Astrology

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Horoscope Today November 29, 2023 : Aaj ka Rashifal November 29, 2023

Horoscope Today: Astrological prediction for 29 November 2023

वैदिक पंचांग

दिनांक – 29 नवम्बर 2023

दिन – बुधवार

विक्रम संवत – 2080

शक संवत -1945

अयन – दक्षिणाय

ऋतु – हेमंत ॠतु

मास – मार्गशीर्ष (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार कार्तिक)

पक्ष – कृष्ण

तिथि – द्वितीया दोपहर 01:56 तकतत्पश्चात तृतीया

नक्षत्र – मृगशिरा दोपहर 01:59 तत्पश्चात आर्द्रा

योग – साध्य रात्रि 08:55 तक तत्पश्चात शुभ

राहुकाल – दोपहर 12:27 से दोपहर 01:49 तक

सूर्योदय-06:59

सूर्यास्त- 17:54

दिशाशूल – उत्तर दिशा में

जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं बधाई और शुभाशीष

दिनांक 29 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 2 होगा। 2 और 9 आपस में मिलकर 11 होते हैं। 11 की संख्या आपस में मिलकर 2 होती है इस तरह आपका मूलांक 2 होगा। इस मूलांक को चंद्र ग्रह संचालित करता है। चंद्र ग्रह स्त्री ग्रह माना गया है। अत: आप अत्यंत कोमल स्वभाव के हैं। आपमें अभिमान तो जरा भी नहीं होता। चंद्र ग्रह मन का कारक होता है।

आप अत्यधिक भावुक होते हैं। आप स्वभाव से शंकालु भी होते हैं। दूसरों के दु:ख दर्द से आप परेशान हो जाना आपकी कमजोरी है। आप मानसिक रूप से तो स्वस्थ हैं लेकिन शारीरिक रूप से आप कमजोर हैं। चंद्र के समान आपके स्वभाव में भी उतार-चढ़ाव पाया जाता है। आप अगर जल्दबाजी को त्याग दें तो आप जीवन में बहुत सफल होते हैं।

शुभ दिनांक : 2, 11, 20, 29

शुभ अंक : 2, 11, 20, 29, 56, 65, 92

शुभ वर्ष : 2027, 2029, 2036

ईष्टदेव : भगवान शिव, बटुक भैरव

शुभ रंग : सफेद, हल्का नीला, सिल्वर ग्रे

कैसा रहेगा यह वर्ष

स्वास्थ्य की दृष्टि से संभल कर चलने का वक्त होगा। पारिवारिक विवाद आपसी मेलजोल से ही सुलझाएं। लेखन से संबंधित मामलों में सावधानी रखना होगी। बगैर देखे किसी कागजात पर हस्ताक्षर ना करें। दखलअंदाजी ठीक नहीं रहेगी। किसी नवीन कार्य योजनाओं की शुरुआत करने से पहले बड़ों की सलाह लें। व्यापार-व्यवसाय की स्थिति ठीक-ठीक रहेगी।

मेष दैनिक राशिफल (Aries Daily Horoscope)

आज का दिन आपके लिए मिलाजुला रहने वाला है। आप आर्थिक मामलों में सावधान रहें। सगे संबंधियों से रिश्तों में यदि कुछ दरार चल रही थी, तो उसमें नजदीकीयां आएंगी। बंधुत्व की भावना बनी रहेगी। आप महत्वपूर्ण काम को लेकर अपने भाई बहनों से बातचीत कर सकते हैं। अविवाहित जातकों के लिए उत्तम विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं। सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे लोगों को अत्यधिक मेहनत करनी होगी, तभी किसी मुकाम को हासिल कर सकेंगे। राजनीतिक क्षेत्रों में कार्यरत लोगों को किसी बड़े नेता से मिलने का मौका मिल सकता है।

वृषभ दैनिक राशिफल (Taurus Daily Horoscope)

आज का दिन आपके लिए मिश्रित रूप से फलदायक रहने वाला है। आपको आज कोई भी महत्वपूर्ण उपलब्धि को अपने हाथ से जाने नहीं देना है। सगे संबंधियों पर आपका पूरा भरोसा रहेगा। आपको लाभ के अवसरों पर पूरा ध्यान देना होगा। पैतृक मामलों में आप सावधानी बरतें और किसी की कहीसुनी बातों में ना आएं। ससुराल पक्ष का कोई व्यक्ति आपसे धन उधार मांग सकता है, लेकिन जीवनसाथी का सहयोग और सानिध्य आपको भरपूर मात्रा में मिलता दिख रहा है। आपके घर किसी अतिथि का आगमन होने से आपका धन खर्च बढ़ सकता है।

मिथुन दैनिक राशिफल (Gemini Daily Horoscope)

आज का दिन आपके लिए प्रसन्नता दिलाने वाला रहेगा। आपकी स्मरण शक्ति को बल मिलेगा और आप अपने जीवन स्तर को ऊंचा बनने के लिए कुछ आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी कर सकते हैं। सभी के साथ सम्मान बना रहगा। नवीन विषयों को बढ़ावा मिलेगा। संतान को संस्कारों व परंपराओं का पाठ पढ़ाएंगे और आपके अनूठे प्रयास आज रंग लाएंगे। आपके चारो ओर का वातावरण अच्छा रहेगा। आप अपने बढ़ते खर्चों को लेकर एक बजट बनाएं, तो आप अपने भविष्य को संचय कर पाएंगे, नहीं तो आपके बढ़ते खर्च आपके लिए समस्या लेकर आएंगे।

कर्क दैनिक राशिफल (Cancer Daily Horoscope)

आज का दिन आपके लिए लेनदेन के मामले में सावधान रहने के लिए रहेगा। आपने यदि महत्वपूर्ण मामलों में जल्दबाजी दिखाई, तो इससे आपको कोई नुकसान हो सकता है। किसी से वाद विवाद में ना पड़े। सरकारी योजना को लेकर आपको अपने किसी मित्र से बातचीत करनी होगी, तभी आप उसमें धन लगाएंगे, तो आपके लिए बेहतर रहेगा। संतान पक्ष की ओर से आपको कोई निराशाजनक सूचना सुनने को मिल सकती है, जो लोग विदेश से व्यवसाय करते हैं, उन्हें सावधान रहने की आवश्यकता है।

सिंह दैनिक राशिफल (Leo Daily Horoscope)

आज का दिन आपके लिए लाभदायक रहने वाला है। आपके धन-धान्य में वृद्धि होने से आपकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा। मित्रों का साथ और सहयोग बना रहेगा। आप अपने जीवन स्तर को सुधारने के लिए कुछ प्रयासों को कर सकते हैं और आपको यदि कोई शुभ सूचना सुनने को मिले, तो उसे तुरंत आगे ना बढ़ाएं। आर्थिक उन्नति के प्रयासों में आप आगे बढ़ेंगे। प्रतिस्पर्धा का भाव आपके मन में बना रहेगा। विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा के मार्ग के प्रशस्त होंगे और आपको किसी काम को लेकर छोटी दूरी की यात्रा पर जाना पड़ सकता है। यदि आपने किसी से धन उधार लेने का सोचा है, तो बिल्कुल ना लें, नहीं तो आपको उसे उतार पाना मुश्किल होगा।

कन्या दैनिक राशिफल (Virgo Daily Horoscope)

आज का दिन आपके लिए मान सम्मान में वृद्धि लेकर आने वाला है। प्रशासनिक कार्यों में आपको सावधान रहना होगा। सभी का सहयोग और समर्थन बना रहेगा। आप यदि परिवार के किसी सदस्य से कोई मदद मांगेंगे, तो वह आपको आसानी से मिल जाएगी। प्रशासनिक कार्यों में आपको ढील नहीं देनी है, नहीं तो इससे आपका कोई नुकसान हो सकता है। आप किसी अजनबी की बातों में ना आए, नहीं तो वह आपका कोई नुकसान कर सकते हैं। सभी का सहयोग और समर्थन आपको भरपूर मात्रा में मिलेगा। परिवार में किसी सदस्य के विवाह प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है।

तुला दैनिक राशिफल (Libra Daily Horoscope)

आज का दिन आपके लिए किसी लंबी दूरी की यात्रा पर जाने के लिए रहेगा। आप अपने किसी काम को दूसरे के भरोसे ना छोड़े, नहीं तो इससे आपको कोई नुकसान हो सकता है। यदि आपको कोई शुभ सूचना सुनने को मिले, तो आप उसे तुरंत आगे ना बढ़ाएं। रचनात्मक कार्यों में आप आगे रहेंगे और विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा के मार्ग प्रशस्त होंगे। आपकी किसी पुरानी गलती से पर्दा उठ सकता है, जिसके कारण आपके परिवार के सदस्यों से माफी मांगनी पड़ सकती है। माता-पिता की सेवा के लिए भी आपको दिन का कुछ समय निकालना होगा।

वृश्चिक दैनिक राशिफल (Scorpio Daily Horoscope)

आज का दिन आपके लिए स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहने के लिए रहेगा। आप अपने कामों में सोच विचारकर आगे बढ़े, तो आपके लिए बेहतर रहेगा। किसी काम में उसके नीति नियमों पर पूरा ध्यान दें। आप किसी अजनबी की बातों में ना आए, नहीं तो वह आपके लिए कोई नई समस्या खड़ी कर सकता है। आप अपने जीवनसाथी के करियर में चल रही समस्याओं को लेकर कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं। आपको किसी जोखिम भरे काम को करने से बचना होगा। आर्थिक दृष्टिकोण से दिन अच्छा रहने वाला है। आप अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के प्रयासों में सफल रहेंगे।

धनु दैनिक राशिफल (Sagittarius Daily Horoscope)

आज का दिन आपके आपके लिए उत्तम रूप से फलदायक रहने वाला है। परस्पर सहयोग की भावना आपके मन में बनी रहेगी। आप कार्यक्षेत्र में अपने साथियों से यदि कोई मदद मांगेंगे, तो वह भी आसानी से मिल जाएंगी। परिवार में किसी हर्ष और मांगलिक कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। आप अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, जिससे लोग भी आपसे प्रसन्न रहेंगे और आपके बिजनेस में एक अच्छा उछाल देखने को मिलेगा। आप यदि किसी लक्ष्य को लेकर परेशान चल रहे थे, तो वह लंबा लटक सकता है।

मकर दैनिक राशिफल (Capricorn Daily Horoscope)

आज का दिन लेनदेन के मामले में सावधानी बरतने के लिए रहेगा। कार्य क्षमता में वृद्धि होगी और बड़ों के बातों पर चलकर आप किसी नए काम की शुरुआत करने के प्लानिंग कर सकते हैं। आपको कुछ ठगी और सफेदपोश लोगों से सावधानी बनाए रखना ही होगी और कामकाज में यदि कुछ अड़चने लंबे समय से आपको घेरे हुए थी, तो वह दूर होंगी। बिजनेस कर रहे लोग अपनी योजनाओं को लेकर आगे बढ़ेंगे और उन्हें पूरा करके ही आज वह चैन से बैठेंगे। संतान की संगति की ओर आपको विशेष ध्यान देना होगा, नहीं तो वह किसी गलत संगति की ओर अग्रसर हो सकती है।

कुंभ दैनिक राशिफल (Aquarius Daily Horoscope)

आज का दिन आपके लिए आर्थिक दृष्टिकोण से अच्छा रहने वाला है। आपको घर और बाहर बड़ों की बातों को ध्यान से सुनकर उन पर अमल करना होगा। रचनात्मक कार्य से आपको जुड़ने का मौका मिलेगा। मित्रों के साथ आप किसी मनोरंजन के कार्यक्रम में सम्मिलित हो सकते हैं। आप अपने साहस और पराक्रम से प्रत्येक कार्य को आसानी से कर पाएंगे, लेकिन आपके अंदर एक्स्ट्रा एनर्जी रहने के कारण उसे सही कामों में लगाएं, तो आपके लिए बेहतर रहेगा, नहीं तो आपके काम लटक सकते हैं। आपकी किसी बात को लेकर माताजी से बेवजह कहासुनी हो सकती है।

मीन दैनिक राशिफल (Pisces Daily Horoscope)

आज का दिन आपके लिए नौकरी की तलाश कर रहे लोगों के लिए अच्छा रहने वाला है। आपका किसी भूमि, वाहन, भवन आदि को खरीदने का सपना पूरा होगा, लेकिन आप अपने आवश्यक कामों में जल्दबाजी न दिखाएं, नहीं तो उससे आपको नुकसान हो सकता है। आप अपने सुख सुविधाओं की कुछ वस्तुओं को लेकर खरीदारी करेंगे, जिसमें आप अच्छा खासा धन खर्च करेंगे। विवाह में यदि कोई बाधा आ रही थी, तो वह आपके किसी मित्र की मदद से दूर होती दिख रही है। बिजनेस में यदि आपका कुछ धन लंबे समय से रुका हुआ था, तो वह भी आपको प्राप्त होगा

🙏जय श्री राम 🙏

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दीपावली 2023 पूजन मुहूर्त राशियों के अनुसार

img 4407दीपावली 2023 मुहूर्त आपकी राशि के अनुसार

आप सभी सनातन धर्म प्रेमी बंधुओ को दीपोत्सव की हार्दिक मंगल कामनाएं।

श्रीराम जी के वनवास समाप्त कर अयोध्या वापिस आने के उपलक्ष्य मे भारतवर्ष में आज दिपावली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है।

आज लक्ष्मी पूजन करने के लिए हम चौघड़िया मुहूर्त को देखने की आवश्यकता नही होती। क्योंकि वे मुहूर्त यात्रा के लिए उपयुक्त होते हैं। लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान होता है। जब स्थिर लग्न प्रचलित होती है। ऐसा माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाये तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है। इसीलिए लक्ष्मी पूजा के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है।वृषभ लग्न को स्थिर माना गया है और दीवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होता है।

दीपावली पूजन के लिये निम्न चार विशेष मुहूर्त होते है।

1 वृश्चिक लग्न यह लग्न दीपावली के सुबह आती है वृश्चिक लग्न में मंदिर, स्कूल, हॉस्पिटल, कॉलेज आदि में पूजा होती है। राजनीति से जुड़े लोग एवं कलाकार आदि इसी लग्न में पूजा करते हैं।

2 कुंभ लग्न यह दीपावली की दोपहर का लग्न होता है। इस लग्न में प्राय बीमार लोग अथवा जिन्हें व्यापार में काफी हानि हो रही है, जिनकी शनि की खराब महादशा चल रही हो उन्हें इस लग्न में पूजा करना शुभ रहता है।

3 वृषभ लग्न यह लग्न दीपावली की शाम को बढ़ाएं मिल ही जाता है तथा इस लग्न में गृहस्थ एवं व्यापारीयो को पूजा करना सबसे उत्तम माना गया है।

4 सिंह लग्न यह लग्न दीपावली की मध्यरात्रि के आस पास पड़ता है तथा इस लग्न में तांत्रिक, सन्यासी आदि पूजा करना शुभ मानते हैं।

अमावस्या तिथि प्रारम्भ 12 नवम्बर को दिन 02:41 बजे से।

अमावस्या तिथि समाप्त 13 नवम्बर को दिन 02:56 बजे।

व्यवसायियों के लिये गद्दी स्थापना-स्याही भरना-कलम दवात संवारने हेतु शुभ मुहूर्त

प्रातः मुहूर्त 12 नवम्बर प्रातः 08:16 से 12:22 तक (इस अवधि मे चंचल, लाभ व अमृत की चौघड़ी रहेगी)।

दिन 11:39 से 12:22, अभिजीत मुहूर्त,

तथा सायं 05:46 से 08:04 तक प्रदोष काल में करना श्रेष्ठ रहेगा।

(सायं 04:02 से 05:22 तक राहुकाल रहेगा इस अवधि मे पूजन से बचे)

प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन मुहूर्त

गौधुली प्रदोष वेला सायं 05:46 से रात्रि 08:04 तक प्रदोष काल रहेगा दीपावली पूजन के लिये यह समय उपयुक्त माना जाता है।

शुभ लग्न में पूजन का मुहूर्त

प्रदोष काल सायं 05:46 से रात्रि 08:04 तक।

वृषभ लग्न 05:48 से 07:45 तक वृष लग्न रहेगा प्रदोष काल व स्थिर लग्न दोनों रहने से गृहस्थ और व्यापारी वर्ग के लिये लक्ष्मी पूजन के लिये यही मुहुर्त सर्वाधिक शुभ रहेगा।

सिंह लग्न

रात्रि 12:10 से 02:25 तक सिंह लग्न रहेगी इस समयावधि में श्रीकनकधारा स्तोत्र का पठन पाठन विशेष श्रीकर सिद्ध होता है।

निशिथ काल

निशिथ काल में स्थानीय प्रदेश समय के अनुसार इस समय में कुछ मिनट का अन्तर हो सकता है। रात्रि 11:39 से 12:31 तक निशिथ काल रहेगा। निशिथ काल में सन्यासी एवं तांत्रिक वर्ग के लिये लक्ष्मी पूजन के लिये यह समय अधिक उपयुक्त रहेगा।

महानिशीथ काल

महानिशीथ काल मे धन लक्ष्मी का आहवाहन एवं पूजन, गल्ले की पूजा तथा हवन इत्यादि कार्य किया जाता है। श्री महालक्ष्मी पूजन, महाकाली पूजन, लेखनी, कुबेर पूजन, अन्य वैदिक तांत्रिक मंन्त्रों का जपानुष्ठान किया जाता है।

महानिशीथ काल रात्रि में 11:41 से 12:55 मिनट तक महानिशीथ काल रहेगा। इस समयावधि में कर्क लग्न और सिंह लग्न होना शुभस्थ है। इसलिए अशुभ चौघडियों को भुलाकर यदि कोई कार्य प्रदोष काल अथवा निशिथ काल में शुरु करके इस महानिशीथ काल में संपन्न हो रहा हो तो भी वह अनुकूल ही माना जाता है। महानिशिथ काल में पूजा समय चर लग्न में कर्क लग्न उसके बाद स्थिर लग्न सिंह लग्न भी हों, तो विशेष शुभ माना जाता है। महानिशीथ काल में कर्क लग्न और सिंह लग्न होने के कारण यह समय शुभ हो गया है। जो शास्त्रों के अनुसार दिपावली पूजन करना चाहते हो, वह इस समयावधि को पूजा के लिये प्रयोग कर सकते हैं। इसमें किया हुआ तंत्र प्रयोग मारण, मोहन, वशीकरण, उच्चाटन, स्तंभन इत्यादि कर्म तांत्रिकों की ओर से किए जाते हैं । इस समय में किया हुआ कोई भी मंत्र सिद्ध हो जाता है। इस समय में सभी आसुरी शक्तियां जागृत हो जाती हैं। इस समय में घोर, अघोर, डाबर, साबर सभी प्रकार के मंत्रों की सिद्धि हो जाती है। इसी समय उल्लूक तंत्र का प्रयोग साधक लोग करते हैं। पंच प्रकार की पूजा, काली पूजा, तारा, छिन्नमस्ता, बगुलामुखी पूजा इसी समय की जाती है।

जो जन शास्त्रों के अनुसार दिपावली पूजन करना चाहते हो, उन्हें इस समयावधि को पूजा के लिये प्रयोग करना चाहिए।

वृष एवं सिंह लग्न में कनकधारा एवं ललिता सहस्त्रनाम का पाठ विशेष लाभदायक माना गया है।

दीपदान मुहूर्त

लक्ष्मी पूजा दीपदान के लिए प्रदोष काल (रात्रि का पंचमांष प्रदोष काल कहलाता है) ही विशेषतया प्रशस्त माना जाता है। दीपावली के दिन प्रदोष काल सायं 05:46 से रात्रि 08:04 बजे तक रहेगा।

भारत के अन्य शहरों में लक्ष्मी पूजा मुहूर्त

पुणे सायं 06:09 से रात्रि 08:09

नई दिल्ली सायं 05:39 से सायं 07:35

चेन्नई सायं 05:52 से सायं 07:54

जयपुर सायं 05:48 से सायं 07:44

हैदराबाद सायं 05:52 से सायं 07:53

गुरुग्राम सायं 05:40 से सायं 07:36

चण्डीगढ़ सायं 05:37 से सायं 07:32

कोलकाता सायं 05:05 से सायं 07:03

मुम्बई सायं 06:12 से रात्रि 08:12

बेंगलूरु सायं 06:03 से रात्रि 08:05

अहमदाबाद सायं 06:07 से रात्रि 08:06

नोएडा सायं05:39 से सायं 07:34

आप उपरोक्त नगरों के आसपास अपना शहर खोजें तथा दिये गये समय में ही पूजा करें अथवा दैनिक सूर्योदयास्त से गणना कर अपना मुहूर्त निकाले।

राशियों के अनुसार लक्ष्मी पूजन

मेष, सिंह और धनु

ये तीनो अग्नि तत्व प्रधान राशि है इन राशि वालों के लिए धन लक्ष्मी की पूजा विशेष लाभकारी होती है,मां लक्ष्मी के उस स्वरूप की स्थापना करें, जिसमें उनके पास अनाज की ढेरी हो. चावल की ढेरी पर लक्ष्मीजी का स्वरूप स्थापित करें उनके सामने घी का दीपक जलाएं, उनको चांदी का सिक्का अर्पित करें. पूजा के उपरान्त उसी चांदी के सिक्के को अपने धन स्थान पर रख दें।

मिथुन, तुला और कुम्भ राशि

इन राशि वालों के लिए गजलक्ष्मी के स्वरूप की आराधना विशेष होती है, कारोबार में धन की प्राप्ति के लिए गज लक्ष्मी की पूजा, लक्ष्मीजी के उस स्वरूप की स्थापना करें, जिसमें दोनों तरफ उनके साथ हाथी हों, लक्ष्मीजी के समक्ष घी के तीन दीपक जलाएं, मां लक्ष्मी को एक कमल या गुलाब का फूल अर्पित करें, पूजा के उपरान्त उसी फूल को अपनी तिजोरी मे रख दें।

वृष, कन्या, मकर

इस राशि के लोगों के लिए ऐश्वर्यलक्ष्मी की पूजा विशेष होती है, नौकरी में धन की बढ़ोतरी के लिए ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा, गणेशजी के साथ लक्ष्मीजी की स्थापना करें, गणेशजी को पीले और लक्ष्मीजी को गुलाबी फूल चढ़ाएं, लक्ष्मीजी को अष्टगंध चरणों में अर्पित करें, नित्य प्रातः स्नान के बाद उसी अष्टगंध का तिलक लगाएं.

कर्क, वृश्चिक और मीन राशि

इस राशि के लिए वर लक्ष्मी की पूजा विशेष होती है. धन के नुकसान से बचने के लिए वर लक्ष्मी की पूजा मे लक्ष्मीजी के उस स्वरूप की स्थापना करें. जिसमें वह खड़ी हों और धन दे रही हों,उनके सामने सिक्के तथा नोट अर्पित करें,पूजन के बाद यही धनराशि अपनी तिजोरी मे रखें, इसे खर्च न करें. उपरोक्त विधि विधान से पूजन करने पर महालक्ष्मी आप पर प्रसन्न होगीं तथा घर मे समृद्धि व प्रसन्नता आयेगी।

🙏जय श्री राम 🙏

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कार्तिक में दीपदान का महत्व

img 4093कार्तिक मास में दीपदान

कार्तिक में दीपदान

29 अक्टूबर, रविवार से कार्तिक मास प्रारंभ हो चुका है ।

महापुण्यदायक तथा मोक्षदायक कार्तिक के मुख्य नियमों में सबसे प्रमुख नियम है दीपदान। दीपदान का अर्थ होता है आस्था के साथ दीपक प्रज्वलित करना। कार्तिक में प्रत्येक दिन दीपदान जरूर करना चाहिए।

पुराणों में वर्णन मिलता है।

“हरिजागरणं प्रातःस्नानं तुलसिसेवनम् ।

उद्यापनं दीपदानं व्रतान्येतानि कार्तिके।।“

(पद्मपुराण, उत्तरखण्ड, अध्याय 115)

“स्नानं च दीपदानं च तुलसीवनपालनम् ।

भूमिशय्या ब्रह्मचर्य्यं तथा द्विदलवर्जनम् ।।

विष्णुसंकीर्तनं सत्यं पुराणश्रवणं तथा ।

कार्तिके मासि कुर्वंति जीवन्मुक्तास्त एव हि ।।”

(स्कन्दपुराण, वैष्णवखण्ड, कार्तिकमासमाहात्म्यम, अध्याय 03)

पद्मपुराण उत्तरखंड, अध्याय 121 में कार्तिक में दीपदान की तुलना अश्वमेघ यज्ञ से की है

घृतेन दीपको यस्य तिलतैलेन वा पुनः।

ज्वलते यस्य सेनानीरश्वमेधेन तस्य किम्।

कार्तिक में घी अथवा तिल के तेल से जिसका दीपक जलता रहता है, उसे अश्वमेघ यज्ञ से क्या लेना है।

अग्निपुराण के 200 वे अध्याय के अनुसार

दीपदानात्परं नास्ति न भूतं न भविष्यति

दीपदान से बढ़कर न कोई व्रत है, न था और न होगा ही

स्कंदपुराण, वैष्णवखण्ड के अनुसार

सूर्यग्रहे कुरुक्षेत्रे नर्मदायां शशिग्रहे ।। तुलादानस्य यत्पुण्यं तदत्र दीपदानतः ।।

कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के समय और नर्मदा में चन्द्रग्रहण के समय अपने वजन के बराबर स्वर्ण के तुलादान करने का जो पुण्य है वह केवल दीपदान से मिल जाता है।

कार्तिक में दीपदान का एक मुख्य उद्देश्य पितरों का मार्ग प्रशस्त करना भी है।

“तुला संस्थे सहस्त्राशौ प्रदोषे भूतदर्शयोः

*उल्का हस्ता नराः कुर्युः पितृणाम् मार्ग दर्शनम्।।”*

पितरों के निमित्त दीपदान जरूर करें।

पद्मपुराण, उत्तरखंड, अध्याय 123 में महादेव कार्तिक में दीपदान का माहात्म्य सुनाते हुए अपने पुत्र कार्तिकेय से कहते हैं ।

शृणु दीपस्य माहात्म्यं कार्तिके शिखिवाहन।

पितरश्चैव वांच्छंति सदा पितृगणैर्वृताः।।

भविष्यति कुलेऽस्माकं पितृभक्तः सुपुत्रकः। कार्तिके दीपदानेन यस्तोषयति केशवम्।।

“मनुष्य के पितर अन्य पितृगणों के साथ सदा इस बात की अभिलाषा करते हैं कि क्या हमारे कुल में भी कोई ऐसा उत्तम पितृभक्त पुत्र उत्पन्न होगा, जो कार्तिक में दीपदान करके श्रीकेशव को संतुष्ट कर सके। ”

दीपदान कहाँ करें

देवालय (मंदिर) में, गौशाला में, वृक्ष के नीचे, तुलसी के समक्ष, नदी के तट पर, सड़क पर, चौराहे पर, ब्राह्मण के घर में, अपने घर में ।

अग्निपुराण के 200 वे अध्याय के अनुसार

देवद्विजातिकगृहे दीपदोऽब्दं स सर्वभाक्

जो मनुष्य देवमन्दिर अथवा ब्राह्मण के गृह में दीपदान करता है, वह सबकुछ प्राप्त कर लेता है। पद्मपुराण के अनुसार मंदिरों में और नदी के किनारे दीपदान करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं। दुर्गम स्थान अथवा भूमि पर दीपदान करने से व्यक्ति नरक जाने से बच जाता है।

जो देवालय में, नदी के किनारे, सड़क पर दीप देता है, उसे सर्वतोमुखी लक्ष्मी प्राप्त होती है। कार्तिक में प्रतिदिन दो दीपक जरूर जलाएं। एक श्रीहरि नारायण के समक्ष तथा दूसरा शिवलिंग के समक्ष ।

दीपदान कहाँ करें

पद्मपुराण के अनुसार

तेनेष्टं क्रतुभिः सर्वैः कृतं तीर्थावगाहनम्।

दीपदानं कृतं येन कार्तिके केशवाग्रतः।।

जिसने कार्तिक में भगवान् केशव के समक्ष दीपदान किया है, उसने सम्पूर्ण यज्ञों का अनुष्ठान कर लिया और समस्त तीर्थों में गोता लगा लिया।

ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है जो कार्तिक में श्रीहरि को घी का दीप देता है, वह जितने पल दीपक जलता है, उतने वर्षों तक हरिधाम में आनन्द भोगता है। फिर अपनी योनि में आकर विष्णुभक्ति पाता है; महाधनवान नेत्र की ज्योति से युक्त तथा दीप्तिमान होता है।

स्कन्दपुराण माहेश्वरखण्ड-केदारखण्ड के अनुसार

ये दीपमालां कुर्वंति कार्तिक्यां श्रद्धयान्विताः॥

यावत्कालं प्रज्वलंति दीपास्ते लिंगमग्रतः॥

तावद्युगसहस्राणि दाता स्वर्गे महीयते॥

जो कार्तिक मास की रात्रि में श्रद्धापूर्वक शिवजी के समीप दीपमाला समर्पित करता है, उसके चढ़ाये गए वे दीप शिवलिंग के सामने जितने समय तक जलते हैं, उतने हजार युगों तक दाता स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होता है।

लिंगपुराण के अनुसार

कार्तिके मासि यो दद्याद्धृतदीपं शिवाग्रतः।।

संपूज्यमानं वा पश्येद्विधिना परमेश्वरम्।।

दीपदान कहाँ करें

लिंगपुराण के अनुसार

कार्तिके मासि यो दद्याद्धृतदीपं शिवाग्रतः।।

संपूज्यमानं वा पश्येद्विधिना परमेश्वरम्।।

जो कार्तिक महिने में शिवजी के सामने घृत का दीपक समर्पित करता है अथवा विधान के साथ पूजित होते हुए परमेश्वर का दर्शन श्रद्धापूर्वक करता है, वह ब्रह्मलोक को जाता है।

यो दद्याद्धृतदीपं च सकृल्लिंगस्य चाग्रतः।।

स तां गतिमवाप्नोति स्वाश्रमैर्दुर्लभां रिथराम्।।

जो शिव के समक्ष एक बार भी घृत का दीपक अर्पित करता है, वह वर्णाश्रमी लोगों के लिये दुर्लभ स्थिर गति प्राप्त करता है।

आयसं ताम्रजं वापि रौप्यं सौवर्णिकं तथा।।

शिवाय दीपं यो दद्याद्विधिना वापि भक्तितः।।

सूर्यायुतसमैः श्लक्ष्णैर्यानैः शिवपुरं व्रजेत्।।

जो विधान के अनुसार भक्तिपूर्वक लोहे, ताँबे, चाँदी अथवा सोने का बना हुआ दीपक शिव को समर्पित है, वह दस हजार सूर्यों के सामान देदीप्यमान विमानों से शिवलोक को जाता है।

अग्निपुराण के 200 वे अध्याय के अनुसार

जो मनुष्य देवमन्दिर अथवा ब्राह्मण के गृह में एक वर्ष दीपदान करता है, वह सबकुछ प्राप्त कर लेता है।

कार्तिक में दीपदान करने वाला स्वर्गलोक को प्राप्त होता है।

दीपदान से बढ़कर न कोई व्रत है, न था और न होगा ही।

दीपदान से आयु और नेत्रज्योति की प्राप्ति होती है।

दीपदान से धन और पुत्रादि की प्राप्ति होती है।

दीपदान करने वाला सौभाग्ययुक्त होकर स्वर्गलोक में देवताओं द्वारा पूजित होता है।

एकादशी को दीपदान करने वाला स्वर्गलोक में विमान पर आरूढ़ होकर प्रमुदित होता है।

दीपदान कैसे करें

मिट्टी, ताँबा, चाँदी, पीतल अथवा सोने के दीपक लें। उनको अच्छे से साफ़ कर लें। मिटटी के दीपक को कुछ घंटों के लिए पानी में भिगो कर सुखा लें। उसके पश्च्यात प्रदोषकाल में अथवा सूर्यास्त के बाद उचित समय मिलने पर दीपक, तेल, गाय घी, बत्ती, चावल अथवा गेहूँ लेकर मंदिर जाएँ। घी में रुई की बत्ती तथा तेल के दीपक में लाल धागे या कलावा की बत्ती इस्तेमाल कर सकते हैं। दीपक रखने से पहले उसको चावल अथवा गेहूं अथवा सप्तधान्य का आसन दें। दीपक को भूल कर भी सीधा पृथ्वी पर न रखें क्योंकि कालिका पुराण का कथन है ।

दातव्यो न तु भूमौ कदाचन।

सर्वसहा वसुमती सहते न त्विदं द्वयम्।।

अकार्यपादघातं च दीपतापं तथैव च।

तस्माद् यथा तु पृथ्वी तापं नाप्नोति वै तथा।।

अर्थात सब कुछ सहने वाली पृथ्वी को अकारण किया गया पदाघात और दीपक का ताप सहन नही होता ।

उसके बाद एक तेल का दीपक शिवलिंग के समक्ष रखें और दूसरा गाय के घी का दीपक श्रीहरि नारायण के समक्ष रखें। उसके बाद दीपक मंत्र पढ़ते हुए दोनों दीप प्रज्वलित करें। दीपक को प्रनाम करें। दारिद्रदहन शिवस्तोत्र तथा गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करें।

पाँच दिन जरूर जरूर करें दीपदान

अगर किसी विशेष कारण से कार्तिक में प्रत्येक दिन आप दीपदान करने में असमर्थ हैं तो पांच विशेष दिन जरूर करें।

पद्मपुराण, उत्तरखंड में स्वयं महादेव कार्तिकेय को दीपावली, कार्तिक कृष्णपक्ष के पाँच दिन में दीपदान का विशेष महत्व बताते हैं:

कृष्णपक्षे विशेषेण पुत्र पंचदिनानि च

*पुण्यानि तेषु यो दत्ते दीपं सोऽक्षयमाप्नुयात्

विशेषतः कृष्णपक्ष में 5 दिन (रमा एकादशी से दीपावली तक) बड़े पवित्र हैं। उनमें जो भी दान किया जाता है, वह सब अक्षय और सम्पूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है।

तस्माद्दीपाः प्रदातव्या रात्रावस्तमते रवौ

गृहेषु सर्वगोष्ठेषु सर्वेष्वायतनेषु च

देवालयेषु देवानां श्मशानेषु सरस्सु च

घृतादिना शुभार्थाय यावत्पंचदिनानि च

पापिनः पितरो ये च लुप्तपिंडोदकक्रियाः

तेपि यांति परां मुक्तिं दीपदानस्य पुण्यतः

रात्रि में सूर्यास्त हो जाने पर घर में, गौशाला में, देववृक्ष के नीचे तथा मन्दिरों में दीपक जलाकर रखना चाहिए। देवताओं के मंदिरों में, शमशान में और नदियों के तट पर भी अपने कल्याण के लिए घृत आदि से पाँच दिनों तक दीप जलाने चाहिए। ऐसा करने से जिनके श्राद्ध और तर्पण नहीं हुए हैं, वे पापी पितर भी दीपदान के पुण्य से परम मोक्ष को प्राप्त होते हैं।

🙏जय श्री राम 🙏

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Sharad Purnima 2023: चंद्र ग्रहण के साए में शरद पूर्णिमा: Timings and Muhurat

img 3863Sharad Purnima 18/10/2023: Lunar Eclipse on 28/10/2023: What to do ?

कब है शरद पूर्णिमा 2023?

हिंदू पंचांग के अनुसार, 28 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 17 मिनट से पूर्णिमा आरंभ हो रही है,जो 29 अक्टूबर को सुबह 1 बजकर 53 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर 2023 को पड़ रही है। पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के बेहद निकट होता है और चंद्रमा की 16 कलाओं की आभा पृथ्वी के प्रत्येक जीव को प्रभावित करती है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत के समान मानी जाती हैं। यही वजह है कि इस दिन लोग खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखते हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर रातभर चांद की रोशनी में खीर रखने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं। फिर अगले दिन सुबह इस खीर का सेवन करने पर सेहत अच्छी रहती है। लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण की छाया पड़ने के कारण आसमान से अमृत नहीं बरसेगा। ऐसे में इस दिन खुले आसमान में खीर रखना सही होगा या नहीं? चलिए जानते हैं इसके बारे में.

कब लग रहा चंद्र ग्रहण?

img 3864

Lunar Eclipse Starts – 01:06 AM 29/10/2023

Lunar Eclipse Ends – 02:22 AM 29/10/2023

Local Eclipse Duration – 01 Hour 16 Mins 16 Secs

First Contact with the Penumbra – 11:32 PM, Oct 28

First Contact with the Umbra – 01:06 AM

Maximum of Lunar Eclipse – 01:44 AM

Last Contact with the Umbra – 02:22 AM

Last Contact with the Penumbra – 03:55 AM

Duration of Partial Phase – 01 Hour 16 Mins 16 Secs

Duration of Penumbral Phase – 04 Hours 23 Mins 07 Secs

Magnitude of Lunar Eclipse – 0.12

Magnitude of Penumbral Lunar Eclipse – 1.12

Sutak Begins – 03:11 PM, Oct 28

Sutak Ends – 02:22 AM

Sutak for Kids, Old and Sick Begins – 09:11 PM, Oct 28

Sutak for Kids, Old and Sick Ends – 02:22 AM

यह चंद्र ग्रहण 29 अक्तूबर की रात 01 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगा और 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। चंद्र ग्रहण मध्यरात्रि में पड़ रहा है लेकिन इसका सूतक काल 28 अक्तूबर को दोपहर के बाद से ही प्रारंभ हो जाएगा।

शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया

इस बार नौ साल के बाद शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का संयोग बन रहा है और यह चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा। ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रहण की घटना को शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे में शरद पूर्णिमा पर पूजा अर्चना सहित अन्य कार्यक्रम दिन में ही संपन्न कर लिए जाएंगे।

ग्रहण के साथ ही इसके सूतक काल को भी शुभ नहीं माना जाता है। इस दौरान पूजा-पाठ निशेध माना जाता है। ऐसे में 28 अक्तूबर को दोपहर के बाद से ही मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे। इस वजह से शरद पूर्णिमा पर बनने वाली खीर भी इस बार मध्य रात्रि में नहीं बनेगी। ऐसे में आप चाहें तो दूसरे दिन खीर बनाकर भगवान को भोग लगा सकते हैं।

चंद्रग्रहण खत्म होने के बाद कर सकते हैं ये कार्य
  1. सबसे पहले तो चंद्रग्रहण का सूतक काल शुरू होने के पहले गाय के दूध में कुशा या तुलसी की पत्तियां डाल दें।फिर उसे ढककर रख दें।
  2. इससे सूतक काल के दौरान दूध शुद्ध रहेगा।बाद में चंद्रग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करें और पूरे घर में गंगाजल छिड़कें।
  1. इसके पश्चात आप इस दूध की खीर बनाकर भोग लगा सकते हैं।
  1. आप चाहें तो भोर में आप अमृत वर्षा के लिए इस खीर को खुले आसमान के नीचे रख सकते हैं।

🙏जय श्री राम 🙏

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Sarv Pitra Amavasya: Commemorating Ancestral Spirits and Cultivating Blessings

Sarv Pitra Amavasya 2023Sarv Pitra Amavasya 2023

Sarv Pitra Amavasya is a significant day in Hindu tradition, dedicated to honoring and remembering one’s ancestors. This day, observed on the Amavasya (New Moon) of the Krishna Paksha in the Ashwin month of the Hindu calendar, holds profound historical and cultural importance. In this article, we will delve into the history, significance, and remedies associated with Sarv Pitra Amavasya.

History:

The origins of Sarv Pitra Amavasya can be traced back to ancient Indian scriptures and texts. It is believed that our ancestors play a vital role in our lives, even after their physical existence has ended. This day is dedicated to expressing gratitude and seeking blessings from one’s forefathers.

According to Hindu mythology, the Mahabharata epic narrates the story of Karna, who, after his death, was unable to find food in the afterlife due to his deeds on Earth. To help him, Lord Krishna showed him the importance of ancestral offerings on the Amavasya. This story underlines the significance of performing rituals for one’s ancestors.

Importance:

Sarv Pitra Amavasya holds a central place in Hindu culture for several reasons:

1.Ancestral Blessings: It is believed that by offering prayers and performing rituals on this day, individuals can receive blessings from their ancestors, ensuring their well-being, prosperity, and spiritual growth.

2.Karmic Balance: This day serves as an opportunity to rectify any negative karmas or debts to one’s ancestors, allowing both the living and the departed to find solace and liberation.

3.Family Unity: Observing Sarv Pitra Amavasya encourages family members to come together, fostering a sense of unity and shared cultural values.

Remedies and Rituals:

To observe Sarv Pitra Amavasya and seek blessings from one’s ancestors, several rituals and remedies are performed:

1.Pinda Daan: The most important ritual involves offering pinda (rice balls) to ancestors. This symbolizes nourishing the departed souls and is typically done at riverbanks or holy places.

2.Tarpan: Offering water mixed with black sesame seeds and barley to ancestors is also a common practice. It is believed to purify and liberate their souls.

3.Feeding the Needy: Donating food, clothing, or other essentials to the less fortunate is considered an act of virtue on

this day, as it is believed to benefit the souls of one’s ancestors.

4.Prayers and Mantras: Chanting specific mantras and offering prayers to ancestors is an essential part of Sarv Pitra Amavasya. This can be done at home or in temples.

5.Fasting: Some people choose to fast on this day as a mark of respect and as a means of purifying the body and soul.

Important Mantra

there are specific mantras that can be chanted on Sarv Pitra Amavasya to seek blessings for your ancestors and spiritual growth. Here are a few mantras that you can consider:

1. Om Namah Shivaya: Chanting this mantra is believed to purify the soul and bring peace to your ancestors.

2. Gayatri Mantra: The Gayatri Mantra is a powerful prayer that can be chanted to seek blessings for your ancestors and the well-being of your family.

3. Om Namo Narayana: This mantra is dedicated to Lord Vishnu and can be chanted to seek the blessings of Lord Vishnu for your ancestors’ well-being.

4. Om Akaal Mrityu Namah: This mantra is dedicated to Lord Shiva and is believed to liberate your ancestors from the cycle of birth and death.

5. Om Tryambakam Yajamahe: The Mahamrityunjaya Mantra is another powerful mantra dedicated to Lord Shiva, seeking protection and blessings for your ancestors.

6. Om Shanti Shanti Shanti: This mantra is often chanted at the end of prayers to invoke peace and harmony for the living and the departed souls.

When chanting these mantras, it’s essential to do so with a pure heart and focused intention. You can chant these mantras while performing the rituals and offerings to your ancestors on Sarv Pitra Amavasya.

Conclusion :

Sarv Pitra Amavasya is a day of deep spiritual significance, providing an opportunity to honor and connect with one’s ancestors. By performing the prescribed rituals and remedies, individuals can seek blessings, alleviate karmic debts, and promote family unity. This ancient tradition reminds us of the enduring bond between the living and the departed, emphasizing the importance of gratitude and respect for our forefathers.

🙏जय श्री राम 🙏

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सर्व पितृ अमावस्या करे ये उपाय

सर्व पितृ अमावस्या 2023

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सर्व पितृ अमावस्या

श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार 14 अक्टूबर, शनिवार को यह अमावस्या है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, श्राद्ध पक्ष की अमावस्या पर कुछ विशेष उपाय करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष भी कम होता है। इसलिए इस दिन भी ये उपाय किए जा सकते हैं।

पीपल में पितरों का वास माना गया है ।सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और गाय के शुद्ध घी का दीपक लगाएं ।

सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर किसी ब्राह्मण को भोजन के लिए घर बुलाएं या भोजन सामग्री जिसमें आटा, फल, गुड़ आदि का दान करें ।

इस अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में काले तिल डालकर तर्पण करें ।इससे भी पितृगण प्रसन्न होते हैं ।

सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर अपने पितरों को याद कर गाय को हरा चारा खिला दें ।इससे भी पितृ प्रसन्न व तृप्त हो जाते हैं ।

इस अमावस्या पर चावल के आटे से 5 पिडं बनाएं व इसे लाल कपड़े में लपेटकर नदी में प्रवाहित कर दें ।

अमावस्या पर गाय के गोबर से बने कंड़े को जलाकर उस पर घी-गुड़ की धूप दें और पितृ देवताभ्यो अर्पणमस्तु बोलें ।

इस अमावस्या पर कच्चा दूध, जौ, तिल व चावल मिलाकर नदी में प्रवाहित करें ।ये उपाय सूर्योदय के समय करें तो अच्छा रहेगा ।

सर्व पितृ अमावस्या

पितृ पक्ष का आखिरी दिन पितृ अमावस्या होती है। इस दिन कुल के सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। फिर चाहे उनकी मृत्यु तिथि पता न हो। तब भी आप पितृ अमावस्या पर उनका तर्पण कर सकते हैं।

पितृ पक्ष की अमावस्या को सूर्यास्त से पहले ये उपाय करना है। इस उपाय में एक स्टील के लोटे में, दूध, पानी, काले व सफेद तिल और जौ मिला लें। इसके साथ कोई भी सफेद मिठाई, एक नारियल, कुछ सिक्के और एक जनेऊ पीपल के पेड़ के नीचे जाकर सबसे पहले ये सारा सामान पेड़ की जड़ में चढ़ा दें। इस दौरान सर्व पितृ देवभ्यो नम: का जप करते रहें।

ये मंत्र बोलते हुए पीपल को जनेऊ भी चढ़ाएं। इस पूरी विधि के बाद मन में सात बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें और भगवान विष्णु से कहें मेरे जो भी अतृप्त पितृ हों वो तृप्त हो जाए। इस उपाय को करने से पितृ तृप्त होते हैं पितृ दोष का प्रभाव खत्म होता है और उनका अशीर्वाद मिलने लगता है। हर तरह की आर्थिक और मानसिक समस्याएं दूर होती हैं।

🙏जय श्री राम 🙏

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