इस शुभ दिन के साथ कई किंवदंतियाँ जुड़ी हुई हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण किंवदंतियाँ देवी अन्नपूर्णा के इर्द-गिर्द घूमती हैं। शास्त्रों के अनुसार, देवी अन्नपूर्णा, देवी पार्वती का अवतार, अक्षय तृतीया के इस खुशी के अवसर पर भूखों को उदारतापूर्वक भोजन प्रदान करने के लिए प्रकट हुईं।
किंवदंती है कि भगवान शिव, एक भिखारी के रूप में भेष भर कर, अन्नपूर्णा देवी के पास गए और भोजन का अनुरोध किया। किसी को आश्चर्य हो सकता है कि ब्रह्मांड के भगवान को भोजन के लिए भीख मांगने की आवश्यकता क्यों होगी। इस कृत्य ने मानवता के लिए एक आध्यात्मिक अनुस्मारक के रूप में कार्य किया, कम भाग्यशाली लोगों को खाना खिलाने के महत्व पर जोर दिया, क्योंकि भगवान हर प्राणी के भीतर रहते हैं। इस प्रकार, इस कथा के अनुसार, देवी ने स्वयं इस शुभ दिन पर भगवान शिव के अलावा किसी और को भोजन नहीं खिलाया।
तभी से भगवान भोलेनाथ ने इस दिन अन्न व भोजन दान के रूप में मनाने का वरदान दिया।
इस दिन अन्नदान व भोजन दान का अक्षय फल प्राप्त होने का भी वरदान है।
अक्षय तृतीया का यह शुभ दिन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग ढंग से मनाया जाता है:
1-उड़ीसा में, प्रसिद्ध रथ यात्रा के लिए रथों के निर्माण की शुरुआत अक्षय तृतीया के महत्व को दर्शाती है।
2-उत्तर प्रदेश में वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में एक अनोखी परंपरा का पालन किया जाता है, जहां आशीर्वाद लेने के लिए जनता के सामने भगवान श्री बांके बिहारी जी के चरण दर्शन कराए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, यह दिन ईश्वर द्वारा ब्रह्मांड के निर्माण का प्रतीक है, इसलिए इसका अत्यधिक महत्व है।
3-महाराष्ट्र में महिलाएं सौहार्दपूर्ण वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करने के लिए वैवाहिक आनंद के प्रतीक हल्दी और कुमकुम का आदान-प्रदान करती हैं। इसके अतिरिक्त, वे अपने पतियों की दीर्घायु की कामना के लिए देवी गौरी की पूजा करती हैं।
4-पश्चिम बंगाल में भक्त इस दिन को वर्ष का सबसे शुभ दिन मानकर देवी लक्ष्मी के प्रति गहरी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। लोग अपने जीवन में समृद्धि और प्रचुरता लाने के लिए कीमती धातुएँ खरीदते हैं।
सोना चांदी खरीदने के अलावा अक्षय तृतीया पर मिट्टी का घड़ा, बर्तन, कौड़ी, जौ, पीली सरसों, धनिया, दक्षिणावर्ती शंख, श्रीयंत्र, झाड़ू, वाहन और घर खरीदना भी बहुत ही शुभ माना गया है. ये चीजें घर लाने से धन-धान्य में वृद्धि होती है.
अक्षय तृतीया पर अबूझ साया होता है इस दिन विवाह करना भी बहुत शुभ माना गया है।
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1 मई 2024 को देवताओं के गुरु बृहस्पति का राशि परिवर्तन होगा. गुरु मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे. ज्योतिष से जानते हैं गुरु के गोचर का समय, उपाय और राशियों पर प्रभाव।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समय-समय पर ग्रह राशि परिवर्तन करते हैं, जिसका प्रभाव सभी 12 राशियों के जातकों के जीवन पर पड़ता है।
सभी ग्रह एक निश्चित अंतराल पर गोचर करते हैं. ज्योतिष में गुरु ग्रह के राशि परिवर्तन को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. जब भी गुरु ग्रह अपनी राशि बदलते हैं तो हर जातक के जीवन में इसका प्रभाव अवश्य ही पड़ता है।
गुरु गोचर 2024 का समय
गुरु 13 महीने तक किसी राशि में रहते हैं फिर इसके बाद राशि परिवर्तन करते हैं. देवताओं के गुरु बृहस्पति का 1 मई को गोचर होगा और गुरु वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे।
देवगुरु बृहस्पति 01 मई 2024 को दोपहर उपरांत राशि बदलेंगे. गुरु ग्रह को विस्तार, प्रगति और ज्ञान का ग्रह माना जाता है. गुरु ग्रह जातक के जीवन को अधिकांश क्षेत्रों को प्रभावित करता है. गुरु अभी मंगल की राशि मेष में विराजमान हैं और इसके बाद शुक्र की राशि वृषभ में प्रवेश करेंगे.
गुरु के वृषभ राशि में गोचर करने से कई राशियों के लोगों को लाभ मिल सकता है. सभी 9 ग्रहों में, बृहस्पति को सबसे शुभ माना जाता है और बृहस्पति की कृपा के बिना जातकों को कोई भी शुभ फल प्राप्त नहीं होती है.
गुरु ग्रह धनु व मीन राशि के स्वामी हैं. इन्हें ज्ञान, शिक्षक, संतान, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक ग्रह कहा जाता है. बृहस्पति 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी होते हैं।
सनातन धर्म में गुरुवार का दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति देव को समर्पित होता है. इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग देवगुरु बृहस्पति की पूजा-उपासना की जाती है.
कुंडली में गुरु मजबूत रहने से जातक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है, मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है. अविवाहित जातकों की शीघ्र शादी हो जाती है. वहीं कुंडली में गुरु कमजोर होने पर जातक को जीवन में धन-संबंधी परेशानी हमेशा बनी रहती है.
गुरु गोचर
ज्योतिष गणना के अनुसार, देवताओं के गुरु बृहस्पति वर्तमान में मेष राशि में विराजमान हैं और 1 मई को वृषभ राशि में गोचर करेंगे. देवगुरु बृहस्पति दोपहर 02:29 मिनट पर मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे।
इस दौरान 12 जून को रोहिणी नक्षत्र में गोचर करेंगे. वहीं 9 अक्टूबर को देवगुरु बृहस्पति वक्री हो जाएंगे. इसके बाद गुरु 4 फरवरी, 2025 को मार्गी होंगे. वर्ष 2025 में 14 मई को देवगुरु वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे.
गुरु गोचर का प्रभाव
बृहस्पति के राशि बदलने के कारण लंबे समय से प्रमोशन का इंतजार करने वाले लोगों को स्थान परिवर्तन के साथ सुखद संकेत भी मिल सकते हैं. राजनीति से जुड़े कुछ लोगों को जनता का सहयोग मिल सकता है. बुद्धि और ज्ञान बढ़ेगा, कुछ नया सीखने को मिलेगा, सेहत संबंधी परेशानियां भी कम हो सकती है. जॉब-बिजनेस और अन्य कई मामलों में निष्पक्ष फैसले भी होने के योग बन रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि के साथ शेयर बाजार फिर से बढ़ने की भी संभावना रहेगी. इससे अर्थव्यवस्था मजबूत होने के योग बनेंगे।
राजनीतिक उथल-पुथल एवं प्राकृतिक आपदाओं की आशंका बढ़ेगी. लोगों को विशेष लाभ मिलेगा. शिक्षा प्रणाली में सुधार के भी योग बनेंगे. धरना जुलूस प्रदर्शन आंदोलन गिरफ्तारियां होगी. रेल दुर्घटना होने की संभावना रहेगी, अचानक मौसमी बदलाव भी हो सकते हैं, बारिश और बर्फबारी होने की आशंका है, सेना की ताकत बढ़ेगी और देश की कानून व्यवस्था भी मजबूत होगी।
गुरु के उपाय
जल में हल्दी डालकर स्नान करें. मस्तक पर हल्दी और केसर का टीका लगाएं. गुरुवार के दिन पीली वस्तुओं का दान करें, पीले वस्त्र, फल, चना, गुड़ चने की दाल आदि का दान करें. साथ ही अपने से ज्येष्ठ और गुरुजनों का सम्मान करें.
गाय का पूजन कर उसे आटा की लोई खिलाएं, पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं, हर गुरुवार शाम एक दीपक जलाकर पीपल के पास रखने से लाभ होगा।
गुरु के वृषभ राशि में गोचर का सभी 12 राशियों पर प्रभाव
मेष राशि-मेष राशि वालों के लिए गुरु का गोचर शुभप्रद है, धन लाभ व उन्नति के अवसर, शुभ कार्यों पर खर्च, उच्च प्रतिष्ठित लोगों के साथ संपर्क बढ़ेगा, जिससे नए लाभप्रद मार्ग एवं परियोजना सामने आएंगी.
वृषभ राशि-आय कम, खर्च अधिक होंगे. धर्म का पालन करने से लाभ के अवसर बनेंगे. शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतें. पारिवारिक दायित्व के निर्वाह में संघर्ष रहेगा.
मिथुन राशि-स्वास्थ्य के प्रति विशेष सावधानी बरतें. अनावश्यक वाद-विवाद में न उलझें. धन व्यय की अधिकता रहेगी, बनते कामों में विघ्न न पैदा हों इसके लिए सोच-समझकर ही निर्णय लें.
कर्क राशि-गुरु शुभ और सर्व सिद्धि कारक हैं. लाभ व उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे, धन, भूमि, सवारी आदि सुखों में वृद्धि होगी, कार्यों में सफलता प्राप्त होगी.
सिंह राशि-कठोर श्रम से ही कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी. कार्य, व्यवसाय में कुछ उलझनों के बाद धन प्राप्ति होगी, अनावश्यक तनाव स्वास्थ्य कष्ट का कारण बन सकता है.
कन्या राशि-आपको श्रेष्ठ स्थिति की ओर आपकी योग्यता अनुसार ले जाने का प्रयास करेगा. नवम भाव का गुरु कार्यों में सफलता, लाभ व उन्नति के अवसर प्रदान करता है.
तुला राशि-मानसिक अशांति, मतिभ्रम, स्थान परिवर्तन, घरेलु उलझनें बनी रहेंगी. नए प्रोजेक्ट की शुरुआत हो सकती है जो एक वर्ष के बाद सार्थक परिणाम दिलाऐंगे. यात्रा में सावधानी बरतें.
वृश्चिक राशि-धन लाभ एवं सवारी आदि सुखों की प्राप्ति होगी. पद, प्रतिष्ठा में वृद्धि एवं सम्मान आदि का सुख प्राप्त होगा. विचारों में परोपकार की भावना उदय होगी.
धनु राशि-अनावश्यक परेशानियां और खर्चे बढ़ सकते हैं. रोग और शत्रु आप पर हावी हो सकते हैं. अतः सावधानी पूर्वक कार्य व्यवहार करें. परिस्थिवश निकट बन्धुओं से व्यथा, तकरार पैदा होने की संभावनाएं हैं.
मकर राशि-उच्च शिक्षा में सफलता, अविवाहितों को विवाह आदि सुखों की प्राप्ति होगी, श्रेष्ठजनों से सम्पर्क, लाभ व उन्नति के अवसर मिलेंगे, परन्तु अनुकूल परिणाम पाने के लिए विशेष प्रयास भी करना पड़ेगा.
कुंभ राशि-कुम्भ राशि: आपकी सूझ-बूझ, प्रयास और परिश्रम ही परेशानियों को कम करेगी, जिससे वाद-विवाद से बचाव और सुख-साधनों में कमी नहीं आएगी. आर्थिक लेन- देन के प्रति सचेत रहें.
मीन राशि-विशेष प्रयास के बाद ही सफलता प्राप्त होगी. नौकरी, व्यवसाय में परिवर्तन, मानसिक अशांति प्रस्तुत कर सकता है. सही निर्णय ही आपको सफलता दिलाएगा.