Astrological Signs and their meanings & Importance
The zodiac, a celestial coordinate system, has fascinated humans for centuries. It is believed that our personalities and destinies are influenced by the positions of the sun, moon, and planets at the time of our birth. Astrology, the study of these celestial influences, uses the twelve astrological signs to provide insights into our character traits, compatibility with others, and life events. In this article, we will explore the astrological signs in order, shedding light on their unique qualities and meanings.
Table of Contents
Aries: The Trailblazer
Taurus: The Grounded One
Gemini: The Curious Communicator
Cancer: The Intuitive Nurturer
Leo: The Confident Leader
Virgo: The Analytical Perfectionist
Libra: The Harmonious Diplomat
Scorpio: The Intense Transformer
Sagittarius: The Adventurous Optimist
Capricorn: The Ambitious Achiever
Aquarius: The Independent Thinker
Pisces: The Compassionate Dreamer
Conclusion
FAQs
Aries: The Trailblazer
As the first sign of the zodiac, Aries represents new beginnings, energy, and enthusiasm. Aries individuals are known for their boldness, ambition, and willingness to take risks. They possess a natural leadership ability and are driven by their desire to conquer challenges.
Taurus: The Grounded One
Taurus is an earth sign, symbolizing stability, practicality, and sensuality. Taureans are known for their strong determination, loyalty, and appreciation for the finer things in life. They possess a deep connection to nature and enjoy creating a secure and harmonious environment.
Gemini: The Curious Communicator
Gemini, an air sign, represents intellectual curiosity, adaptability, and social intelligence. Geminis are excellent communicators and possess a quick wit. They have a thirst for knowledge and enjoy exploring various interests. Their versatility and sociability make them great conversationalists.
Cancer: The Intuitive Nurturer
Cancer, a water sign, is associated with emotions, intuition, and nurturing qualities. Cancerians are deeply compassionate, empathetic, and protective. They have a strong sense of loyalty towards their loved ones and value emotional connections. Their intuitive nature allows them to understand the needs of others.
Leo: The Confident Leader
Leo, a fire sign, represents confidence, creativity, and leadership. Leos are natural-born leaders and are often the center of attention. They exude charisma, have a generous spirit, and inspire others with their enthusiasm. Leos are known for their warm-heartedness and love for self-expression.
Virgo: The Analytical Perfectionist
Virgo, an earth sign, symbolizes practicality, attention to detail, and a quest for perfection. Virgos are meticulous, analytical, and highly organized. They possess a strong work ethic and excel in tasks that require precision. Their critical thinking and problem-solving skills make them reliable and dependable.
Libra: The Harmonious Diplomat
Libra, an air sign, represents balance, harmony, and diplomacy. Librans value fairness, justice, and cooperation. They have a natural sense of aesthetics and strive to create equilibrium in their relationships and surroundings. Librans are skilled at seeing multiple perspectives and are excellent peacemakers.
Scorpio: The Intense Transformer
Scorpio, a water sign, embodies intensity, passion, and transformation. Scorpios are known for their depth, determination, and emotional strength. They possess an innate ability to delve into the depths of any situation and are not afraid to confront the darker aspects of life. Scorpios are fiercely loyal and possess a magnetic aura.
Sagittarius: The Adventurous Optimist
Sagittarius, a fire sign, symbolizes adventure, optimism, and intellectual pursuits. Sagittarians have a thirst for knowledge and a love for exploration. They are natural philosophers and enjoy seeking the deeper meaning of life. Sagittarians are open-minded, independent, and have a contagious enthusiasm.
Capricorn: The Ambitious Achiever
Capricorn, an earth sign, represents ambition, responsibility, and discipline. Capricorns are highly motivated individuals who strive for success. They possess a strong sense of duty and have excellent organizational skills. Capricorns are determined, practical, and are often seen as the “rock” in their relationships.
Aquarius: The Independent Thinker
Aquarius, an air sign, embodies uniqueness, independence, and intellectualism. Aquarians are progressive thinkers who value individuality and freedom. They have a strong sense of social justice and are often at the forefront of change. Aquarians are known for their unconventional ideas and ability to think outside the box.
Pisces: The Compassionate Dreamer
Pisces, a water sign, represents compassion, spirituality, and creativity. Pisceans are highly empathetic and have a deep understanding of human emotions. They possess a vivid imagination and often channel their creativity into artistic endeavors. Pisceans are compassionate listeners and offer support to those in need.
Conclusion
The astrological signs provide a fascinating framework for understanding ourselves and the people around us. Each sign possesses unique qualities, strengths, and areas for growth. By exploring the astrological signs in order, we gain insight into the diverse spectrum of human personalities and behaviors. Whether we believe in astrology or not, the zodiac offers a valuable tool for self-reflection and a deeper appreciation of the complexities of human nature.
योग – वज्र 24 जून प्रातः 04:32 तक तत्पश्चात सिद्धि
राहुकाल – सुबह 11:00 से दोपहर 12:41 तक
सूर्योदय-05:59
सूर्यास्त- 19:22
दिशाशूल- पश्चिम दिशा में
जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभ आशीष
“23 का अंक देखने पर ॐ का आभास देता है। जो कि भारतीय परंपरा में शुभ प्रतीक है। आप बेहद भाग्यशाली हैं कि आपका जन्म 23 को हुआ है। 23 का अंक आपस में मिलकर 5 होता है। जबकि 5 का अंक बुध ग्रह का प्रतिनिधि करता है। ऐसे व्यक्ति अधिकांशत: मितभाषी होते हैं। कवि, कलाकार, तथा अनेक विद्याओं के जानकार होते हैं।
आपमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन करना मुश्किल है। अर्थात अगर आप अच्छे स्वभाव के व्यक्ति हैं तो आपको कोई भी बुरी संगत बिगाड़ नहीं सकती। अगर आप खराब आचरण के हैं तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको सुधार नहीं सकती। लेकिन सामान्यत: 23 तारीख को पैदा हुए व्यक्ति सौम्य स्वभाव के ही होते हैं। आपमें गजब की आकर्षण शक्ति होती है। आपमें लोगों को सहज अपना बना लेने का विशेष गुण होता है। अनजान व्यक्ति की मदद के लिए भी आप सदैव तैयार रहते हैं।
शुभ दिनांक : 1, 5, 7, 14, 23
शुभ अंक : 1, 2, 3, 5, 9, 32, 41, 50
शुभ वर्ष : 2030, 2032, 2034, 2050, 2059, 2052
ईष्टदेव : देवी महालक्ष्मी, गणेशजी, मां अम्बे।
शुभ रंग : हरा, गुलाबी जामुनी, क्रीम
कैसा रहेगा यह वर्ष
वर्ष आपके लिए सफलताओं भरा रहेगा। अभी तक आ रही परेशानियां भी इस वर्ष दूर होती नजर आएंगी। परिवारिक प्रसन्नता रहेगी। संतान पक्ष से खुशखबर आ सकती है। नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए यह वर्ष निश्चय ही सफलताओं भरा रहेगा। दाम्पत्य जीवन में मधुर वातावरण रहेगा। अविवाहित भी विवाह में बंधने को तैयार रहें। व्यापार-व्यवसाय में प्रगति से प्रसन्नता रहेगी”
मेष दैनिक राशिफल (Aries Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए सुख सुविधाओं में वृद्धि लेकर आने वाला है। आपके किसी भूमि, वाहन और मकान आदि को खरीदने के प्रयासों में तेजी आएगी और आपको भौतिक वस्तुओं की भी प्राप्ति होगी। आप संवेदनशील मामलों में आगे रहेंगे। आपकी वाणी की सौम्यता आपको मान सम्मान दिलवाएगी। आप अपने परिजनों से आज किसी जरुरी मुद्दे को लेकर बातचीत कर सकते हैं। जीवनसाथी का सहयोग और सानिध्य आपको भरपूर मिलेगा और आप अपनी जिम्मेदारियां को भी निभाएंगे। आपकी किसी मन की इच्छा की पूर्ति होने से आप परिवार में किसी पूजा पाठ आदि का आयोजन हो सकता है।
वृष दैनिक राशिफल (Taurus Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए मिलाजुला रहने वाला है। आपके साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी। आप नकारात्मक चर्चाओं से बचें। कुछ नए लोगों से भी आप अपने मेलजोल को बढ़ाने में कामयाब रहेंगे। पारिवारिक मामलों में आपकी रुचि रहेगी। यदि आप यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं, तो उसमें आप अपने सामानों की सुरक्षा अवश्य रखें। अपने लक्ष्य को त्यागकर आगे बढ़े, तभी आप कोई बड़ा मुकाम हासिल कर सकते हैं। सामाजिक गतिविधियों में भी आप पूरी सक्रियता रखेंगे। यदि संतान के करियर को लेकर परेशान चल रहे थे, तो वह आज दूर होगा।
मिथुन दैनिक राशिफल (Gemini Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए रक्त संबन्धी रिश्तों में मजबूती लेकर आएगा। आपके चारों ओर का वातावरण खुशनुमा रहेगा और आपके घर आज किसी अतिथि का आगमन होने से माहौल खुशनुमा रहेगा। बिजनेस कर रहे लोगों के लिए आज का दिन उतार-चढ़ाव भरा रहेगा और आप किसी काम में निसंकोच आगे बढे़ेंगे। आपको अपनी किसी पुरानी गलती के लिए पछतावा होगा, जो विद्यार्थी विदेश जाकर शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं, उन्हे कोई अच्छा मौका मिल सकता है। आप अपनों पर भरोसा बहुत ही सोच विचारकर करें।
कर्क दैनिक राशिफल (Cancer Daily Horoscope)
रचनात्मक कार्य में आज आप आगे बढ़ेंगे और रीति नीति का पालन करेंगे। आपके जीवन स्तर में भी सुधार होगा। संतान को यदि आप कोई जिम्मेदारी देंगे, तो वह उस पर खरे उतरेंगे और आप सबको साथ लेकर चलने की कोशिश में लगे रहेंगे। आपके व्यक्तित्व में भी आज निखार आएगा और आपको किसी दूर रह रहे परिजन से फोन के जरिए कोई शुभ सूचना सुनने को मिल सकती है। यदि आपने पहले किसी को धन उधार दिया था, तो वह आपको वापस मिल सकता है। कार्यक्षेत्र में आपके प्रयास तेज होंगे। कलात्मक क्षेत्रों में आप आगे रहेंगे।
सिंह दैनिक राशिफल (Leo Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए खर्चों से भरा रहने वाला है। बढ़ते खर्चों को लेकर आप परेशान रहेंगे। गरीबों का साथ और सहयोग बना रहेगा। आप अपने आवश्यक कार्य को गति देंगे। किसी बड़े कार्य में निवेश करने से आपको समस्या होगी और आप अपने आय व्यय के लिए बजट बनाकर चले, तो आपके लिए अच्छा रहेगा। आपने आवश्यक कार्य में यदि ढील बरती, तो बाद में आपको उनके लिए समस्या हो सकती है। परिवार में छोटे बच्चे आपसे किसी वस्तु की जिद कर सकते हैं, जिसे आप पूरे अवश्य करेंगे। माता-पिता को आप किसी धार्मिक यात्रा पर लेकर जा सकते हैं। आप अपने मित्रों के साथ कुछ समय मौज मस्ती करने में व्यतीत करेंगे।
कन्या दैनिक राशिफल (Virgo Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए लेनदेन के मामले में सावधानी बरतने के लिए रहेगा और आपके काम में अच्छा उछाल बना रहेगा। सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत लोगों को आज किसी बड़े पद की प्राप्ति हो सकती हैं। यदि आपने किसी को धन उधार दिया, तो आपके उस धन के वापस आने की संभावना बहुत कम है। आपको किसी बड़ी उपलब्धि के मिलने से खुशी होगी और अनुशासन के कार्यों पर आप पूरा जोर देंगे। आपका साहस और पराक्रम बढे़गा। विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा के मार्ग पर होंगे। जीवनसाथी के करियर में तरक्की मिलने से आपको खुशी होगी।
तुला दैनिक राशिफल (Libra Daily Horoscope)
आज का दिन अविवाहित जातकों के लिए उत्तम विवाह के प्रस्ताव लेकर आएगा। आपको कार्यक्षेत्र में किसी बड़े पद की प्राप्ति हो सकती हैं, लेकिन आप अपने कामों पर पूरा फोकस बनाए रखें। आपके विरोधी आपके ऊपर हावी होने की कोशिश करेंगे और आपकी किसी मन की इच्छा पूरी होने से आज खुशी होगी। किसी काम की शुरुआत करने से पहले आप माता पिता से बातचीत अवश्य करें। कार्यक्षेत्र में कुछ नए स्रोतों को भी आप शामिल कर सकते हैं। कार्यक्षेत्र की योजनाओं का आपको पूरा लाभ मिलेगा। आप अपने कामों में निसंकोच आगे बढ़ेंगे, तो आपके लिए बेहतर रहेगा।
वृश्चिक दैनिक राशिफल (Scorpio Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए भाग्य के दृष्टिकोण से उत्तम रहने वाला है। धार्मिक आयोजनों में आपकी रुचि रहेगी। लंबी दूरी की यात्रा पर आपको जाने के योग बनते दिख रहे हैं और आपकी सफलता आपके कदम चूमेगी। व्यवसाय की योजनाओं पर पूरा ध्यान देंगे। यदि आपने किसी बड़े निवेश को किया, तो बाद में आपको उसके लिए पछतावा होगा। आपकी कोई कीमती वस्तु यदि खो गई थी, तो वह आपको प्राप्त हो सकती है और घूमने फिरने के दौरान आपको कोई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। संतान पक्ष की ओर से आपको कोई निराशाजनक सूचना सुनने को मिल सकती है।
धनु दैनिक राशिफल (Sagittarius Daily Horoscope)
आज आपके अंदर परस्पर सहयोग की भावना बनी रहेगी और आप लोगों के सामने अपनी बात रखने में कामयाब रहेंगे। व्यवसाय के नियमों पर बिल्कुल ध्यान देंगे। घर परिवार में रिश्तों में कुछ खटपट हो सकती है और यदि आज कोई विपरीत परिस्थिति उत्पन्न हो, तो आपको उसमें धैर्य बनाए रखना होगा। अपनों के सहयोग से आपके ऊपर कार्य पूरे होंगे। संबंधों का भाव आपको ऊपर बना रहेगा। आप सबका सम्मान करेंगे और कार्यक्षेत्र में आप किसी वाद विवाद में पड़ने से बचें, नहीं वह कानूनी हो सकता है। आपको कुछ कामों के लिए योजनाएं बनानी होगी, तभी वह पूरे होंगे।
मकर दैनिक राशिफल (Capricorn Daily Horoscope)
आज का दिन आपके लिए जिम्मेदारी से कार्य करने के लिए रहेगा। साझेदारी में किए गए प्रयासों से आपको लाभ मिलेगा और आवश्यक कार्य को आप समय रहते पूरा करेंगे और नेतृत्व क्षमता का आपको पूरा लाभ मिलेगा। किसी नई संपत्ति की खरीदारी करते समय आपको सावधान रहना होगा। आपकी किसी पुरानी मित्र से लंबे समय बाद मुलाकात होगी। संतान आपकी उम्मीदो पर खरी उतरेगी। कोई काम यदि आपको लंबे समय से परेशान कर रहा था, तो वह आज पूरा हो सकता है।
कुंभ दैनिक राशिफल (Aquarius Daily Horoscope)
कुंभ राशि के जातकों के लिए आज का दिन मेहनत व लगन से कम करने के लिए रहेगा। आप अपने कामों में लापरवाही बिल्कुल ना बरतें और आपके आर्थिक प्रयास तेज रहेंगे। आप राजनीति के कामों में भी हाथ आजमा सकते हैं और कर्म निष्ठा से काम करने पर आपका जोर रहेगा। व्यापार की कुछ योजना को लेकर आप अपने किसी परिजन से बातचीत कर सकते हैं। आपकी निर्णय लेने की क्षमता आज मजबूत रहेगी, लेकिन आप किसी से धन उधार लेने से बचें और आपके अनुभवों का आपको पूरा लाभ मिलेगा, लेकिन यदि आपने अपने काम में लापरवाही दिखाई, तो बाद में आपको इसके लिए पछतावा होगा।
मीन दैनिक राशिफल (Pisces Daily Horoscope)
आज के दिन आप प्रतिस्पर्धा के क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे और आप अपनी बात बड़ों के सामने रखने में कामयाब रहेंगे। अपनी प्रतिभा से आप लोगों को आसानी से हैरान करेंगे। बुद्धि का प्रयोग करके आप सब कुछ पा सकते हैं, जिसकी आपके पास अभी तक कमी थी। विद्यार्थी परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करेंगे और मित्रों के साथ चल रही अनबन बातचीत के जरिए समाप्त होगी। कार्यक्षेत्र में आप कुछ नए उपकरणो का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको अपने कामों में तेजी करनी होगी। रचनात्मक कार्यों से आपको जुड़ने का मौका मिलेगा।
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बृहस्पति वार वृत्त कथा , गुरु बृहस्पति की कृपा प्राप्त करने हेतु :
गुरूवार व्रत की कथा Bhraspativar (Guruvar) Vrat Katha
इस व्रत को करने से समस्त इच्छएं पूर्ण होती है और वृहस्पति महाराज प्रसन्न होते है । धन, विघा, पुत्र तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है । परिवार में सुख तथा शांति रहती है । इसलिये यह व्रत सर्वश्रेष्ठ और अतिफलदायक है ।
इस व्रत में केले का पूजन ही करें । कथा और पूजन के समय मन, कर्म और वचन से शुद्घ होकर मनोकामना पूर्ति के लिये वृहस्पतिदेव से प्रार्थना करनी चाहिये । दिन में एक समय ही भोजन करें । भोजन चने की दाल आदि का करें, नमक न खाएं, पीले वस्त्र पहनें, पीले फलों का प्रयोग करें, पीले चंदन से पूजन करें । पूजन के बाद भगवान वृहस्पति की कथा सुननी चाहिये ।
गुरूवार व्रत की कथा Bhraspativar (Guruvar) Vrat Katha
प्राचीन समय की बात है – एक बड़ा प्रतापी तथा दानी राजा था । वह प्रत्येक गुरुवार को व्रत रखता एवं पूजा करता था।
यह उसकी रानी को अच्छा न लगता । न वह व्रत करती और न ही किसी को एक पैसा दान में देती । राजा को भी ऐसा करने से मना किया करती । एक समय की बात है कि राजा शिकार खेलने वन को चले गए । घर पर रानी और दासी थी । उस समय गुरु वृहस्पति साधु का रुप धारण कर राजा के दरवाजे पर भिक्षा मांगने आए । साधु ने रानी से भिक्षा मांगी तो वह कहने लगी, हे साधु महाराज । मैं इस दान और पुण्य से तंग आ गई हूँ । आप कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे यह सारा धन नष्ट हो जाये और मैं आराम से रह सकूं ।
साधु रुपी वृहस्पति देव ने कहा, हे देवी । तुम बड़ी विचित्र हो । संतान और धन से भी कोई दुखी होता है, अगर तुम्हारे पास धन अधिक है तो इसे शुभ कार्यों में लगाओ, जिससे तुम्हारे दोनों लोक सुधरें ।
परन्तु साधु की इन बातों से रानी खुश नहीं हुई । उसने कहा, मुझे ऐसे धन की आवश्यकता नहीं, जिसे मैं दान दूं तथा जिसको संभालने में ही मेरा सारा समय नष्ट हो जाये ।
साधु ने कहा, यदि तुम्हारी ऐसी इच्छा है तो जैसा मैं तुम्हें बताता हूं तुम वैसा ही करना । वृहस्पतिवार के दिन तुम घर को गोबर से लीपना, अपने केशों को पीली मिट्टी से धोना, केशों को धोते समय स्नान करना, राजा से हजामत बनाने को कहना, भोजन में मांस मदिरा खाना, कपड़ा धोबी के यहाँ धुलने डालना । इस प्रकार सात वृहस्पतिवार करने से तुम्हारा समस्त धन नष्ट हो जायेगा । इतना कहकर साधु बने वृहस्पतिदेव अंतर्धान हो गये ।
साधु के कहे अनुसार करते हुए रानी को केवल तीन वृहस्पतिवार ही बीते थे कि उसकी समस्त धन-संपत्ति नष्ट हो गई । भोजन के लिये परिवार तरसने लगा । एक दिन राजा रानी से बोला, हे रानी । तुम यहीं रहो, मैं दूसरे देश को जाता हूँ, क्योंकि यहां पर मुझे सभी जानते है । इसलिये मैं कोई छोटा कार्य नही कर सकता । ऐसा कहकर राजा परदेश चला गया । वहां वह जंगल से लकड़ी काटकर लाता और शहर में बेचता । इस तरह वह अपना जीवन व्यतीत करने लगा ।
इधर, राजा के बिना रानी और दासी दुखी रहने लगीं । एक समय जब रानी और दासियों को सात दिन बिना भोजन के रहना पड़ा, तो रानी ने अपनी दासी से कहा, हे दासी । पास ही के नगर में मेरी बहन रहती है । वह बड़ी धनवान है । तू उसके पास जा और कुछ ले आ ताकि थोड़ा-बहुत गुजर-बसर हो जाए ।
दासी रानी की बहन के पास गई । उस दिन वृहस्पतिवार था । रानी का बहन उस समय वृहस्पतिवार की कथा सुन रही थी । दासी ने रानी की बहन को अपनी रानी का संदेश दिया, लेकिन रानी की बहन ने कोई उत्तर नहीं दिया । जब दासी को रानी की बहन से कोई उत्तर नहीं मिला तो वह बहुत दुखी हुई । उसे क्रोध भी आया । दासी ने वापस आकर रानी को सारी बात बता दी । सुनकर, रानी ने अपने भाग्य को कोसा।
उधर, रानी की बहन ने सोचा कि मेरी बहन की दासी आई थी, परन्तु मैं उससे नहीं बोली, इससे वह बहुत दुखी हुई होगी । कथा सुनकर और पूजन समाप्त कर वह अपनी बहन के घर गई और कहने लगी, हे बहन । मैं वृहस्पतिवार का व्रत कर रही थी । तुम्हारी दासी गई परन्तु जब तक कथा होती है, तब तक न उठते है और न बोलते है, इसीलिये मैं नहीं बोली । कहो, दासी क्यों गई थी ।
रानी बोली, बहन । हमारे घर अनाज नहीं था । ऐसा कहते-कहते रानी की आंखें भर आई । उसने दासियों समेत भूखा रहने की बात भी अपनी बहन को बता दी । रानी की बहन बोली, बहन देखो । वृहस्पतिदेव भगवान सबकी मनोकामना पूर्ण करते है । देखो, शायद तुम्हारे घर में अनाज रखा हो । यह सुनकर दासी घर के अन्दर गई तो वहाँ उसे एक घड़ा अनाज का भरा मिल गया । उसे बड़ी हैरानी हुई क्योंकि उसे एक एक बर्तन देख लिया था । उसने बाहर आकर रानी को बताया । दासी रानी से कहने लगी, हे रानी । जब हमको भोजन नहीं मिलता तो हम व्रत ही तो करते है, इसलिये क्यों न इनसे व्रत और कथा की विधि पूछ ली जाये, हम भी व्रत किया करेंगे । दासी के कहने पर रानी ने अपनी बहन से वृहस्पतिवार व्रत के बारे में पूछा । उसकी बहन ने बताया, वृहस्पतिवार के व्रत में चने की दाल और मुनक्का से विष्णु भगवान का केले की जड़ में पूजन करें तथा दीपक जलायें । पीला भोजन करें तथा कथा सुनें । इससे गुरु भगवान प्रसन्न होते है, मनोकामना पूर्ण करते है । व्रत और पूजन की विधि बताकर रानी की बहन अपने घर लौट आई ।
रानी और दासी दोनों ने निश्चय किया कि वृहस्पतिदेव भगवान का पूजन जरुर करेंगें । सात रोज बाद जब वृहस्पतिवार आया तो उन्होंने व्रत रखा । घुड़साल में जाकर चना और गुड़ बीन लाईं तथा उसकी दाल से केले की जड़ तथा विष्णु भगवान का पूजन किया । अब पीला भोजन कहाँ से आए । दोनों बड़ी दुखी हुई । परन्तु उन्होंने व्रत किया था इसलिये वृहस्पतिदेव भगवान प्रसन्न थे । एक साधारण व्यक्ति के रुप में वे दो थालों में सुन्दर पीला भोजन लेकर आए और दासी को देकर बोले, हे दासी । यह भोजन तुम्हारे लिये और तुम्हारी रानी के लिये है, इसे तुम दोनों ग्रहण करना । दासी भोजन पाकर बहुत प्रसन्न हुई । उसने रानी को सारी बात बतायी ।
उसके बाद से वे प्रत्येक वृहस्पतिवार को गुरु भगवान का व्रत और पूजन करने लगी । वृहस्पति भगवान की कृपा से उनके पास धन हो गया । परन्तु रानी फिर पहले की तरह आलस्य करने लगी । तब दासी बोली, देखो रानी । तुम पहले भी इस प्रकार आलस्य करती थी, तुम्हें धन के रखने में कष्ट होता था, इस कारण सभी धन नष्ट हो गाय । अब गुरु भगवान की कृपा से धन मिला है तो फिर तुम्हें आलस्य होता है । बड़ी मुसीबतों के बाद हमने यह धन पाया है, इसलिये हमें दान-पुण्य करना चाहिये । अब तुम भूखे मनुष्यों को भोजन कराओ, प्याऊ लगवाओ, ब्राहमणों को दान दो, कुआं-तालाब-बावड़ी आदि का निर्माण कराओ, मन्दिर-पाठशाला बनवाकर ज्ञान दान दो, कुंवारी कन्याओं का विवाह करवाओ अर्थात् धन को शुभ कार्यों में खर्च करो, जिससे तुम्हारे कुल का यश बढ़े तथा स्वर्ग प्राप्त हो और पित्तर प्रसन्न हों । दासी की बात मानकर रानी शुभ कर्म करने लगी । उसका यश फैलने लगा ।एक दिन रानी और दासी आपस में विचार करने लगीं कि न जाने राजा किस दशा में होंगें, उनकी कोई खोज खबर भी नहीं है । उन्होंने श्रद्घापूर्वक गुरु (वृहस्पति) भगवान से प्रार्थना की कि राजा जहाँ कहीं भी हो, शीघ्र वापस आ जाएं ।उधर, राजा परदेश में बहुत दुखी रहने लगा । वह प्रतिदिन जंगल से लकड़ी बीनकर लाता और उसे शहर में बेचकर अपने दुखी जीवन को बड़ी कठिनता से व्यतीत करता । एक दिन दुखी हो, अपनी पुरानी बातों को याद करके वह रोने लगा और उदास हो गया ।
उसी समय राजा के पास वृहस्पतिदेव साधु के वेष में आकर बोले, हे लकड़हारे । तुम इस सुनसान जंगल में किस चिंता में बैठे हो, मुझे बतलाओ । यह सुन राजा के नेत्रों में जल भर आया । साधु की वंदना कर राजा ने अपनी संपूर्ण कहानी सुना दी । महात्मा दयालु होते है । वे राजा से बोले, हे राजा तुम्हारी पत्नी ने वृहस्पतिदेव के प्रति अपराध किया था, जिसके कारण तुम्हारी यह दशा हुई । अब तुम चिन्ता मत करो भगवान तुम्हें पहले से अधिक धन देंगें । देखो, तुम्हारी पत्नी ने वृहस्पतिवार का व्रत प्रारम्भ कर दिया है । अब तुम भी वृहस्पतिवार का व्रत करके चने की दाल व गुड़ जल के लोटे में डालकर केले का पूजन करो । फिर कथा कहो या सुनो । भगवान तुम्हारी सब कामनाओं को पूर्ण करेंगें । साधु की बात सुनकर राजा बोला, हे प्रभो । लकड़ी बेचकर तो इतना पैसा भई नहीं बचता, जिससे भोजन के उपरांत कुछ बचा सकूं । मैंने रात्रि में अपनी रानी को व्याकुल देखा है । मेरे पास कोई साधन नही, जिससे उसका समाचार जान सकूं । फिर मैं कौन सी कहानी कहूं, यह भी मुझको मालूम नहीं है । साधु ने कहा, हे राजा । मन में वृहस्पति भगवान के पूजन-व्रत का निश्चय करो । वे स्वयं तुम्हारे लिये कोई राह बना देंगे । वृहस्पतिवार के दिन तुम रोजाना की तरह लकड़ियां लेकर शहर में जाना । तुम्हें रोज से दुगुना धन मिलेगा जिससे तुम भलीभांति भोजन कर लोगे तथा वृहस्पतिदेव की पूजा का सामान भी आ जायेगा । जो तुमने वृहस्पतिवार की कहानी के बारे में पूछा है, वह इस प्रकार है –
वृहस्पतिदेव की कहानी ।
प्राचीनकाल में एक बहुत ही निर्धन ब्राहमण था । उसके कोई संन्तान न थी । वह नित्य पूजा-पाठ करता, उसकी स्त्री न स्नान करती और न किसी देवता का पूजन करती । इस कारण ब्राहमण देवता बहुत दुखी रहते थे ।
भगवान की कृपा से ब्राहमण के यहां एक कन्या उत्पन्न हुई । कन्या बड़ी होने लगी । प्रातः स्नान करके वह भगवान विष्णु का जप करती । वृहस्पतिवार का व्रत भी करने लगी । पूजा पाठ समाप्त कर पाठशाला जाती तो अपनी मुट्ठी में जौ भरके ले जाती और पाठशाला के मार्ग में डालती जाती । लौटते समय वही जौ स्वर्ण के हो जाते तो उनको बीनकर घर ले आती । एक दिन वह बालिका सूप में उन सोने के जौ को फटककर साफ कर रही थी कि तभी उसकी मां ने देख लिया और कहा, कि हे बेटी । सोने के जौ को फटकने के लिये सोने का सूप भी तो होना चाहिये ।
दूसरे दिन गुरुवार था । कन्या ने व्रत रखा और वृहस्पतिदेव से सोने का सूप देने की प्रार्थना की । वृहस्पतिदेव ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली । रोजाना की तरह वह कन्या जौ फैलाती हुई पाठशाला चली गई । पाठशाला से लौटकर जब वह जौ बीन रही थी तो वृहस्पतिदेव की कृपा से उसे सोने का सूप मिला । उसे वह घर ले आई और उससे जौ साफ करने लगी । परन्तु उसकी मां का वही ढंग रहा ।
एक दिन की बात है । कन्य सोने के सूप में जब जौ साफ कर रही थी, उस समय उस नगर का राजकुमार वहां से निकला । कन्या के रुप और कार्य को देखकर वह उस पर मोहित हो गया । राजमहल आकर वह भोजन तथा जल त्यागकर उदास होकर लेट गया ।
राजा को जब राजकुमार द्घारा अन्न-जल त्यागने का समाचार ज्ञात हुआ तो अपने मंत्रियों के साथ वह अपने पुत्र के पास गया और कारण पूछा । राजकुमार ने राजा को उस लड़की के घर का पता भी बता दिया । मंत्री उस लड़की के घर गया । मंत्री ने ब्राहमण के समक्ष राजा की ओर से निवेदन किया । कुछ ही दिन बाद ब्राहमण की कन्या का विवाह राजकुमार के साथ सम्पन्न हो गाया ।
कन्या के घर से जाते ही ब्राहमण के घर में पहले की भांति गरीबी का निवास हो गया । एक दिन दुखी होकर ब्राहमण अपनी पुत्री से मिलने गये । बेटी ने पिता की अवस्था को देखा और अपनी माँ का हाल पूछा ब्राहमण ने सभी हाल कह सुनाया । कन्या ने बहुत-सा धन देकर अपने पिता को विदा कर दिया । लेकिन कुछ दिन बाद फिर वही हाल हो गया । ब्राहमण फिर अपनी कन्या के यहां गया और सभी हाल कहातो पुत्री बोली, हे पिताजी । आप माताजी को यहाँ लिवा लाओ । मैं उन्हें वह विधि बता दूंगी, जिससे गरीबी दूर हो जाए । ब्राहमण देवता अपनी स्त्री को साथ लेकर अपनी पुत्री के पास राजमहल पहुंचे तो पुत्री अपनी मां को समझाने लगी, हे मां, तुम प्रातःकाल स्नानादि करके विष्णु भगवन का पूजन करो तो सब दरिद्रता दूर हो जाएगी । परन्तु उसकी मां ने उसकी एक भी बात नहीं मानी । वह प्रातःकाल उठकर अपनी पुत्री की बची झूठन को खा लेती थी ।
एक दिन उसकी पुत्री को बहुत गुस्सा आया, उसने अपनी माँ को एक कोठरी में बंद कर दिया । प्रातः उसे स्नानादि कराके पूजा-पाठ करवाया तो उसकी माँ की बुद्घि ठीक हो गई।
इसके बाद वह नियम से पूजा पाठ करने लगी और प्रत्येक वृहस्पतिवार को व्रत करने लगी । इस व्रत के प्रभाव से मृत्यु के बाद वह स्वर्ग को गई । वह ब्राहमण भी सुखपूर्वक इस लोक का सुख भोगकर स्वर्ग को प्राप्त हुआ । इस तरह कहानी कहकर साधु बने देवता वहाँ से लोप हो गये ।
धीरे-धीरे समय व्यतीत होने पर फिर वृहस्पतिवार का दिन आया । राजा जंगल से लकड़ी काटकर शहर में बेचने गया । उसे उस दिन और दिनों से अधिक धन मिला । राजा ने चना, गुड़ आदि लाकर वृहस्पतिवार का व्रत किया । उस दिन से उसके सभी क्लेश दूर हुए । परन्तु जब अगले गुरुवार का दिन आया तो वह वृहस्पतिवार का व्रत करना भूल गया । इस कारण वृहस्पति भगवान नाराज हो गए ।
उस दिन उस नगर के राजा ने विशाल यज्ञ का आयोजन किया था तथा अपने समस्त राज्य में घोषणा करवा दी कि सभी मेरे यहां भोजन करने आवें । किसी के घर चूल्हा न जले । इस आज्ञा को जो न मानेगा उसको फांसी दे दी जाएगी ।
राजा की आज्ञानुसार राज्य के सभी वासी राजा के भोज में सम्मिलित हुए लेकिन लकड़हारा कुछ देर से पहुंचा, इसलिये राजा उसको अपने साथ महल में ले गए । जब राजा लकड़हारे को भोजन करा रहे थे तो रानी की दृष्टि उस खूंटी पर पड़ी, जिस पर उसका हारलटका हुआ था । उसे हार खूंटी पर लटका दिखाई नहीं दिया । रानी को निश्चय हो गया कि मेरा हार इस लकड़हारे ने चुरा लिया है । उसी समय सैनिक बुलवाकर उसको जेल में डलवा दिया ।
लकड़हारा जेल में विचार करने लगा कि न जाने कौन से पूर्वजन्म के कर्म से मुझे यह दुख प्राप्त हुआ है और जंगल में मिले साधु को याद करने लगा । तत्काल वृहस्पतिदेव साधु के रुप में प्रकट हो गए और कहने लगे, अरे मूर्ख । तूने वृहस्पति देवता की कथा नहीं की, उसी कारण तुझे यह दुख प्राप्त हुआ हैं । अब चिन्ता मत कर । वृहस्पतिवार के दिन जेलखाने के दरवाजे पर तुझे चार पैसे पड़े मिलेंगे, उनसे तू वृहस्पतिवार की पूजा करना तो तेर सभी कष्ट दूर हो जायेंगे ।
अगले वृहस्पतिवार उसे जेल के द्घार पर चार पैसे मिले । राजा ने पूजा का सामान मंगवाकर कथा कही और प्रसाद बाँटा । उसी रात्रि में वृहस्पतिदेव ने उस नगर के राजा को स्वप्न में कहा, हे राजा । तूने जिसे जेल में बंद किया है, उसे कल छोड़ देना । वह निर्दोष है । राजा प्रातःकाल उठा और खूंटी पर हार टंगा देखकर लकड़हारे को बुलाकर क्षमा मांगी तथा राजा के योग्य सुन्दर वस्त्र-आभूषण भेंट कर उसे विदा किया ।
गुरुदेव की आज्ञानुसार राजा अपने नगर को चल दिया । राजा जब नगर के निकट पहुँचा तो उसे बड़ा ही आश्चर्य हुआ । नगर में पहले से अधिक बाग, तालाब और कुएं तथा बहुत-सी धर्मशालाएं, मंदिर आदि बने हुए थे । राजा ने पूछा कि यह किसका बाग और धर्मशाला है । तब नगर के सब लोग कहने लगे कि यह सब रानी और दासी द्घारा बनवाये गए है । राजा को आश्चर्य हुआ और गुस्सा भी आया कि उसकी अनुपस्थिति में रानी के पास धन कहां से आया होगाl|
जब रानी ने यह खबर सुनी कि राजा आ रहे है तो उसने अपनी दासी से कहा, हे दासी । देख, राजा हमको कितनी बुरी हालत में छोड़ गये थे । वह हमारी ऐसी हालत देखकर लौट न जाएं, इसलिये तू दरवाजे पर खड़ी हो जा । रानी की आज्ञानुसार दासी दरवाजे पर खड़ी हो गई और जब राजा आए तो उन्हें अपने साथ महल में लिवा लाई । तब राजा ने क्रोध करके अपनी तलवार निकाली और पूछने लगा, बताओ, यह धन तुम्हें कैसे प्राप्त हुआ है । तब रानी ने सारी कथा कह सुनाई ।
राजा ने निश्चय किया कि मैं रोजाना दिन में तीन बार कहानी कहा करुंगा और रोज व्रत किया करुंगा । अब हर समय राजा के दुपट्टे में चने की दाल बंधी रहती तथा दिन में तीन बार कथा कहता ।
एक रोज राजा ने विचार किया कि चलो अपनी बहन के यहां हो आऊं । इस तरह का निश्चय कर राजा घोड़े पर सवार हो अपनी बहन के यहां चल दिया । मार्ग में उसने देखा कि कुछ आदमी एक मुर्दे को लिये जा रहे है । उन्हें रोककर राजा कहने लगा, अरे भाइयो । मेरी वृहस्पतिवार की कथा सुन लो । वे बोले, लो, हमारा तो आदमी मर गया है, इसको अपनी कथा की पड़ी है । परन्तु कुछ आदमी बोले, अच्छा कहो, हम तुम्हारी कथा भी सुनेंगें । राजा ने दाल निकाली और कथा कहनी शुरु कर दी । जब कथा आधी हुई तो मुर्दा हिलने लगा और जब कथा समाप्त हुई तो राम-राम करके वह मुर्दा खड़ा हो गया।
राजा आगे बढ़ा । उसे चलते-चलते शाम हो गई । आगे मार्ग में उसे एक किसान खेत में हल चलाता मिला । राजा ने उससे कथा सुनने का आग्रह किया, लेकिन वह नहीं माना ।
राजा आगे चल पड़ा । राजा के हटते ही बैल पछाड़ खाकर गिर गए तथा किसान के पेट में बहुत जो रसे द्रर्द होने लगा ।
उसी समय किसान की मां रोटी लेकर आई । उसने जब देखा तो अपने पुत्र से सब हाल पूछा । बेटे ने सभी हाल बता दिया । बुढ़िया दौड़-दौड़ी उस घुड़सवार के पास पहुँची और उससे बोली, मैं तेरी कथा सुनूंगी, तू अपनी कथा मेरे खेत पर ही चलकर कहना । राजा ने लौटकर बुढ़िया के खेत पर जाकर कथा कही, जिसके सुनते ही बैल खड़े हो गये तथा किसान के पेट का दर्द भी बन्द हो गया ।
राजा अपनी बहन के घर पहुंच गया । बहन ने भाई की खूब मेहमानी की । दूसरे रोज प्रातःकाल राजा जागा तो वह देखने लगा कि सब लोग भोजन कर रहे है । राजा ने अपनी बहन से जब पूछा, ऐसा कोई मनुष्य है, जिसने भोजन नहीं किया हो । जो मेरी वृहस्पतिवार की कथा सुन ले । बहन बोली, हे भैया यह देश ऐसा ही है यहाँ लोग पहले भोजन करते है, बाद में कोईअन्य काम करते है । फिर वह एक कुम्हार के घर गई, जिसका लड़का बीमार था । उसे मालूम हुआ कि उसके यहां तीन दिन से किसीने भोजन नहीं किया है । रानी ने अपने भाई की कथा सुनने के लिये कुम्हार से कहा । वह तैयार हो गया । राजा ने जाकर वृहस्पतिवार की कथा कही । जिसको सुनकर उसका लड़का ठीक हो गया । अब तो राजा को प्रशंसा होने लगी । एक दिन राजा ने अपनी बहन से कहा, हे बहन । मैं अब अपने घर जाउंगा, तुम भी तैयार हो जाओ । राजा की बहन ने अपनी सास से अपने भाई के साथ जाने की आज्ञा मांगी । सास बोली हां चली जा मगर अपने लड़कों को मत ले जाना, क्योंकि तेरे भाई के कोई संतान नहीं होती है । बहन ने अपने भाई से कहा, हे भइया । मैं तो चलूंगी मगर कोई बालक नहीं जायेगा । अपनी बहन को भी छोड़कर दुखी मन से राजा अपने नगर को लौट आया । राजा ने अपनी रानी से सारी कथा बताई और बिना भोजन किये वह शय्या पर लेट गया । रानी बोली, हे प्रभो । वृहस्पतिदेव ने हमें सब कुछ दिया है, वे हमें संतान अवश्य देंगें । उसी रात वृहस्पतिदेव ने राजा को स्वप्न में कहा, हे राजा । उठ, सभी सोच त्याग दे । तेरी रानी गर्भवती है । राजा को यह जानकर बड़ी खुशी हुई । नवें महीन रानी के गर्भ से एक सुंदर पुत्र पैदा हुआ । तब राजा बोला, हे रानी । स्त्री बिना भोजन के रह सकती है, परन्तु बिना कहे नहीं रह सकती । जब मेरी बहन आये तो तुम उससे कुछ मत कहना । रानी ने हां कर दी । जब राजा की बहन ने यह शुभ समाचार सुना तो वह बहुत खुश हुई तथा बधाई लेकर अपने भाई के यहां आई । रानी ने तब उसे आने का उलाहना दिया, जब भाई अपने साथ ला रहे थे, तब टाल गई । उनके साथ न आई और आज अपने आप ही भागी-भागी बिना बुलाए आ गई । तो राजा की बहन बोली, भाई । मैं इस प्रकार न कहती तो तुम्हारे घर औलाद कैसे होती ।
वृहस्पतिदेव सभी कामनाएं पूर्ण करते है । जो सदभावनापूर्वक वृहस्पतिवार का व्रत करता है एवं कथा पढ़ता है अथवा सुनता है और दूसरों को सुनाता है, वृहस्पतिदेव उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते है, उनकी सदैव रक्षा करते है ।
जो संसार में सदभावना से गुरुदेव का पूजन एवं व्रत सच्चे हृदय से करते है, उनकी सभी मनकामनाएं वैसे ही पूर्ण होती है, जैसी सच्ची भावना से रानी और राजा ने वृहस्पतिदेव की कथा का गुणगान किया, तो उनकी सभी इच्छाएं वृहस्पतिदेव जी ने पूर्ण की । अनजाने में भी वृहस्पतिदेव की उपेक्षा न करें । ऐसा करने से सुख-शांति नष्ट हो जाती है । इसलिये सबको कथा सुनने के बाद प्रसाद लेकर जाना चाहिये । हृदय से उनका मनन करते हुये जयकारा बोलना चाहिये ।
॥ इति श्री वृहस्पतिवार व्रत कथा ॥
गुरुवार को बृहस्पतिभगवान का व्रत रखने या कथा कहने या सुनने से घर में हमेशा सुख-संपत्ति की बहार रहती है.।