषताएं
पूरी तरह से कर्क राशि में स्थित पुष्य जातक बहुत ही देखभाल करने वाले और मददगार लोग होते हैं, और अपने परिवार या समुदाय के लिए कुछ भी कर सकते हैं। वे दुनिया के पोषक और प्रदाता हैं – जैसा कि प्रतीक (गाय का थन) द्वारा दर्शाया गया है।लेकिन कर्क राशि के लोग कथित खतरे का सामना करने पर खुद को बचाने के लिए अपने खोल (केकड़े की तरह) के अंदर भी जा सकते हैं। यह उनके नक्षत्र के लिए विशेष रूप से सच है, क्योंकि यह शनि द्वारा शासित है, जो एक अकेला हो सकता है।लेकिन शनि इन लोगों को असाधारण दृढ़ता भी देते हैं। वे बहुत मेहनती और संगठित हैं, और कभी हार नहीं मानेंगे। शनि अशुभ ग्रह है।यह एक सख्त अनुशासक है जो आसानी से दंड देता है, लेकिन बाद में बहुत कुछ देता है।तो उनका प्रारंभिक जीवन आम तौर पर बाधाओं से भरा होगा और वे पीड़ित होंगे, लेकिन एक बार जब वे अपना सबक सीख लेते हैं, तो पुष्य जातक अजेय होते हैं और अंततः बहुत ऊपर उठते हैं। शनि उन्हें व्यवस्थित और कठोर भी बनाता है।हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इस नक्षत्र में बृहस्पति ग्रह उच्च का है।बृहस्पति विस्तृत और उदार है, जबकि शनि संकुचनशील और सख्त है। तो बृहस्पति इस नक्षत्र में शनि को संतुलित करता है।इन लोगों में दोनों ग्रहों के गुण होंगे।पुष्य के देवता – बृहस्पति, जो देवताओं के पुजारी हैं – इन लोगों को धार्मिक और आध्यात्मिक (बृहस्पति) होने के लिए रूढ़िवादी तरीके से (शनि) प्रभावित करते हैं।
9. अश्लेषा/अयिलम
रेंज: 16˚40′ कर्क – 30˚ कर्क
शासक ग्रह: बुध
देवता: नागा (साँप भगवान)
गुना: सात्विक
प्रतीक: सर्प
विशेषताएं
अश्लेषा नक्षत्र उल्लेखनीय रूप से तीव्र और मर्मज्ञ है।यह चंद्रमा और बुध द्वारा भी शासित है, लेकिन जो इसे मृगशीर्ष से अलग बनाता है वह यह है कि यह एक जल राशि (कर्क) में स्थित है और इसके देवता नाग देवता हैं। पानी के संकेत आमतौर पर भावनाओं और दिमाग से संबंधित होते हैं। ये लोग दूसरों के हेरफेर में माहिर होते हैं।वे अत्यधिक गणनात्मक, कुटिल, गुप्त, कपटी, कृत्रिम निद्रावस्था में लाने वाले और सत्ता और नियंत्रण की अपनी तलाश में बिल्कुल ठंडे और खतरनाक हो सकते हैं। बुध के कारण उनके पास शानदार स्मृति, बुद्धि और एकाग्रता भी है।अपने और दूसरों के दिमाग पर अपनी महारत के लिए धन्यवाद, वे अत्यधिक सहज ज्ञान युक्त हैं। वे जादू-टोना, काला-जादू, तंत्र आदि की कलाओं में भी बहुत रुचि रखते हैं और बहुत अच्छे हैं। उपरोक्त सभी गुण अश्लेषा जातकों को एक बुरा रैप दे सकते हैं।इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इस नक्षत्र में आक्रामक ग्रह मंगल का नीच का होना है।मंगल, पहले से ही एक पाप ग्रह होने के कारण, इस नक्षत्र में इसके निम्न और अधिक हानिकारक गुण उजागर होते हैं।सभी ने कहा और किया, अश्लेषा मूल निवासी अच्छे नेता हो सकते हैं जो उपरोक्त सभी गुणों का उपयोग करते हैं और अंत में वह हासिल कर लेते हैं जो उन्होंने करने के लिए निर्धारित किया था।
10. माघ/मगम
रेंज: 0˚ सिंह – 13˚20’ सिंह
शासक ग्रह: केतु
देवता: पितृ (पूर्वज)
गुना: तमसी
प्रतीक: शाही सिंहासन
विशेषताएं
माघ, सिंह राशि का पहला नक्षत्र, केतु द्वारा शासित है।अब केतु इस बात का संकेत है कि हमने अपने पिछले जन्मों में क्या किया था, और इसलिए हम जो पहले से जानते हैं और उसके साथ सहजहैं। केतु सूर्य (सिंह राशि का स्वामी) के साथ मिलकर माघ मूल के राजा और नेतृत्व गुणों को सुदृढ़ करेगा।वास्तव में माघ का प्रतीक ठीक वही है- राजसिंहासन।हालांकि, केतु एक हानिकारक ग्रह है जो लोगों को चीजों से इनकार करता है, ठीक है क्योंकि उनके पिछले जन्मों में इसकी प्रचुरता थी।इस प्रकार माघ जातक सत्ता और अधिकार की स्थिति में खालीपन महसूस करते हैं, और विडंबना यह है कि वे अंदर से बहुत विनम्र होते हैं।केतु भी एक ऐसा ग्रह है जो हर चीज के लिए महत्वपूर्ण है। उनके वहां, किए गए रवैये और उनके आत्म-आलोचनात्मक स्वभाव के कारण, ये लोग पैदा होते हैं (यदि अनिच्छुक) नेता हैं और उत्कृष्ट अधिकारी और सीईओ बनाते हैं, जो बहुत अधिक शक्ति और अधिकार रखते हैं, और इसके साथ बेहद सहज हैं। माघ नक्षत्र सिंह राशि में है (जिस पर सूर्य का शासन है)।यह एक अत्यंत उग्र संकेत है, और इसके साथ अहंकार और अहंकार आता है।लेकिन वे अपनी उदारता और शाही व्यवहार के लिए भी जाने जाते हैं, जो कि सिंह के विशिष्ट गुण हैं।प्रसिद्धि उन्हें बहुत आसानी से मिल जाती है।पितरों के इस नक्षत्र के देवता होने के कारण, इसके जातक परंपराओं और अपने पूर्वजों के प्रति बहुत सम्मान रखते हैं।
11. पूर्वा फाल्गुनी / पूरम
रेंज: 13˚20′ सिंह – 26˚40′ सिंह
शासक ग्रह: शुक्र
देवता: भगा (समृद्धि के देवता)
गुना: राजस प्रतीक: झूला
विशेषताएं
यह नक्षत्र शुक्र की कलात्मक और रचनात्मक प्रतिभा के साथ सिंह (सूर्य) के प्रदर्शन और नाटकीय पक्ष को जोड़ता है।सूर्य उन्हें रॉयल्टी, समानता, उदारता, धूमधाम और बहुत अहंकार देता है, जबकि शुक्र उन्हें आकर्षण और अच्छा रूप देता है।यह उल्लेख नहीं करने के लिए कि यह नक्षत्र एक अग्नि राशि में है, इसलिए यह ऊर्जा और करिश्मे से भरा है, और वे जहां भी जाते हैं उनके अनुयायियों की भीड़ होती है। ये लोग महान कलाकार, फिल्म और मनोरंजन व्यक्तित्व बनाते हैं।वे भीड़ के सामने बेहद सहज होते हैं, और पार्टी की जान होते हैं। इस नक्षत्र का प्रतीक झूला है।इसलिए वे बहुत आराम से, शांत हैं और जीवन का पूरा आनंद लेने में विश्वास करते हैं।शुक्र रचनात्मकता, विलासिता, रिश्तों का ग्रह है और यह उन्हें बहुत अच्छा भाग्य देता है।वे अपने देवता, भग, जो समृद्धि के देवता हैं, द्वारा उपरोक्त सभी की बहुतायत से धन्य हैं।सामान्यतया, जीवन उनके साथ काफी अच्छा व्यवहार करता है।वे काफी कामुक भी होते हैं और एक अत्यंत कृपालु व्यक्तित्व के साथ महान प्रेमी बनते हैं।जैसा कि किसी भी अग्नि चिन्ह और विशेष रूप से सिंह राशि के साथ होता है, वे काफी घमंडी और विशाल दिखावे वाले हो सकते हैं।वे काफी क्रूर भी हो सकते हैं, क्योंकि सूर्य एक मामूली पापी है।उन्हें आलस्य भी दिया जा सकता है, जैसा कि उनके प्रतीक (झूला) से संकेत मिलता है, और यह तथ्य कि लाभकारी ग्रह (शुक्र) व्यक्ति के जीवन को इतना आसान बना सकते हैं कि वे भोग का सहारा लेते हैं।
12. उत्तरा फाल्गुनी/उत्तीराम
रेंज: 26˚40′ सिंह – 10˚ कन्या
सत्तारूढ़ ग्रह: सूर्य
देवता: आर्यमन (दोस्ती के देवता)
गुना: राजसी
प्रतीक: बिस्तर
विशेषताएं
उत्तरा फाल्गुनी का प्रतीक बिस्तर है, जो अभी भी विश्राम का प्रतीक है, लेकिन अपने चचेरे भाई पूर्वा फाल्गुनी (पूरम) की तुलना में कम आराम से और कम मुक्त बहने वाला है। वे बहुत अधिक विनम्र भी हैं।पूरम के कुछ गुण इस नक्षत्र में ले जाते हैं, लेकिन यह नक्षत्र ज्यादातर कन्या राशि में होता है, जो एक मिट्टी का चिन्ह और व्यावहारिकता, सेवा और कड़ी मेहनत का प्रतीक है। अतः इस नक्षत्र में बुध का कारक अधिक होता है। ये लोग कम विलासिता- और कला-उन्मुख होते हैं, और संचार में अधिक रुचि रखते हैं और मानसिक रूप से प्रवृत्त होते हैं। इस नक्षत्र के देवता मित्रता के देवता आर्यमन हैं।इसलिए इन लोगों के लिए रिश्ते और दोस्त बहुत अहम होते हैं।वे स्वभाव से बहुत मददगार और उदार होते हैं, जो अपने दोस्तों के लिए कुछ भी कर सकते हैं।चूंकि इसका स्वामी सूर्य है, इसलिए नक्षत्र (सिंह) के पहले भाग के जातक राजनीति और सरकार में खुद को शामिल करते हैं।वे बहुत नेक दिमाग वाले लोग हैं जो सम्मान की परवाह करते हैं और नियमों का पालन करते हैं, लिखित या अलिखित।सिंह से कन्या राशि में जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, वैसे-वैसे जातकों में अधिक पारा गुण आने लगते हैं।वे लिखने, सार्वजनिक बोलने, रणनीति बनाने आदि में अच्छे हैं उनके पास एक अत्यंत तार्किक दिमाग है, जिसमें अनुसंधान, चिकित्सा और उपचार में गहरी रुचि है।
13. हस्त/हस्तम
रेंज: 10˚ कन्या – 23˚20’ कन्या
सत्तारूढ़ ग्रह: चंद्रमा
देवता: सविता (सूर्य देव)
गुना: राजसी
प्रतीक: हाथ या बंद मुट्ठी
विशेषताएं
हस्त का प्रतीक हाथ या मुट्ठी है, जो हाथों से कड़ी मेहनत (और रचनात्मक रूप से) काम करने का प्रतीक है।यह नक्षत्र पूरी तरह से कन्या (बुध द्वारा शासित) के अंदर स्थित है, और इसका शासक चंद्रमा है।कन्या एक स्त्री राशि है, और उसके ऊपर का चंद्रमा उन्हें बहुत संवेदनशील और वश में करता है।चन्द्रमा के प्रभाव के कारण जातक के जीवन में निरंतर उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। चंद्रमा और बुध की आपस में अच्छी बनती नहीं है।इसलिए इन लोगों ने शुरुआती जीवन को परेशान किया है, लेकिन जीवन में बाद में अच्छी तरह से खिलते हैं जब ग्रह अपनी भूमिकाओं में बस जाते हैं। पार्थिव राशि में बुध हस्ता जातक को अत्यधिक व्यवसायी बनाता है और सूर्य (देवता) का प्रभाव उन्हें बहुत उद्यमी बनाता है।वे अच्छे प्रबंधक भी बनाते हैं। इसके अलावा, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यहां बुध उच्च का है।इसलिए ये जातक बहुत चतुर होते हैं, परिस्थितियों को आसानी से तौल सकते हैं, और अपने भाषण में काफी मजाकिया हो सकते हैं उनकी कई तरह की रुचियां और शौक भी हैं। ये लोग समय के पाबंद, विस्तार-उन्मुख, सहकारी और व्यावहारिक होते हैं, लेकिन दूसरों की आलोचना भी करते हैं (कन्या का एक लक्षण)।वे लेखकों या वक्ताओं के रूप में बहुत अच्छा करते हैं, क्योंकि चंद्रमा जनता का प्रतिनिधित्व करता है।”बंधी हुई मुट्ठी” चिन्ह उनके दृढ़ संकल्प का द्योतक है। लेकिन यह भावनात्मक रूप से बंद होने और दूसरों के प्रति अविश्वास का भी प्रतीक है।यह एक निश्चित स्तर की चालाकी और धोखेबाज प्रकृति को भी इंगित करता है।
14. चित्रा/चिथिराई
रेंज: 23˚20′ कन्या – 6˚40′ तुला
शासक ग्रह: मंगल
देवता: विश्वकर्मा (दिव्य वास्तुकार)
गुना: तमसी
प्रतीक: गहना
विशेषताएं
चित्रा पर मंगल का शासन है, जो तर्क, ड्राइव और ऊर्जा का ग्रह है। मंगल निर्माण, अचल संपत्ति और इमारतों का भी प्रतीक है।यह नक्षत्र कन्या (बुध द्वारा शासित) और तुला (शुक्र द्वारा शासित) में रहता है। बुध तर्क और विचार है, जबकि शुक्र सौंदर्य है।यह संयोजन इन जातकों को अपने देवता – विश्वकर्मा की तरह ही सुंदर चीजों के निर्माण में बहुत कुशल बनाता है।वे दुनिया के कलाकार और वास्तुकार हैं।मंगल के लिए धन्यवाद, वे काफी जिद्दी भी हो सकते हैं और उनके पास अपार इच्छा शक्ति हो सकती है।कन्या राशि उन्हें बहुत तार्किक विचारक बनाती है। इसलिए शुक्र कन्या राशि में नीच का होता है।शुक्र बाहर जा रहा है और जीवन का आनंद ले रहा है, जबकि कन्या संगठित, तार्किक और नियंत्रित व्यवहार है।इस नक्षत्र में शुक्र अपनी रचनात्मकता के प्रति अधिक मेहनती रवैया अपनाने को विवश है।एक बार जब यह नक्षत्र तुला राशि में चला जाता है, तो शुक्र प्रबल होता है। शुक्र संबंधों को नियंत्रित करता है। ये लोग लोगों-कौशल, नेटवर्किंग, बातचीत आदि में बेहद अच्छे हो जाते हैं। तुला एक बहुत ही सहकारी संकेत है जो लोगों के साथ बहुत अच्छा काम करता है।इसलिए ये लोग विरले ही व्यक्तिवादी होते हैं।वे चीजों जैसे रचनात्मकता, फैशन, सिनेमा, कला, व्यवसाय आदि के साथ भी अच्छे हैं।
15. स्वाति:
रेंज: 6˚40′ तुला – 20˚ तुला
शासक ग्रह: राहु
देवता: वायु (पवन देवता)
गुना: तमसी
प्रतीक: घास के अंकुर
विशेषताएं
अपने देवता वायु की तरह, स्वाति मूल निवासी अपनी स्वतंत्रता के लिए जाने जाते हैं। वे कहीं भी जाना पसंद करते हैं और जो चाहें करते हैं।स्वाति का प्रतीक घास की गोली है, जो अब आप बेहद लचीली है और हवा के साथ चलती है।ये लोग अपने तरीकों से सबसे अधिक लचीले भी होते हैं और अनुकूल राय रखते हैं। वे आमतौर पर किसी भी चीज के लिए तैयार रहते हैं।हालाँकि, यह गुण अनिर्णय और झिझक भी लाता है।उन्हें अपना निर्णय लेने में कठिनाई होती है, क्योंकि वे हर चीज के फायदे और नुकसान को संतुलित करते हैं।यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इस नक्षत्र में सूर्य नीच का है (सूर्य अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है)। स्वाति का स्वामी राहु है।जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, राहु असंतृप्त ग्रह है जो इसके संपर्क में आने वाली हर चीज को बढ़ाता है – इस मामले में, शुक्र।यह नक्षत्र पूरी तरह तुला राशि में स्थित है, जो संबंधों और व्यापार से संबंधित है। राहु अत्यधिक व्यक्तिवादी और भौतिकवादी ‘ग्रह’ है।इसलिए ये लोग अत्यधिक व्यवसाय-प्रेमी होते हैं, बहुत सारा पैसा कमाने के लिए।वे ठीक से जानते हैं कि लोगों को क्या गुदगुदी करता है और उनसे कैसे निपटना है, क्योंकि उच्च शनि जनता का प्रतिनिधित्व करता है।तुला राशि का स्वामी (शुक्र) इन्हें अच्छा लुक देता है। उनके पास अच्छे शिष्टाचार भी हैं और वे बहुत ही सुंदर और सुसंस्कृत हैं।
16. विशाखा/विसाकामी
रेंज: 20˚ तुला – 3˚20’ वृश्चिक
शासक ग्रह: बृहस्पति
देवता: इंद्र (देवताओं के राजा) और अग्नि (अग्नि भगवान) गुना: सात्विक
प्रतीक: ट्राइंफ का आर्क, या कुम्हार का पहिया
विशेषताएं
विशाखा नक्षत्र तुला और वृश्चिक दोनों में फैला है।इसके देवता इंद्र और अग्नि का एक संयोजन है – जो इन जातकों को अत्यधिक महत्वाकांक्षा और एक योद्धा मानसिकता देता है।एक बार जब वे कुछ करने के लिए तैयार हो जाते हैं, तो वे तब तक आराम नहीं करेंगे जब तक कि वह पूरा न हो जाए।यह वृश्चिक राशि का लक्षण है। वे बेहद धैर्यवान, दृढ़निश्चयी होते हैं और काम पाने के लिए उनमें बहुत दृढ़ता होती है, चाहे कुछ भी हो।वे वीरतापूर्ण कार्यों से जुड़े होते हैं और उन्हें बहुत सम्मान मिलता है। इंद्र का हथियार वज्र/बिजली है, और अग्नि अग्नि के देवता हैं।विशाखा जातक बेहद उग्र स्वभाव के होते हैं।विशाखा का स्वामी कुलीन ग्रह बृहस्पति है, जो इन जातकों को नेक मार्ग पर चलता है और ज्ञान देता है।बृहस्पति कानून पर शासन करता है, और तुला कूटनीति और बातचीत में एक स्वाभाविक है। ये लोग बेहतरीन जज बनाते हैं।वे काफी आध्यात्मिक और धार्मिक भी हो सकते हैं (फिर से, बृहस्पति के प्रभाव के कारण)।शुक्र (तुला राशि का स्वामी) भी समाजीकरण का ग्रह है, और बृहस्पति हास्य और उल्लास का ग्रह है।विशाखा जातक अक्सर पार्टी की जान होते हैं।जब मंगल चित्र में आता है, विशेष रूप से बाद की डिग्री में, यह अपने साथ बहुत प्रतिस्पर्धा, क्रोध, ईर्ष्या और इच्छा शक्ति भी लाता है (वृश्चिक के सभी लक्षण)।
17. अनुराधा/अनुषाम
रेंज: 3˚20’ वृश्चिक – 16˚40’ वृश्चिक
सत्तारूढ़ ग्रह: शनि
देवता: मित्रा (दोस्ती)
गुना: तमसी
प्रतीक: ट्राइंफ का आर्क, या कमल
विशेषताएं
अनुराधा नक्षत्र के देवता मित्रा (मित्रता के देवता) हैं। ये लोग संबंधोन्मुखी होते हैं। वे अपने दोस्तों और परिवार के लिए वहां रहना चाहते हैं।हालाँकि, उनके साथ समस्या यह है कि वृश्चिक ऊर्जा ईर्ष्या, ईर्ष्या और एक नियंत्रित व्यवहार जैसी बहुत सारी नकारात्मक ऊर्जाएँ ला सकती है। लेकिन ये बहुत ही वफादार लोग होते हैं जो अपने पार्टनर से भी यही उम्मीद करते हैं।साथ ही भावनाओं और मन का व्यवहार करने वाला चंद्रमा वृश्चिक राशि में नीच का होता है।नकारात्मक भावनात्मक ऊर्जाओं के लिए वृश्चिक राशि के जातकों के खराब रैप का यही कारण है।हालाँकि, ये लोग इन्हीं लक्षणों के कारण बहुत अच्छे परामर्शदाता और मनोवैज्ञानिक बना सकते हैं, और चूंकि यह नक्षत्र मिलनसार भी है और अन्य लोगों के साथ संबंधों पर पनपता है. अनुराधा का स्वामी शनि है, जो इस नक्षत्र की भावनात्मक उथल-पुथल को बहुत कम करता है और इसे खराब होने से रोकता है. शनि एक प्राकृतिक अवरोधक है जो लोगों को जब भी कोई गड़बड़ी करता है तो उन्हें नीचे गिराकर वास्तविकता और स्थिरता के लिए आधार बनाता है। शनि उन्हें संगठनात्मक क्षमता और नेतृत्व के गुण प्रदान करता है।और अंत में, ये लोग अक्सर घूमना पसंद करते हैं और शायद ही कभी एक जगह बसना पसंद करते हैं।ऐसा इसलिए है क्योंकि चंद्रमा गृहस्थ जीवन और जड़ों का कारक है और इस नक्षत्र में चंद्रमा कमजोर है।
18. ज्येष्ठ/केत्तई
रेंज: 16˚40′ वृश्चिक – 30˚ वृश्चिक
शासक ग्रह: बुध
देवता: इंद्र (युद्ध के देवता, और देवताओं के राजा) गुना: सात्विक
प्रतीक: बाली (या) दिव्य छतरी
विशेषताएं
ज्येष्ठा और अनुराधा नक्षत्रों में दो अंतर हैं। ज्येष्ठ के देवता इंद्र हैं, और यह बुध द्वारा शासित है, और इन दोनों से सभी फर्क पड़ता है।इन जातकों में शनि के तड़के के प्रभाव के बिना पूर्ण वृश्चिक ऊर्जा होती है। वे अपने लक्ष्यों की खोज में गर्व, आक्रामक और निर्दयी होते हैं।वृश्चिक एक योद्धा, एक हिंसक और आक्रामक संकेत है, लेकिन जो अपने इरादों को चुपके से व्यक्त करता है, और अन्य मंगल ग्रह की राशि -मेष की तुलना में बहुत अधिक तीव्रता के साथ। बुध (ज्येष्ठ का शासक) एक तार्किक और गणना करने वाला ग्रह है।जब इस मिश्रण में जोड़ा जाता है, तो बुध इन लोगों को अपनी महत्वाकांक्षाओं की योजना बनाने के लिए उल्लेखनीय बुद्धि के साथ महान योजनाकार बनाता है। वे दुनिया के तानाशाह हैं। इन लोगों में सामाजिक या कॉर्पोरेट सीढ़ी चढ़ने की बहुत इच्छा होती है।वृश्चिक राशि के आंतरिक स्वभाव पर बुध का प्रभाव इन जातकों को अत्यधिक आत्मनिरीक्षण करने वाला बनाता है।ठेठ स्कॉर्पियोस की तरह, वे बहुत गुप्त हैं। अनुराधा लोगों के विपरीत, जो बहुत सामाजिक हैं, ये लोग कुंवारे होते हैं।इसका प्रतीक, दिव्य छतरी, मुसीबतों से दैवीय सुरक्षा का प्रतीक है। यह जातक को विशेष दर्जा भी देता है इसलिए इन लोगों को आम तौर पर नेताओं के रूप में स्वीकार किया जाता है, और उनके चारों ओर परिपक्वता की हवा होती है।
19. मूला/मूलम
रेंज: 0˚ धनु – 13˚20’ धनु शासक ग्रह: केतु
देवता: काली (विनाश की देवी)
गुना: तमसी
प्रतीक: एक पेड़ की जड़ें
विशेषताएं
केतु धनु-मूल के पहले नक्षत्र पर शासन करता है। धनु एक बृहस्पति राशि है। अब, केतु एक ऐसा ग्रह है जो आपसे सब कुछ छीन लेता है, आपको मुक्ति (या मोक्ष) के लिए तैयार करता है। केतु उन चीजों का भी एक संकेतक है जो आपने पिछले जन्मों में पहले ही हासिल कर चुके हैं, और इसलिए जिनकी अब आपको इस जीवन में आवश्यकता नहीं है। देवता – काली – विनाश की देवी, जातक की इच्छाओं की हत्या का प्रतीक है। मूल बहुत दुखों से जुड़ा है, खासकर जीवन के शुरुआती दिनों में, क्योंकि आत्मा खुद को मुक्ति के लिए तैयार करती है। बृहस्पति सौभाग्य, विस्तार, आशावाद, ज्ञान और शिक्षकों का ग्रह है। केतु के प्रभाव से ये सभी कारक इस नक्षत्र में पीड़ित होते हैं। ये लोग सभी अग्नि चिन्हों की तरह उदास, लेकिन अभिमानी और अभिमानी हो सकते हैं। हालाँकि, उन्हें बहुत सारी सहज ज्ञान प्राप्त होता है (याद रखें, केतु पिछले जन्मों में बृहस्पति से जुड़ा हुआ है)। वे इस ज्ञान का आंतरिक रूप से उपयोग करते हैं और आत्मनिरीक्षण का बहुत उपयोग करते हैं। उनके पास सभी चीजों की पूर्ण जड़ तक पहुंचने की क्षमता है (जो मूल का प्रतीक है)। वे बहुत अच्छे जासूस, जांचकर्ता, दार्शनिक और आध्यात्मिक रहस्यवादी बनाते हैं जो अन्य लोगों के लिए तुरंत स्पष्ट नहीं होने वाली चीजों को देखने में माहिर होते हैं।
20. पूर्वा आषाढ़/पूरादम
रेंज: 13˚20′ धनु – 26˚40′ धनु शासक ग्रह: शुक्र
देवता: आपस (ब्रह्मांडीय महासागर)
गुना: राजसी
प्रतीक: हाथी टस्क (या) एक पंखे के लक्षण
पूर्वा आषाढ़ नक्षत्र पूरी तरह से धनु राशि में स्थित है, और शुक्र द्वारा शासित है। इन लोगों में धनु राशि के गुणों की पूरी श्रृंखला होती है – ये आत्मविश्वासी, आशावादी, भाग्यशाली, लोकप्रिय, धार्मिक/आध्यात्मिक, साहसी और उत्साही होते हैं। वे बेहद बुद्धिमान हैं और सभी के लिए सलाह के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। उनका प्रतीक – हाथी का दांत – युद्ध के हथियारों का प्रतीक है, और इसलिए संघर्ष और लड़ाई। हालांकि, शुक्र के प्रभाव के कारण, जो एक शक्तिशाली लाभ है, ये जातक वास्तव में अतिश्योक्तिपूर्ण हो सकते हैं। वे अति आत्मविश्वासी हो सकते हैं और काफी अजेय महसूस कर सकते हैं। वे अभिमानी, अभिमानी और अहंकारी हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि भाग्य हमेशा उनके साथ है। वास्तव में, ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसा कई बार होता है। वे जो कुछ भी करते हैं उसमें बहुत सफल होते हैं। उनके पास अन्य लोगों के साथ एक रास्ता है, और बड़े पैमाने पर जनता (शुक्र रिश्तों का शासक है), जो उन्हें जबरदस्त प्रसिद्धि दिलाती है। वे बहुत अच्छा बोल सकते हैं, जो उनके ज्ञान के साथ संयुक्त होने का मतलब है कि वे किसी भी बहस को जीत सकते हैं। अपस – ब्रह्मांडीय जल – पूर्वाषाढ़ के देवता हैं। अपस सभी दिशाओं में फैलने वाले और जीवन का निर्माण करने वाले जल का प्रतीक है। इसी तरह, ये लोग बहुत यात्रा करते हैं, अपने ज्ञान को चारों ओर फैलाते हैं (इसके एक प्रतीक – पंखे द्वारा भी इंगित किया जाता है)।
21. उत्तरा आषाढ़/उथिरादम
रेंज: 26˚40′ धनु – 10˚ मकर शासक ग्रह: सूर्य
देवता: विश्वदेव (निर्विवाद विजय के देवता)
गुना: राजसी
प्रतीक: हाथी दांत (या) एक छोटा बिस्तर विशेषताएं
पिछले नक्षत्र की तरह, उत्तरा आषाढ़ का प्रतीक भी हाथी दांत है – जो लड़ाई और संघर्ष का प्रतीक है। यहां अंतर यह है कि यह नक्षत्र मकर राशि (जिस पर शनि का शासन है) में आता है। मकर धनु की तुलना में अधिक वश में है, अधिक व्यावहारिक, कम आशावादी, लेकिन अधिक संगठित, अधिक मेहनती और असीम रूप से अधिक धैर्यवान है। शनि का प्रभाव भी इन लोगों को अधिक करियर-उन्मुख और कार्यशील बनाता है, जिसके कारण इनके विवाह/संबंधों को नुकसान हो सकता है। उपरोक्त सभी के अलावा, यह नक्षत्र सूर्य द्वारा शासित है। यह इन मूल निवासियों को नेतृत्व और कार्यकारी भूमिकाओं में बदल देता है। वे सरकार (सूर्य द्वारा प्रतिनिधित्व) के साथ भी शामिल हो सकते हैं। सूर्य उन्हें उच्च नैतिक मानकों के साथ नेक दिमाग भी बनाता है, लेकिन यह एक बड़े अहंकार के साथ आता है। शनि का तप, बृहस्पति का भाग्य और सूर्य का बड़प्पन उन्हें अपने उपक्रमों में बहुत सफल बनाता है, खासकर उनके जीवन के बाद के हिस्से में। यह इस नक्षत्र के अन्य प्रतीक – एक बिस्तर – द्वारा दर्शाया गया है जो एक कठिन जीत के बाद आराम का प्रतीक है। इस नक्षत्र में ग्रहों के शामिल होने के कारण इन जातकों के कई मानवीय लक्ष्य भी होते हैं।
प्रतीक: कान (या) एक असमान पंक्ति में तीन पैरों के निशान
विशेषताएं
यह नक्षत्र पूरी तरह से मकर राशि (शनि द्वारा शासित) में स्थित है। यह ध्यान दिया जा सकता है कि जहां मंगल यहां उच्च का है, वहीं बृहस्पति मकर राशि में नीच का है। श्रवण नक्षत्र का प्रतीक कान है। ये लोग अपने आसपास हो रही हर चीज को सुनते और देखते हैं। हो सकता है कि वे बहुत ज्यादा न बोलें लेकिन वे बहुत कुछ सुनते हैं, और इसी तरह वे सीखते हैं। चूंकि बृहस्पति (शिक्षा और ज्ञान का ग्रह) यहां नीच का है, इसलिए उन्हें लगता है कि उन्हें अपने आस-पास की हर चीज को ग्रहण करना होगा और सीखना होगा। यथार्थवादी शनि इस सभी ज्ञान को व्यावहारिक उपयोग में लाना सुनिश्चित करेगा। वे बहुत अच्छे सलाहकार और सलाहकार बन सकते हैं। शनि एक अशुभ ग्रह भी है जो जीवन में चीजों को विलंबित करता है। इस नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा मन और माता का कारक है। नतीजतन, जीवन में शुरुआती मुश्किलें आ सकती हैं, और उनकी माताओं के साथ भी। मंगल का उच्चाटन (एक आक्रामक हानिकारक) केवल चीजों को बदतर बनाता है। लेकिन चंद्रमा (एक नरम और गर्म ग्रह) का प्रभाव अंततः चीजों को सुचारू कर देगा। श्रवण के देवता विष्णु हैं – ब्रह्मांड के संरक्षक। ये लोग काफी पारंपरिक हैं और पिछली संस्कृतियों और जीवन के तरीकों को संरक्षित करने में विश्वास करते हैं। वे उत्कृष्ट इतिहासकार और पुरातत्वविद बना सकते हैं। वे यात्रा करना भी बहुत पसंद करते हैं (जैसा कि उनके अन्य प्रतीक – तीन पैरों के निशान से संकेत मिलता है)। पैरों के निशान विष्णु के अवतारों में से एक वामन को दर्शाते हैं, जिन्होंने तीन दुनिया को तीन चरणों के साथ कवर किया था।
23. धनिष्ठा/अवित्तम
रेंज: 23˚20′ मकर – 6˚40′ कुम्भ शासक ग्रह: मंगल
देवता: आठ वसु (भौतिक बहुतायत के देवता)
गुना: तमस प्रतीक: ढोल या बांसुरी के लक्षण
धनिष्ठा नक्षत्र मकर (शनि द्वारा शासित) और कुंभ (शनि और राहु द्वारा शासित) दोनों में स्थित है, और मंगल इसका शासक है। मंगल इन जातकों को सर्वोच्च इच्छा-शक्ति और बाधाओं के माध्यम से आत्मविश्वास, शक्ति और शक्ति प्रदान करता है। साथ ही मंगल मकर राशि में उच्च का होता है, इसलिए यहां मंगल के गुणों में वृद्धि होती है। ये लोग लड़ाकू, चालबाज होते हैं, और जब शनि के दृढ़ता, कड़ी मेहनत और संगठन के गुणों के साथ संयुक्त होते हैं, तो वे जो कुछ भी करने के लिए निर्धारित होते हैं, वे बहुत कुछ कर सकते हैं। इस नक्षत्र का प्रतीक ढोल या बांसुरी है। इस हिसाब से ये लोग लय और टाइमिंग में काफी अच्छे होते हैं। वे जानते हैं कि कब क्या कहना और क्या करना है। वे संगीत, नृत्य और यहां तक कि खेल के क्षेत्र में भी बहुत अच्छे हो सकते हैं। हालाँकि, वे अपने अंदर भी काफी खोखला महसूस करते हैं (क्योंकि ड्रम एक खोखला वाद्य यंत्र है)। उनमें उस शून्य को भरने की ललक है, जो उन्हें कभी-कभी अति-क्षतिपूर्ति के लिए प्रेरित करती है। शनि और मंगल दोनों अचल संपत्ति, भूमि, भवन और निर्माण (कठोर अचल संपत्ति) के कारक हैं। ये जातक भौतिक वस्तुओं को प्राप्त करने में बहुत भाग्यशाली हो सकते हैं (उनके देवता, आठ वसु द्वारा दर्शाए गए) और अचल संपत्ति प्राप्त करने और बनाए रखने में अच्छे हो सकते हैं। वे अच्छे इंजीनियर भी बना सकते हैं, क्योंकि मंगल मशीन, तर्क और कठिन विज्ञान को नियंत्रित करता है।
24. शतभिषा/सदायम
रेंज: 6˚40′ कुम्भ – 20˚ कुंभ
शासक ग्रह: राहु
देवता: वरुण (वर्षा भगवान)
गुना: तमसी
प्रतीक: खाली वृत्त
विशेषताएं
शतभिषा राहु की पूरी शक्ति को दुनिया पर उजागर करती है। यह नक्षत्र पूरी तरह से कुंभ राशि में है (जिस पर राहु और शनि का सह-शासन है)। इतना ही नहीं, इस नक्षत्र पर राहु का शासन है। अब राहु अभिनव, लालची, महत्वाकांक्षी, जिज्ञासु, कोनों को काटने के लिए तैयार है, जो कुछ भी हासिल करने के लिए कुछ भी करेगा, यहां तक कि कुटिल तरीकों से भी। ये लोग प्राकृतिक समस्या समाधानकर्ता हैं जो वास्तव में बॉक्स के बाहर सोच सकते हैं। कुंभ एक हवादार, बौद्धिक और संचारी राशि है। इसलिए ये लोग उत्कृष्ट आविष्कारक या वैज्ञानिक बनाते हैं, क्योंकि राहु भी तकनीक का संकेत देता है। वे क्रांतिकारी भी बना सकते हैं, क्योंकि वे उत्कृष्ट संचारक हैं जो जनता को स्थानांतरित कर सकते हैं (शनि जनता का कारक है)। शनि उन्हें दृढ़ता और रहने की शक्ति देता है, और उन्हें बहुत विस्तार-उन्मुख बनाता है। लेकिन यह उन्हें अवसादग्रस्त, गुप्त और अंतर्मुखी भी बनाता है। वे अकेलापन भी महसूस कर सकते हैं और निराशावादी विचारों से ग्रस्त हो सकते हैं। वे शतभिषा का प्रतीक एक खाली घेरा है – वे बहुत कम दोस्तों के साथ एकाकी होते हैं। इस नक्षत्र में थोड़ी नकारात्मकता रहेगी क्योंकि दो प्रथम श्रेणी के अशुभ ग्रह इस पर प्रभाव डालते हैं. वे बहुत जिद्दी और विचारों वाले भी हो सकते हैं क्योंकि कुंभ एक निश्चित राशि है। एक बार जब वे अपना मन बना लेते हैं, तो अपना निर्णय बदलना कठिन होता है।
25. पूर्वबद्रपद/पूरत्ताथी
रेंज: 20˚ कुम्भ – 3˚20′ मीन
शासक ग्रह: बृहस्पति
देवता: अजा एकपाद (रुद्र / शिव का एक रूप) गुना: सात्विक
प्रतीक: एक खाट (या) दो मुंह वाले व्यक्ति के सामने के पैर
विशेषताएं
यह नक्षत्र कुंभ राशि (शनि और राहु द्वारा सह-शासित) से फैला है और मीन राशि (बृहस्पति द्वारा शासित) में समाप्त होता है। राहु प्रभाव के कारण कुंभ विलक्षण, अभिनव, अद्वितीय और बहुत अप्रत्याशित है। राहु की नवीनता की भावना के साथ-साथ बृहस्पति के ज्ञान के साथ शनि का अनुशासन उन्हें महान वैज्ञानिक, शोधकर्ता और शिक्षक बनाता है। आप उन्हें ज्योतिष जैसे उदार विषयों में रुचि लेते हुए भी पा सकते हैं। वे बहुत भविष्योन्मुखी हैं। राहु एक गोरक्षक है, जो असीम प्रसिद्धि चाहता है। शनि एक महत्वाकांक्षी ग्रह भी है। इसलिए ये जातक आमतौर पर अपने प्रयासों में अत्यधिक दृढ़ इच्छा शक्ति और कभी हार न मानने वाले रवैये के साथ होते हैं। इसके देवता अजा एकपाद (अग्नि ड्रैगन) हैं, जो रुद्र (भगवान शिव) के अंधेरे पक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं। रुद्र एक हिंसक, विनाशकारी भगवान है, जो पूर्वबद्रपद के लक्षणों में से एक है। वे एक पल में बहुत विनम्र और अच्छे हो सकते हैं, और एक पल बाद अचानक किसी आक्रामक व्यक्ति में बदल सकते हैं। यहीं से इस नक्षत्र का अप्रत्याशित और दोहरा स्वभाव काम आता है। जब वे मीन राशि में जाते हैं, तो वे कुछ हद तक शांत हो जाते हैं, जहां राहु स्वभाव शांत हो जाता है, और उत्साही बृहस्पति स्वभाव अधिक सक्रिय होता है।
26. उत्तरभाद्रपद/उथिरत्तथी
रेंज: 3˚20′ मीन – 16˚40′ मीन
सत्तारूढ़ ग्रह: शनि
देवता: अहीर बुध्याना (जल सर्प)
गुना: तमसी
प्रतीक: एक खाट के पिछले पैर (या) जुड़वाँ बच्चों का सेट
विशेषताएं
यह नक्षत्र पूर्ण रूप से मीन राशि में स्थित है, जो जलयुक्त, भावनात्मक और स्वप्निल राशि है। लेकिन उत्तरभाद्रपद अभी भी अपने पिछले नक्षत्र – पूर्वभाद्रपद से कुछ विनाश और कहर बरकरार रखता है। इसका प्रतीक वाटर ड्रैगन है, जो उस हिंसा/आंदोलन का प्रतीक है जो इसे मुक्त करने में सक्षम है, लेकिन जिसकी तीव्रता कुछ हद तक कम हो गई है (शाब्दिक रूप से)। मीन राशि का स्वामी बृहस्पति है – जो ज्ञान है। जल राशि में ज्ञान और विद्या आपको संसार के रहस्यवादी प्रदान करते हैं। वे अध्यात्म, तंत्र और जीवन के अन्य रहस्यों में बहुत रुचि दिखाते हैं। इस नक्षत्र का स्वामी शनि है, जो मिट्टी वाला, व्यावहारिक और परिश्रम में विश्वास रखने वाला है। तो ये लोग ठेठ मीन राशि के लोगों की तरह सपने देखने वाले नहीं होते हैं, बल्कि वास्तव में बहुत सारे काम करवाते हैं। वे दयालु आत्माएं हैं, जो योग्य लोगों के लिए बहुत कुछ अच्छा करने में अपना जीवन व्यतीत करती हैं, न कि केवल इसके बारे में बात करती हैं। शनि उन्हें प्रबंधन और आयोजन गुण देता है। ये वे लोग हैं जिन्हें आप धर्मार्थ संगठनों के प्रमुख बनना चाहते हैं, क्योंकि शनि भी महत्वाकांक्षा और जनता पर शासन करता है। मीन राशि में शुक्र उच्च का होता है। तो ये लोग स्वाभाविक रूप से भाग्यशाली होते हैं। हालांकि, कठोर ग्रह शनि का प्रभाव इसे कुछ हद तक कम करता है।
27. रेवती
रेंज: 16˚40′ मीन – 30˚ मीन
शासक ग्रह: बुध
देवता: पुशन (पोषक)
गुना: सात्विक
प्रतीक: मछली
विशेषताएं
रेवती का चिन्ह मछली है। इसके प्रतीक की तरह, ये लोग जीवन में लक्ष्यहीन रूप से बहते रहते हैं।रेवती अंतिम नक्षत्र है और यह मोक्ष, या भौतिक दुनिया से मुक्ति का प्रतीक है।इसलिए ये लोग अपने कोमल, दयालु और त्यागी स्वभाव के लिए जाने जाते हैं।मीन राशि, जिस पर बृहस्पति का शासन है, एक जल राशि है, जो अक्सर भावनाओं से भस्म हो जाती है और खुद को अन्य लोगों की सेवा में फेंकने के लिए तैयार होती है। रेवती के लिए, कोई भी पाप या कर्म इतना बुरा नहीं है कि उसे क्षमा न किया जा सके।वे सबसे अधिक देखभाल करने वाले लोग हैं, और दुनिया के सामाजिक कार्यकर्ता हैं।कहने की जरूरत नहीं है, वे बहुत आशावादी और हंसमुख (बृहस्पति गुण) हैं, क्योंकि केवल ऐसे लोग ही मानवता में इतना जबरदस्त विश्वास कर सकते हैं। भले ही यह नक्षत्र बुध द्वारा शासित है, लेकिन यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यहां बुध नीच का है।तो तार्किक सोच क्षमता की इसकी सामान्य प्रकृति यहाँ पूरी तरह से डूब गई है।लेकिन वे अपनी बुद्धि का उपयोग अन्य लोगों की मदद करने के लिए करते हैं – जैसे परामर्श, क्योंकि बृहस्पति (शिक्षक) मीन राशि पर शासन करता है। सौभाग्य और सुख का ग्रह शुक्र यहाँ उच्च का है ये लोग वास्तव में अपने जीवन में काफी भाग्यशाली होते हैं और उनके पास संस्कृति और शोधन की हवा होती है, जो कि शुक्र की विशेषता है
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