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दीपावली 2023 पूजन मुहूर्त राशियों के अनुसार

img 4407दीपावली 2023 मुहूर्त आपकी राशि के अनुसार

आप सभी सनातन धर्म प्रेमी बंधुओ को दीपोत्सव की हार्दिक मंगल कामनाएं।

श्रीराम जी के वनवास समाप्त कर अयोध्या वापिस आने के उपलक्ष्य मे भारतवर्ष में आज दिपावली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है।

आज लक्ष्मी पूजन करने के लिए हम चौघड़िया मुहूर्त को देखने की आवश्यकता नही होती। क्योंकि वे मुहूर्त यात्रा के लिए उपयुक्त होते हैं। लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान होता है। जब स्थिर लग्न प्रचलित होती है। ऐसा माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है। इसीलिए लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है।वृषभ लग्न को स्थिर माना गया है और दीवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होता है।

दीपावली पूजन के लिये निम्न चार विशेष मुहूर्त होते है।

1 वृश्चिक लग्न यह लग्न दीपावली के सुबह आती है वृश्चिक लग्न में मंदिर, स्कूल, हॉस्पिटल, कॉलेज आदि में पूजा होती है। राजनीति से जुड़े लोग एवं कलाकार आदि इसी लग्न में पूजा करते हैं।

2 कुंभ लग्न यह दीपावली की दोपहर का लग्न होता है। इस लग्न में प्राय बीमार लोग अथवा जिन्हें व्यापार में काफी हानि हो रही है, जिनकी शनि की खराब महादशा चल रही हो उन्हें इस लग्न में पूजा करना शुभ रहता है।

3 वृषभ लग्न यह लग्न दीपावली की शाम को बढ़ाएं मिल ही जाता है तथा इस लग्न में गृहस्थ एवं व्यापारीयो को पूजा करना सबसे उत्तम माना गया है।

4 सिंह लग्न यह लग्न दीपावली की मध्यरात्रि के आस पास पड़ता है तथा इस लग्न में तांत्रिक, सन्यासी आदि पूजा करना शुभ मानते हैं।

अमावस्या तिथि प्रारम्भ 12 नवम्बर को दिन 02:41 बजे से।

अमावस्या तिथि समाप्त 13 नवम्बर को दिन 02:56 बजे।

व्यवसायियों के लिये गद्दी स्थापना-स्याही भरना-कलम दवात संवारने हेतु शुभ मुहूर्त

प्रातः मुहूर्त 12 नवम्बर प्रातः 08:16 से 12:22 तक (इस अवधि मे चंचल, लाभ व अमृत की चौघड़ी रहेगी)।

दिन 11:39 से 12:22, अभिजीत मुहूर्त,

तथा सायं 05:46 से 08:04 तक प्रदोष काल में करना श्रेष्ठ रहेगा।

(सायं 04:02 से 05:22 तक राहुकाल रहेगा इस अवधि मे पूजन से बचे)

प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन मुहूर्त

गौधुली प्रदोष वेला सायं 05:46 से रात्रि 08:04 तक प्रदोष काल रहेगा दीपावली पूजन के लिये यह समय उपयुक्त माना जाता है।

शुभ लग्न में पूजन का मुहूर्त

प्रदोष काल सायं 05:46 से रात्रि 08:04 तक।

वृषभ लग्न 05:48 से 07:45 तक वृष लग्न रहेगा प्रदोष काल व स्थिर लग्न दोनों रहने से गृहस्थ और व्यापारी वर्ग के लिये लक्ष्मी पूजन के लिये यही मुहुर्त सर्वाधिक शुभ रहेगा।

सिंह लग्न

रात्रि 12:10 से 02:25 तक सिंह लग्न रहेगी इस समयावधि में श्रीकनकधारा स्तोत्र का पठन पाठन विशेष श्रीकर सिद्ध होता है।

निशिथ काल

निशिथ काल में स्थानीय प्रदेश समय के अनुसार इस समय में कुछ मिनट का अन्तर हो सकता है। रात्रि 11:39 से 12:31 तक निशिथ काल रहेगा। निशिथ काल में सन्यासी एवं तांत्रिक वर्ग के लिये लक्ष्मी पूजन के लिये यह समय अधिक उपयुक्त रहेगा।

महानिशीथ काल

महानिशीथ काल मे धन लक्ष्मी का आहवाहन एवं पूजन, गल्ले की पूजा तथा हवन इत्यादि कार्य किया जाता है। श्री महालक्ष्मी पूजन, महाकाली पूजन, लेखनी, कुबेर पूजन, अन्य वैदिक तांत्रिक मंन्त्रों का जपानुष्ठान किया जाता है।

महानिशीथ काल रात्रि में 11:41 से 12:55 मिनट तक महानिशीथ काल रहेगा। इस समयावधि में कर्क लग्न और सिंह लग्न होना शुभस्थ है। इसलिए अशुभ चौघडियों को भुलाकर यदि कोई कार्य प्रदोष काल अथवा निशिथ काल में शुरु करके इस महानिशीथ काल में संपन्न हो रहा हो तो भी वह अनुकूल ही माना जाता है। महानिशिथ काल में पूजा समय चर लग्न में कर्क लग्न उसके बाद स्थिर लग्न सिंह लग्न भी हों, तो विशेष शुभ माना जाता है। महानिशीथ काल में कर्क लग्न और सिंह लग्न होने के कारण यह समय शुभ हो गया है। जो शास्त्रों के अनुसार दिपावली पूजन करना चाहते हो, वह इस समयावधि को पूजा के लिये प्रयोग कर सकते हैं। इसमें किया हुआ तंत्र प्रयोग मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तंभन इत्यादि कर्म तांत्रिकों की ओर से किए जाते हैं । इस समय में किया हुआ कोई भी मंत्र सिद्ध हो जाता है। इस समय में सभी आसुरी शक्तियां जागृत हो जाती हैं। इस समय में घोर, अघोर, डाबर, साबर सभी प्रकार के मंत्रों की सिद्धि हो जाती है। इसी समय उल्लूक तंत्र का प्रयोग साधक लोग करते हैं। पंच प्रकार की पूजा, काली पूजा, तारा, छिन्नमस्ता, बगुलामुखी पूजा इसी समय की जाती है।

जो जन शास्त्रों के अनुसार दिपावली पूजन करना चाहते हो, उन्हें इस समयावधि को पूजा के लिये प्रयोग करना चाहिए।

वृष एवं सिंह लग्न में कनकधारा एवं ललिता सहस्त्रनाम का पाठ विशेष लाभदायक माना गया है।

दीपदान मुहूर्त

लक्ष्मी पूजा दीपदान के लिए प्रदोष काल (रात्रि का पंचमांष प्रदोष काल कहलाता है) ही विशेषतया प्रशस्त माना जाता है। दीपावली के दिन प्रदोष काल सायं 05:46 से रात्रि 08:04 बजे तक रहेगा।

भारत के अन्य शहरों में लक्ष्मी पूजा मुहूर्त

पुणे सायं 06:09 से रात्रि 08:09

नई दिल्ली सायं 05:39 से सायं 07:35

चेन्नई सायं 05:52 से सायं 07:54

जयपुर सायं 05:48 से सायं 07:44

हैदराबाद सायं 05:52 से सायं 07:53

गुरुग्राम सायं 05:40 से सायं 07:36

चण्डीगढ़ सायं 05:37 से सायं 07:32

कोलकाता सायं 05:05 से सायं 07:03

मुम्बई सायं 06:12 से रात्रि 08:12

बेंगलूरु सायं 06:03 से रात्रि 08:05

अहमदाबाद सायं 06:07 से रात्रि 08:06

नोएडा सायं05:39 से सायं 07:34

आप उपरोक्त नगरों के आसपास अपना शहर खोजें तथा दिये गये समय में ही पूजा करें अथवा दैनिक सूर्योदयास्त से गणना कर अपना मुहूर्त निकाले।

राशियों के अनुसार लक्ष्मी पूजन

मेष, सिंह और धनु

ये तीनो अग्नि तत्व प्रधान राशि है इन राशि वालों के लिए धन लक्ष्मी की पूजा विशेष लाभकारी होती है,मां लक्ष्मी के उस स्वरूप की स्थापना करें, जिसमें उनके पास अनाज की ढेरी हो. चावल की ढेरी पर लक्ष्मीजी का स्वरूप स्थापित करें उनके सामने घी का दीपक जलाएं, उनको चांदी का सिक्का अर्पित करें. पूजा के उपरान्त उसी चांदी के सिक्के को अपने धन स्थान पर रख दें।

मिथुन, तुला और कुम्भ राशि

इन राशि वालों के लिए गजलक्ष्मी के स्वरूप की आराधना विशेष होती है, कारोबार में धन की प्राप्ति के लिए गज लक्ष्मी की पूजा, लक्ष्मीजी के उस स्वरूप की स्थापना करें, जिसमें दोनों तरफ उनके साथ हाथी हों, लक्ष्मीजी के समक्ष घी के तीन दीपक जलाएं, मां लक्ष्मी को एक कमल या गुलाब का फूल अर्पित करें, पूजा के उपरान्त उसी फूल को अपनी तिजोरी मे रख दें।

वृष, कन्या, मकर

इस राशि के लोगों के लिए ऐश्वर्यलक्ष्मी की पूजा विशेष होती है, नौकरी में धन की बढ़ोतरी के लिए ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा, गणेशजी के साथ लक्ष्मीजी की स्थापना करें, गणेशजी को पीले और लक्ष्मीजी को गुलाबी फूल चढ़ाएं, लक्ष्मीजी को अष्टगंध चरणों में अर्पित करें, नित्य प्रातः स्नान के बाद उसी अष्टगंध का तिलक लगाएं.

कर्क, वृश्चिक और मीन राशि

इस राशि के लिए वर लक्ष्मी की पूजा विशेष होती है. धन के नुकसान से बचने के लिए वर लक्ष्मी की पूजा मे लक्ष्मीजी के उस स्वरूप की स्थापना करें. जिसमें वह खड़ी हों और धन दे रही हों,उनके सामने सिक्के तथा नोट अर्पित करें,पूजन के बाद यही धनराशि अपनी तिजोरी मे रखें, इसे खर्च न करें. उपरोक्त विधि विधान से पूजन करने पर महालक्ष्मी आप पर प्रसन्न होगीं तथा घर मे समृद्धि व प्रसन्नता आयेगी।

🙏जय श्री राम 🙏

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