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पुष्य नक्षत्र योग: जीवन में उन्नति का रहस्य और महत्व

Unlock the Secrets of Pushya Nakshatra Yoga and Experience Prosperity in Life

Pushya Nakshatra Yoga and Experience Prosperity in Life

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पुष्य नक्षत्र योग: जीवन में उन्नति का रहस्य और महत्व

30 मार्च 2023 गुरुवार को रात्रि 22:49 से सूर्योदय तक गुरुपुष्यमृत योग है ।

क्या होता है पुष्य नक्षत्र का योग :-

पुष्य नक्षत्र योग हिंदू धर्म के अनुसार एक शुभ अवसर है, जो पूरे विश्व में हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। यह उस समय होता है जब पुष्य नक्षत्र, जो गुरु ग्रह द्वारा शासित होता है वह पूर्णिमा के साथ उदय होता है। इस घटना को आध्यात्मिक विकास, धन, सफलता और उत्थान के लिए अत्यंत लाभदायक माना जाता है।

क्या है महत्वता:-

पुष्य नक्षत्र को हिंदी में “पुष्य नक्षत्र योग” कहा जाता है और यह हिंदू कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण अवसरों में से एक माना जाता है। पुष्य नक्षत्र का दिन महत्वपूर्ण समझा जाता है क्योंकि यह नई शुरुआतें करने, महत्वपूर्ण फैसले लेने और दिव्य से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अनुकूल होता है।

पुष्य नक्षत्र योग का महत्व यह भी है कि इसे धन, सफलता और उन्नति लाने वाला माना जाता है ।

पुष्य नक्षत्र योग को अन्य शुभ अवसरों से अलग माना जाता है। इस दिन को धर्मिक अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है जैसे कि पूजा, दान और अन्य अनुष्ठान। इसके अलावा, इस दिन को व्यापार और काम की शुरुआत के लिए भी शुभ माना जाता है।

इस दिन लोगों को अपनी करियर में सफलता प्राप्त करने के लिए पूजा करनी चाहिए। धन, समृद्धि और अन्य सफलताओं के लिए लोगों को अपने घर को साफ-सुथरा रखना चाहिए और उसमें दिये, फूल आदि सजाकर अपनी पूजा करनी चाहिए।

पुष्य नक्षत्र योग दिन को अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशी और प्रसन्नता के साथ मनाना चाहिए। इस दिन वृद्धों और गरीबों की मदद करना भी बहुत महत्वपूर्ण है।

संक्षेप में कहें तो, पुष्य नक्षत्र योग हमें उन्नति और सफलता के लिए सही मार्ग दिखाता है। इस दिन को धार्मिक उद्देश्यों के साथ मनाना चाहिए और उससे अपने जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और खुशियां प्राप्त करना चाहिए।

कैसे पुष्य नक्षत्र की मदद से बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में :-

बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें

१०८ मोती की माला लेकर गुरुमंत्र का जाप करे, जो भी श्रद्धापूर्वक गुरूमंत्र का जाप करता है तो 27 नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और सभी नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति |

पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है | उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये | और मन ही मन ये मंत्र बोले :-

ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |…… ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम :

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Horoscope Today: March 29, 2023॥Aaj Ka Rashifal 29 March

Horoscope Today: March 29, 2023॥Aaj Ka Rashifal 29 MarchHoroscope Today: March 29, 2023॥Aaj Ka Rashifal 29 March

वैदिक पंचांग

दिनांक – 29 मार्च 2023

दिन – बुधवार

विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)

शक संवत -1945

अयन – उत्तरायण

ऋतु – वसंत ॠतु

मास – चैत्र

पक्ष – शुक्ल

तिथि – अष्टमी रात्रि 21:07 तक तत्पश्चात नवमी

नक्षत्र – आर्द्रा रात्रि 20:07 तक तत्पश्चात पुनर्वसु

योग – शोभन रात्रि 24:13 तक तत्पश्चात अतिगण्ड

राहुकाल – दोपहर 12:44 से दोपहर 14:16 तक

सूर्योदय- 06:36

सूर्यास्त – 18:51

दिशाशूल – उत्तर दिशा में

30 मार्च, गुरुवार को श्रीराम नवमी का पर्व है। त्रेता युग में इसी दिन भगवान श्री रामजी का जन्म हुआ था। इसलिए भारत सहित अन्य देशों में भी हिंदू धर्म को मानने वाले इस पर्व को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से हर इच्छा पूरी हो सकती है।

श्रीराम नवमी की सुबह किसी राम मंदिर में जाकर राम रक्षा स्त्रोत का 11 बार पाठ करें ।हर समस्याओं का समाधान हो जाएगा ।

दक्षिणावर्ती शंख में दूध व केसर डालकर श्रीरामजी की मूर्ति का अभिषेक करें ।इससे धन लाभ हो सकता है ।

इस दिन बंदरों को चना, केले व अन्य फल खिलाएं ।इससे आपकी हर मनोकामना पुरी हो सकती है ।

श्रीराम नवमी की शाम को तुलसी के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं । इससे घर में सुख-शांति रहेगी ।

इस दिन भगवान श्रीरामजी को विभिन्न अनाजों का भोग लगाएँ और बाद में इसे गरीबों में बांट दें ।इससे घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी ।

इस दिन भगवान श्रीरामजी के साथ माता सीता की भी पूजा करें ।इससे दांपत्य जीवन सुखी रहता है ।

भगवान श्रीरामजी के मंदिर के शिखर पर ध्वजा यानी झंडा लगवाएं ।इससे आपको मान-सम्मान व प्रसिद्धि मिलेगी ।

चैत्र नवरात्रि

नवरात्रि की अष्टमी यानी आठवें दिन माता दुर्गा को नारियल का भोग लगाएं । इससे घर में सुख समृद्धि आती है ।

मन की शांति मिलती है मां महागौरी की पूजा से

नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। मां महागौरी का रंग अत्यंत गोरा है, इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि का आठवां दिन हमारे शरीर का सोम चक्रजागृत करने का दिन है। सोमचक्र ललाट में स्थित होता है। श्री महागौरी की आराधना से सोमचक्र जागृत हो जाता है और इस चक्र से संबंधित सभी शक्तियां श्रद्धालु को प्राप्त हो जाती है। मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वत: ही प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही, इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है।

जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभ आशीष

दिनांक 29 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 2 होगा। 2 और 9 आपस में मिलकर 11 होते हैं। 11 की संख्या आपस में मिलकर 2 होती है इस तरह आपका मूलांक 2 होगा। इस मूलांक को चंद्र ग्रह संचालित करता है। चंद्र ग्रह स्त्री ग्रह माना गया है। अत: आप अत्यंत कोमल स्वभाव के हैं। आपमें अभिमान तो जरा भी नहीं होता। चंद्र ग्रह मन का कारक होता है।

आप अत्यधिक भावुक होते हैं। आप स्वभाव से शंकालु भी होते हैं। दूसरों के दु:ख दर्द से आप परेशान हो जाना आपकी कमजोरी है। आप मानसिक रूप से तो स्वस्थ हैं लेकिन शारीरिक रूप से आप कमजोर हैं। चंद्र के समान आपके स्वभाव में भी उतार-चढ़ाव पाया जाता है। आप अगर जल्दबाजी को त्याग दें तो आप जीवन में बहुत सफल होते हैं।

शुभ दिनांक : 2, 11, 20, 29

शुभ अंक : 2, 11, 20, 29, 56, 65, 92

शुभ वर्ष : 2027, 2029, 2036

ईष्टदेव : भगवान शिव, बटुक भैरव

शुभ रंग : सफेद, हल्का नीला, सिल्वर ग्रे

कैसा रहेगा यह वर्ष

स्वास्थ्य की दृष्टि से संभल कर चलने का वक्त होगा। पारिवारिक विवाद आपसी मेलजोल से ही सुलझाएं। लेखन से संबंधित मामलों में सावधानी रखना होगी। बगैर देखे किसी कागजात पर हस्ताक्षर ना करें। दखलअंदाजी ठीक नहीं रहेगी। किसी नवीन कार्य योजनाओं की शुरुआत करने से पहले बड़ों की सलाह लें। व्यापार-व्यवसाय की स्थिति ठीक-ठीक रहेगी

मेष दैनिक राशिफल (Aries Horoscope Today: March 29, 2023)

आज का दिन आपके लिए उत्तम रूप से फलदायक रहने वाला है। आपको कार्यक्षेत्र में जिम्मेदारी बढ़ने से अत्यधिक मेहनत करनी होगी। सामाजिक गतिविधियों में भी आपकी पूरी रुचि रहेगी। आज आपको किसी मांगलिक आयोजन में सम्मिलित होने का मौका मिलेगा। भाई बंधुओं से आज नजदीकियां बनेगी और कुछ जन सरोकारों से आपको जुड़ने का मौका मिलेगा। यदि आपको कोई शुभ सूचना सुनने को मिले, तो आप उसे तुरंत आगे ना बढ़ाएं। आज आपको अपने आलस्य को त्यागकर आगे बढ़ना होगा।

वृष दैनिक राशिफल (Taurus Horoscope Today: March 29, 2023)

आज का दिन आपके लिए खास रहने वाला है। आप अपनों का साथ लेकर सहयोग बनाए रखेंगे और किसी अतिथि का आगमन होने से आपका धन खर्च बढ़ सकता है। आपको अपने खानपान में अत्यधिक तले हुए भोजन से परहेज रखना बेहतर रहेगा। कुछ परंपरागत कार्य से आपको जुड़ने का मौका मिलेगा। आप कार्यक्षेत्र में बड़प्पन दिखाते हुए छोटों की गलतियों को माफ करेंगे और जो लोग बैंकिंग क्षेत्रों में कार्यरत हैं, उन्हें अपने काम पर पूरा ध्यान देना होगा। आप संतान को संस्कारों व परंपराओं का पाठ पढ़ाएंगे।

मिथुन दैनिक राशिफल (Gemini Horoscope Today: March 29, 2023)

आज का दिन आपके लिए व्यवसाय की योजनाओं को बनाने के लिए रहेगा और आपके व्यक्तित्व में निखार आएगा और मामा पक्ष से आज आपको धन लाभ मिलता दिख रहा है। आपकी वाणी की सौम्यता आपको मान सम्मान दिलवाएगी। आप कामों के प्रति उत्साह बनाए रखें, नहीं तो समस्या हो सकती है और रचनात्मक कार्य में भी आज आपकी रुचि पूरी रहेगी। आपको किसी नए काम में हाथ आजमाने से बचना होगा, नहीं तो समस्या हो सकती है। आपका कोई पुराना मित्र आज आपसे लंबे समय बाद मुलाकात करने आ सकता है।

कर्क दैनिक राशिफल (Cancer Horoscope Today: March 29, 2023)

आज आपको संवेदनशील मामलों में धैर्य बनाए रखना होगा, नहीं तो समस्या हो सकती है। किसी बात को लेकर आप तर्क वितर्क ना करें, नहीं तो समस्या हो सकते हैं और कानूनी मामले में आपको कोई बहुत बड़ी चूक हो सकती है, जिसमें आपको सावधानी बरतनी होगी और कार्यक्षेत्र में आप कुछ अक्समात नीतियों को अपनाएंगे। करियर को लेकर यदि आप परेशान चल रहे थे, तो उससे आपको छुटकारा मिलेगा और किसी दूर रहे परिजन से आपको कोई निराशाजनक सूचना सुनने को मिल सकती है।

सिंह दैनिक राशिफल (Leo Horoscope Today: March 29, 2023)

आज का दिन आपके लिए मन मुताबिक लाभ दिलाने वाला रहेगा। व्यापार में कुछ पुराने निवेशकों से अच्छा ना मिलने से आपकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहेगा, जिससे आप अपने कुछ पुराने कर्जे भी उतारने में कामयाब रहेंगे और कार्यक्षेत्र में आज आपकी प्रतिभा और निखार आएगा। आपकी अपने कुछ परिजनों से भेंट होगी, जो आपके लिए लाभदायक रहेगी। आपको प्रशासनिक मामलों में सावधानी बरतनी होगी और कोई विशेष उपलब्धि मिलने से आजा प्रसन्न रहेंगे। आप सट्टेबाजी में धन का निवेश करते हैं, तो उससे आज आपको अच्छा मुनाफा हो सकता है।

कन्या दैनिक राशिफल (Virgo Horoscope Today: March 29, 2023)

आज का दिन आपके लिए कुछ उलझने लेकर आने वाला है। आपको लेनदेन के मामले में सतर्कता बरतनी होगी और नहीं तो कोई आपका फायदा उठा सकता है। अधिकारियों के सामने आज आप अपनी बात अवश्य रखें और कार्यक्षेत्र में आपके दिए गए सुझावों का स्वागत होगा। सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे लोगों की मेहनत आज रंग लाएगी। जीवनसाथी की ओर से कोई खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। आपकी पद प्रतिष्ठा बढ़ने से आपकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहेगा और परिवार का कोई सदस्य आज नौकरी के लिए घर से दूर जा सकता है।

तुला दैनिक राशिफल (Libra Horoscope Today: March 29, 2023)

आज का दिन आपके लिए उत्तम रूप से फलदायक रहने वाला है। आपके घर में कार्यों के प्रति रुचि बढ़ेगी और आपको अपनी निर्णय लेने की क्षमता का लाभ मिलेगा। मनोरंजन के कार्यक्रमों में आज आप सम्मिलित होंगे। आपके किसी मन की इच्छा की पूर्ति होने से आज आपका मन प्रसन्न रहेगा और आपकी आय में वृद्धि होगी। जीवनसाथी आपके लिए कोई उपहार लेकर आ सकते हैं, जिससे आपको खुशी होगी। संतान यदि आप कुछ जिम्मेदारियां देंगे, तो वह उन्हें निभाने में नाकामयाब रहेंगे, जिससे आप उनसे नाराज हो सकते हैं। विद्यार्थियों को अपनी परीक्षा की तैयारियों में जमकर मेहनत करनी होगी, तभी वह सफलता हासिल कर सकेंगे।

वृश्चिक दैनिक राशिफल (Scorpio Horoscope Today: March 29, 2023)

आज का दिन आपके लिए कुछ समस्याएं लेकर आने वाला है। आपने जो पहले अपने कामों में लापरवाही की थी, जिसकी वजह से आपको समस्या हो सकती है और आप सभी मामलों में बहुत ही सोच विचार कर आगे बढ़े, तो आपकी खुशी होगी।आपकी आज किसी अजनबी से मुलाकात होगी, जिनसे आपको अपनी जरूरी बातें शेयर करने से बचना होगा और आप अपने डेली रुटीन को बेहतर बनाने की कोशिश में लगे रहेंगे। किसी काम में आप उसके अनुशासन को बनाए रखें। करियर को लेकर परेशान चल रहे, तो उसमे आपको कोई अच्छा मुकाम मिल सकता है।

धनु दैनिक राशिफल (Sagittarius Horoscope Today: March 29, 2023)

आज का दिन आपके लिए खुशहाली लेकर आने वाला है। आपके पारिवारिक रिश्ते में मजबूती आएगी और आपको लाभ के अवसरों को भी हाथ से नहीं जाने देना है। आवश्यक मामलों में आप तेजी बनाए रखें। सबको साथ लेकर चलने की कोशिश में अपना कामयाब रहेंगे। आप अपने कानूनी मामलों में आज फंसे रहेंगे, जिसके कारण बाकी कामों पर ध्यान देंगे। किसी आवश्यक कार्य के पूरा होने से आज आपका आत्मविश्वास और बढ़ेगा और जीवनसाथी के करियर में तरक्की मिलने से आप प्रसन्न रहेंगे।

मकर दैनिक राशिफल (capricon Horoscope Today: March 29, 2023)

आज आप अपनी सेहत के प्रति सचेत रहें, क्योंकि आपके पुराने रोग फिर से उभर सकते हैं और आपके कुछ विरोधी आपके ऊपर हावी होने की कोशिश में लगी रहेंगे। आप कुछ नए लोगों पर अत्यधिक भरोसा ना करें, नहीं तो वह आपके उस भरोसे को तोड़ सकते हैं। आप मेहनत और लगन से काम करके कार्यक्षेत्र में एक अच्छी जगह बनाने में कामयाब रहेंगे और आपको अपनी मेहनत का पूरा फल मिलेगा। शीघ्रता में भावुकता में कोई निर्णय ना लें, नहीं तो समस्या हो सकती है। आपको अपनी चतुर बुद्धि का प्रयोग करके कोई निर्णय लेना बेहतर रहेगा।

कुंभ दैनिक राशिफल (Aquarius Horoscope Today: March 29, 2023)

आज का दिन आपके लिए उन्नति दिलाने वाला रहेगा। आप अपने कारोबार को आगे बढ़ाने की पूरी कोशिश में लगे रहेंगे और पूरे जोश से काम करेंगे, जिससे आपको सफलता अवश्य मिलेगी। मित्रों का सहयोग आपको भरपूर मात्रा में मिलता दिख रहा है। कार्यक्षेत्र में यदि आप से कोई गलती हुई थी, तो आपको उसके लिए माफी मांगने पड़ सकती हैं। विद्यार्थियों के अध्ययन व अध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ेगी और घूमने फिरने के दौरान आज आपको कोई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकती है। आप सबको साथ लेकर चलने की कोशिश में लगे रहेंगे। आपकी कार्य क्षमता में भी वृद्धि होगी।

मीन दैनिक राशिफल (Pisces Horoscope Today: March 29, 2023)

आज का दिन आपके लिए सुख सुविधाओं में वृद्धि लेकर आने वाला है। परिवार में यदि आज कोई वाद विवाद चल रहा है, तो उसे घर से बाहर ना जाने दें और किसी नई संपत्ति की खरीदारी की इच्छा आपकी पूरी हो सकती है। निजी विषयों में आज आपकी रूचि बढ़ेगी और आप अपनी शान शौकत की कुछ वस्तुओं की खरीदारी कर सकते हैं। आप अपने करीबियों से मेलजोल बढ़ाने में कामयाब रहेंगे और कार्यक्षेत्र में किसी व्यक्ति से सलाह की आवश्यकता हो, तो किसी अनुभवी व्यक्ति से ले, तो आपके लिए बेहतर रहेगा।

Jai Sri Ram

Consultation:- mail@analystastro.com

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Navratri Special|Chaitra Navratri 2023||नव संवत्सर 2080। हिंदू नव वर्ष 2080

चैत्र नवरात्रि विशेष :-img 7909

नौ दिनों में माता के अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है. इन दिनों की अलग-अलग पूजा विधि होती है, जबकि नौ दिनों के लिए अलग-अलग मंत्री भी शास्त्रों में बनाए गए हैं. शास्त्रों के हिसाब से 9 दिनों में इन्ही मंत्रों के साथ माता की पूजा की जाती है. खास बात यह है कि अलग-अलग दिन माता को भोग भी अलग-अलग ही लगाया जाता है. नवरात्रि पर पूजन विधि से जुड़ी पूरी जानकारी अधोलिखित है :-

पहले दिन मां भगवती के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है. दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्माण्डा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवे दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री के रूप में माता को पूजा जाता है. हर दिन मां के अलग-अलग मंत्रों का उच्चारण करने से मनोकामना पूरी होती है और व्रत सफल होता है. 

img 79591. पहला दिन यानि मां शैलपुत्री:- शैलपुत्री पूजन विधि ( Shailputri Puja Vidhi) :  दुर्गा को मातृ शक्ति यानी स्नेह, करूणा और ममता का स्वरूप मानकर हम पूजते हैं, अत: इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिक्पालों, दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों को भी आमंत्रित किया जाता और और कलश में उन्हें विराजने हेतु प्रार्थना सहित उनका आहवान किया जाता है। नवरात्र पर कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा की पूजा शुरू की जाती है। पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होती है. कलश में सप्तमृतिका यानी सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी, मुद्रा सादर भेट किया जाता है और पंच प्रकार के पल्लव से कलश को सुशोभित किया जाता है।इस कलश के नीचे सात प्रकार के अनाज और जौ बोये जाते हैं जिन्हें दशमी तिथि को काटा जाता है और इससे सभी देवी-देवता की पूजा होती है।इसे जयन्ती कहते हैं जिसे इस मंत्र के साथ अर्पित किया जाता है “जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा, स्वधा नामोस्तुते”. इसी मंत्र से पुरोहित यजमान के परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर जयंती डालकर सुख, सम्पत्ति एवं आरोग्य का आर्शीवाद देते हैं।

शैलपुत्री पूजन महत्व (Significance of Worshipping Shailputri) :  देवी दुर्गा की प्रतिमा पूजा स्थल पर बीच में स्थापित की जाती है और उनके दोनों तरफ यानी दायीं ओर देवी महालक्ष्मी, गणेश और विजया नामक योगिनी की प्रतिमा रहती है। वहीं बायीं ओर कार्तिकेय, देवी महासरस्वती और जया नामक योगिनी रहती है तथा भगवान भोले नाथ की भी पूजा की जाती है। प्रथम पूजन के दिन “शैलपुत्री” के रूप में भगवती दुर्गा दुर्गतिनाशिनी की पूजा फूल, अक्षत, रोली, चंदन से होती है।

मंत्र: वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌।

      वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

कलश स्थापना के पश्चात देवी दु्र्गा जिन्होंने दुर्गम नामक प्रलयंकारी अ-सुर का संहार कर अपने भक्तों को उसके त्रास से यानी पीड़ा से मुक्त कराया उस देवी का आह्वान किया जाता है. प्रतिदिन संध्या काल में देवी की आरती होती है. आरती में “जग जननी जय जय” और “जय अम्बे गौरी” के गीत भक्त जन गाते हैं.

img 79612. दूसरा दिन यानि मां ब्रह्मचारिणी: दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. नवरात्र पर्व के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। साधक इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है।मां दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता।मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हीं के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान ’चक्र में शिथिल होता है। इस चक्र में अवस्थित मनवाला योगी उनकी कृपा और भक्ति प्राप्त करता है।

मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा विधि:  देवी ब्रह्मचारिणी जी की पूजा में सर्वप्रथम माता की फूल, अक्षत, रोली, चंदन, से पूजा करें तथा उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से स्नान करायें व देवी को प्रसाद अर्पित करें। प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट कर इनकी प्रदक्षिणा करें। कलश देवता की पूजा के पश्चात इसी प्रकार नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता, की पूजा करें। देवी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर प्रार्थना करें-

मंत्र: दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।

      देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

इसके पश्चात् देवी को पंचामृत स्नान करायें और फिर भांति भांति से फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें देवी को अरूहूल का फूल व कमल बेहद प्रिय होते हैं अत: इन फूलों की माला पहनायें, घी व कपूर मिलाकर देवी की आरती करें।

“मां ब्रह्मचारिणी का स्रोत पाठ”

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।

ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।

शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥

“मां ब्रह्मचारिणी का कवच” 

त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।

अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥

पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥

षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।

अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।

img 79623.तीसरा दिन यानि मां चंद्रघंटा: तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को पूजा जाता है. नवरात्र का तीसरा दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का होता है। इस दिन मां के चंद्रघंटा स्वरुप की उपासना की जाती है। इनके सिर पर घंटे के आकार का चंद्रमा है। इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके दसों हाथों में अ-स्त्र-शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा है। मां चंद्रघंटा तंभ साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती है और ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह से होता है।

ऐसे करें पूजा : मां चंद्रघंटा , जिनके माथे पर घंटे के आकार का एक चंद्र होता है. इनकी पूजा करने से शांति आती है, परिवार का कल्याण होता है. मां को लाल फूल चढ़ाएं, लाल सेब और गुड़ चढाएं, घंटा बजाकर पूजा करें, ढोल और नगाड़े बजाकर पूजा और आरती करें, शुत्रुओं की हार होगी। इस दिन गाय के दूध का प्रसाद चढ़ाने का विशेष विधान है। इससे हर तरह के दुखों से मुक्ति मिलती है।

मंत्र:पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।

     प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥

img 79634. चौथा दिन यानि मां कूष्माण्डा: चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा की जाती है.नवरात्र के चौथे दिन मां पारांबरा भगवती दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा की जाती है। मान्‍यता ये है कि जब सृष्टि का अ-स्तित्व नहीं था, तब कुष्माण्डा देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी।अपनी मंद-मंद मुस्कान भर से ब्रम्हांड की उत्पत्ति करने के कारण ही इन्हें कुष्माण्डा के नाम से जाना जाता है इसलिए ये सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। देवी कुष्मांडा का निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है जहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य के समान ही अलौकिक हैं।माता के तेज और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित होती हैं ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में मौजूद तेज मां कुष्मांडा की छाया है। मां कुष्‍माण्‍डा की आठ भुजाएं हैं। इसलिए मां कुष्मांडा को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। मां सिंह के वाहन पर सवार रहती हैं।

मंत्र: सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।

      दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे॥

img 79645. पांचवां दिन यानि मां स्कंदमाता :नवरात्र का पांचवां दिनस्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। भगवान स्कंद ‘कुमार कार्तिकेय’ नाम से भी जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण माँ दुर्गाजी के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है।स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। इनके दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प ली हुई हैं। इनका वर्ण पूर्णत: शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह इनका भी वाहन है।

स्कन्दमाता की पूजा विधि : कुण्डलिनी जागरण के उद्देश्य से जो साधक दुर्गा मां की उपासना कर रहे हैं उनके लिए दुर्गा पूजा का यह दिन विशुद्ध चक्र की साधना का होता है। इस चक्र का भेदन करने के लिए साधक को पहले मां की विधि सहित पूजा करनी चाहिए। पूजा के लिए कुश अथवा कम्बल के पवित्र आसन पर बैठकर पूजा प्रक्रिया को उसी प्रकार से शुरू करना चाहिए जैसे आपने अब तक के चार दिनों में किया है फिर इस मंत्र से देवी की प्रार्थना करनी चाहिए।

मंत्र: सिंहसनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

      शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥

अब पंचोपचार विधि से देवी स्कन्दमाता की पूजा कीजिए। नवरात्रे की पंचमी तिथि को कहीं कहीं भक्त जन उद्यंग ललिता का व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को फलदायक कहा गया है। जो भक्त देवी स्कन्द माता की भक्ति-भाव सहित पूजन करते हैं उसे देवी की कृपा प्राप्त होती है। देवी की कृपा से भक्त की मुराद पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि रहती है।

स्कन्दमाता की मंत्र:

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया ।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ।।

या देवी सर्वभू?तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

img 79656.छठवां दिन यानि मां कात्यायनी:मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है। उस दिन साधक का मन ‘आज्ञा’ चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक माँ कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों को सहज भाव से मां के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं।

मां कात्यायनी का स्वरूप : मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यन्त दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला है। यह अपनी प्रिय सवारी सिंह पर विराजमान रहती हैं। इनकी चार भुजायें भक्तों को वरदान देती हैं, इनका एक हाथ अभय मुद्रा में है, तो दूसरा हाथ वरदमुद्रा में है अन्य हाथों में तलवार और कमल का फूल है।देवी कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं इनकी पूजा अर्चना द्वारा सभी संकटों का नाश होता है, मां कात्यायनी दानवों तथा पापियों का नाश करने वाली हैं। मान्यता के अनुसार देवी कात्यायनी जी के पूजन से भक्त के भीतर अद्भुत शक्ति का संचार होता है। भक्त को माता के पूजन द्वारा सहजभाव से मां कात्यायनी के दर्शन प्राप्त होते हैं। साधक इस लोक में रहते हुए अलौकिक तेज से युक्त रहता है।

मां कात्यायनी की पूजा विधि : नवरात्रों के छठे दिन मां कात्यायनी की सभी प्रकार से विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए फिर मां का आशीर्वाद लेना चाहिए और साधना में बैठना चाहिए। इस प्रकार जो साधक प्रयास करते हैं उन्हें भगवती कात्यायनी सभी प्रकार के भय से मुक्त करती हैं. मां कात्यायनी की भक्ति से धर्म, अर्थ, कर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान किया जाता है. देवी की पूजा के पश्चात महादेव और परम पिता की पूजा करनी चाहिए. श्री हरि की पूजा देवी लक्ष्मी के साथ ही करनी चाहिए।

मंत्र:चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।

     कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥

चढावा– षष्ठी तिथि के दिन देवी के पूजन में मधु का महत्व बताया गया है। इस दिन प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए।

मनोकामना– मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी मानी गई हैं। शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयासरत भक्तों को माता की अवश्य उपासना करनी चाहिए।

मनोवान्छित वर की प्राप्ति :माना जाता है कि जिन कन्याओं के विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, उन्हे इस दिन माँ कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, जिससे उन्हें मनोवान्छित वर की प्राप्ति होती है।

विवाह के लिए कात्यायनी मन्त्र- 

ऊॅं कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ! नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:।’

img 79667. सातवां दिन यानि मां कालरात्रि:नवरात्रि के सातवें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा। मां कालरात्रि को यंत्र, मंत्र और तंत्र की देवी कहा जाता है। कहा जाता है कि देवी दुर्गा ने रक्तबीज का वध करने के लिए कालरात्रि को अपने तेज से उत्पन्न किया था। इनकी उपासना से प्राणी सर्वथा भय मुक्त हो जाता है।ऐसा है मां का स्वरूप: इनके शरीर का रंग काला है। मां कालरात्रि के गले में नरमुंड की माला है। कालरात्रि के तीन नेत्र हैं और उनके केश खुले हुए हैं। मां गर्दभ  की सवारी करती हैं। मां के चार हाथ हैं एक हाथ में कटार और एक हाथ में लोहे का कांटा है।

मंत्र: 

    ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

     दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।।

     जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।                    

     जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तु ते।।

– धां धीं धूं धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु।

बीज मंत्र :  ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ( तीन, सात या ग्यारह माला करें)

कालरात्रि पूजा विधि  :  सप्तमी की पूजा अन्य दिनों की तरह ही होती परंतु रात्रि में विशेष विधान के साथ देवी की पूजा की जाती है। इस दिन कहीं कहीं तांत्रिक विधि से पूजा होने पर मदिरा भी देवी को अर्पित कि जाती है। सप्तमी की रात्रि ‘सिद्धियों’ की रात भी कही जाती है। पूजा विधान में शास्त्रों में जैसा वर्णित हैं उसके अनुसार पहले कलश की पूजा करनी चाहिए।

नवग्रह, दशदिक्पाल, देवी के परिवार में उपस्थित देवी देवता की पूजा करनी चाहिए फिर मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए। दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि का काफी महत्व बताया गया है। इस दिन से भक्त जनों के लिए देवी मां का दरवाज़ा खुल जाता है और भक्तगण पूजा स्थलों पर देवी के दर्शन हेतु पूजा स्थल पर जुटने लगते हैं।

मनोकामना: मां की इस तरह की पूजा से मृत्यु का भय नहीं सताता। देवी का यह रूप ऋद्धि- सिद्धि प्रदान करने वाला है। देवी भगवती के प्रताप से सब मंगल ही मंगल होता है।

img 79678.आठवां दिन यानि मां महागौरी: नवरात्र के आठवें दिन आठवीं दुर्गा यानि की महागौरी की पूजा अर्चना और आराधना की जाती है। कहते हैं अपनी कठीन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था। तभी से इन्हें उज्जवला स्वरूपा महागौरी, धन ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला, शारीरिक मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी का नाम दिया गया। 

श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। 

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा ।।

मां महागौरी की पूजा करने से मन पवित्र हो जाता है और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन षोडशोपचार पूजन किया जाता है। मां की कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण हैं। इनके वस्त्र और आभूषण सफेद हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। महागौरी का वाहन बैल है। देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है।

पूजन विधि इस प्रकार है : सबसे पहले गंगा जल से शुद्धिकरण करके देवी मां महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका(सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें।इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा माता महागौरी सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। इस दिन माता दुर्गा को नारियल का भोग लगाएं और नारियल का दान भी करें।

मां महागौरी का उपासना मंत्र: 

श्वेते वृषे समारुढ़ा, श्वेताम्बरधरा शुचिः।

महागौरीं शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया।।

img 79689.नौवां दिन यानि मां सिद्धिदात्री :-नवरात्रि के नौवें और आखिरी दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां दुर्गा की नौवीं शक्ति देवी सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को सारी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। देवी सिद्धिदात्री को मां सरस्वती का भी एक रूप माना जाता है क्योंकि माता अपने सफेद वस्त्र एवं अलंकार से सुसज्जित अपने भक्तों को महाज्ञान एवं मधुर स्वर से मन्त्र-मुग्ध करती है। सिद्धिदात्री मां की पूजा के बाद ही अगले दिन दशहरा त्योहार मनाया जाता है।

देवी सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत सौम्य है, देवी की चार भुजाएं हैं। दाईं भुजा में माता ने चक्र और गदा धारण किया है और बांई भुजा में शंख और कमल का फूल है। मां सिद्धिदात्री कमल आसन पर विराजमान रहती हैं, मां की सवारी सिंह हैं। मां की आराधना वाले इस दिन को रामनवमी भी कहा जाता है और शारदीय नवरात्रि के अगले दिन अर्थात दसवें दिन को रावण पर राम की विजय के रूप में मनाया जाता है।

ऐसे करें पूजा:  इस दिन माता सिद्धिदात्री को नवाह्न प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए। सर्वप्रथम कलश की पूजा व उसमें स्थपित सभी देवी-देवताओ का ध्यान करना चाहिए। इसके पश्चात माता के मंत्रो का जाप कर उनकी पूजा करनी चाहिए। इस दिन नौ कन्याओं को घर में भोग लगाना चाहिए। नव-दुर्गाओं में सिद्धिदात्री अंतिम है तथा इनकी पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। कन्याओं की आयु दो वर्ष से ऊपर और 10 वर्ष तक होनी चाहिए और इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए। यदि 9 से ज्यादा कन्या भोज पर आ रही है तो कोई आपत्ति नहीं है।इस तरह से की गई पूजा से माता अपने भक्तों पर तुरंत प्रसन्न होती है। भक्तों को संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भक्तों को अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र की ओर लगाना चाहिए। यह चक्र हमारे कपाल के मध्य में स्थित होता है। ऐसा करने से भक्तों को माता सिद्धिदात्री की कृपा से उनके निर्वाण चक्र में उपस्थित शक्ति स्वतः ही प्राप्त हो जाती है।

मंत्र: सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

     सेव्यमाना सदा भूयाात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

देवी का बीज मंत्र :

ऊॅं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नमः ।।

मां सिद्धदात्री की पूजा में हवन करने के लिए दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोकों का प्रयोग किया जा सकता है।

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जय माता की

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