Rahu Kaal Kya Hai?|राहु काल क्या है? 7 दिनों में कब और किस समय होता है राहुकाल।#astrology #rahukaal #rahukaalsamay #rahukalam #shorts #shortsvideo #remedies #astrologytips #lalkitab #lalkitabkeupay #spirituality #mythology #astroanalyst #astrotips #vastutips #rahu #ketu #rahukalam #shortsvideo #shortsreels https://youtube.com/shorts/0-MyZVRmliM?feature=share
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पुष्य नक्षत्र योग: जीवन में उन्नति का रहस्य और महत्व
30 मार्च 2023 गुरुवार को रात्रि 22:49 से सूर्योदय तक गुरुपुष्यमृत योग है ।
क्या होता है पुष्य नक्षत्र का योग :-
पुष्य नक्षत्र योग हिंदू धर्म के अनुसार एक शुभ अवसर है, जो पूरे विश्व में हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। यह उस समय होता है जब पुष्य नक्षत्र, जो गुरु ग्रह द्वारा शासित होता है वह पूर्णिमा के साथ उदय होता है। इस घटना को आध्यात्मिक विकास, धन, सफलता और उत्थान के लिए अत्यंत लाभदायक माना जाता है।
क्या है महत्वता:-
पुष्य नक्षत्र को हिंदी में “पुष्य नक्षत्र योग” कहा जाता है और यह हिंदू कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण अवसरों में से एक माना जाता है। पुष्य नक्षत्र का दिन महत्वपूर्ण समझा जाता है क्योंकि यह नई शुरुआतें करने, महत्वपूर्ण फैसले लेने और दिव्य से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अनुकूल होता है।
पुष्य नक्षत्र योग का महत्व यह भी है कि इसे धन, सफलता और उन्नति लाने वाला माना जाता है ।
पुष्य नक्षत्र योग को अन्य शुभ अवसरों से अलग माना जाता है। इस दिन को धर्मिक अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है जैसे कि पूजा, दान और अन्य अनुष्ठान। इसके अलावा, इस दिन को व्यापार और काम की शुरुआत के लिए भी शुभ माना जाता है।
इस दिन लोगों को अपनी करियर में सफलता प्राप्त करने के लिए पूजा करनी चाहिए। धन, समृद्धि और अन्य सफलताओं के लिए लोगों को अपने घर को साफ-सुथरा रखना चाहिए और उसमें दिये, फूल आदि सजाकर अपनी पूजा करनी चाहिए।
पुष्य नक्षत्र योग दिन को अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशी और प्रसन्नता के साथ मनाना चाहिए। इस दिन वृद्धों और गरीबों की मदद करना भी बहुत महत्वपूर्ण है।
संक्षेप में कहें तो, पुष्य नक्षत्र योग हमें उन्नति और सफलता के लिए सही मार्ग दिखाता है। इस दिन को धार्मिक उद्देश्यों के साथ मनाना चाहिए और उससे अपने जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और खुशियां प्राप्त करना चाहिए।
कैसे पुष्य नक्षत्र की मदद से बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में :-
बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें
१०८ मोती की माला लेकर गुरुमंत्र का जाप करे, जो भी श्रद्धापूर्वक गुरूमंत्र का जाप करता है तो 27 नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और सभी नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति |
पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है | उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये | और मन ही मन ये मंत्र बोले :-